बरेली की तर्ज पर देशभर में लागू होगा अन्नपूर्णा मॉडल | उत्तर प्रदेश | 01 Jul 2023
चर्चा में क्यों?
29 जून, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार ने बरेली के अन्नपूर्णा मॉडल को पूरे देश में लागू करने के निर्देश दिये हैं। इसके तहत राशन की उचित दर की दुकानों को अन्नपूर्णा स्टोर में शिफ्ट किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- विदित है कि बरेली मंडल की कमिश्नर सौम्या अग्रवाल और बरेली विकास प्राधिकरण (बीडीए) के उपाध्यक्ष जोगिंदर सिंह ने 17 मई को मंडल में बनाए जा रहे 52 अन्नपूर्णा स्टोर्स का मॉडल मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुत किया था। अन्नपूर्णा मॉडल के तहत उचित दर की दुकान एवं जन सुविधा केंद्र होगा, जिसे ‘अन्नपूर्णा स्टोर’का नाम दिया गया गया है।
- कमिश्नर सौम्या अग्रवाल ने बताया कि डोर स्टेप डिलीवरी की सिंगल स्टेज व्यवस्था के तहत खाद्यान्न के वाहनों का उचित दर की दुकान तक आसानी से पहुँचना ज़रूरी है। इसलिये ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम सभाएँ व शहरी क्षेत्रों में नगर पंचायत, नगर पालिका परिषद, नगर निगम अपने आर्थिक स्रोतों, मनरेगा आदि योजनाओं से राशन की दुकानों का निर्माण कराएंगे।
- उत्तर प्रदेश राज्य सरकार ने इन दुकानों को ऐसी जगह बनाने का आदेश दिया है, जहाँ आम लोगों की पहुँच आसान हो। यानी दुकानें गली-कूचों में न होकर खुले या सहज पहुँच वाले स्थानों पर हों।
- दुकानों का निर्माण ग्रामीण क्षेत्र में पंचायत भवन व शहरी क्षेत्रों में सामुदायिक भवनों के नज़दीक किये जाएंगे। इस मॉडल पर बरेली में कई दुकानें अभी निर्माणाधीन हैं। ज़िले के सभी ब्लॉकों में इन दुकानों का निर्माण कराया जाएगा। केंद्र सरकार ने इसी मॉडल को पूरे देश में लागू करने के निर्देश दिये हैं।
- अन्नपूर्णा स्टोर के जनसुविधा केंद्र से आय, जाति, जन्म, निवास प्रमाण-पत्र, आधार, पेंशन व अन्य सेवाएँ मिलेंगी। विभिन्न प्रकार के बिल जमा किये जा सकेंगे। अन्नपूर्णा स्टोर में पाँच किलोग्राम वाले एलपीजी सिलिंडर, ई-स्टांप, अग्निशमन यंत्र मिलेंगे। माइक्रो एटीएम, बीसी सखी आदि की सेवाएँ भी मिलेंगी।
पश्चिमी यूपी के नशा तस्करों पर पहली बार होगी पिट के तहत कार्रवाई | उत्तर प्रदेश | 01 Jul 2023
चर्चा में क्यों?
29 जून, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार पश्चिमी यूपी में पहली बार नशा तस्करों पर पिट (द प्रिवेंशन ऑफ इलिसिट ट्रैफिक इन नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक एंड सबस्टांसेंस एक्ट-1988) के तहत कार्रवाई होने जा रही है।
प्रमुख बिंदु
- जानकारी के अनुसार सहारनपुर से लेकर शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, बिजनौर, मेरठ, हापुड़ और बुलंदशहर की जेलों में बंद उन तस्करों की फाइल तैयार की जा रही है, जो नशा तस्करी के आदतन अपराधी हो चुके हैं और जेल से बाहर निकलने के बाद वह फिर इसी धंधे में शामिल हो सकते हैं।
- पिट की कार्रवाई के लिये करीब 20 तस्करों की फाइल तैयार की जा रही है। यह कार्रवाई एएनटीएफ (एंटी नारकोटिक्स टॉस्क फोर्स) की ओर से कराई जाती है।
- एएनटीएफ ने जिन तस्करों की फाइल पिट के लिये तैयार की है, उसे डीएम से कमिश्नर और मुख्यालय भेजा जाएगा। शासन स्तर पर जाँच होगी कि जिस व्यक्ति के खिलाफ पिट की कार्रवाई की फाइल आई है वह कितनी जायज है। शासन की अनुमति के बाद कार्रवाई की जाएगी।
- पुलिस उपाधीक्षक एनएनटीएफ मेरठ-सहारनपुर राजेश कुमार के मुताबिक पश्चिमी यूपी में अभी तक ऐसी कार्रवाई नहीं हुई थी। इस कार्रवाई के बाद नशा तस्कर कम से कम एक साल जेल के अंदर रहेगा और जमानत से लेकर अन्य किसी तरह की याचिका पर कोई विचार नहीं किया जाएगा।
- इसके अलावा नशे के धंधे से उसने जो संपत्ति जुटाई थी, उसे भी सर्वे कर जब्त किया जाएगा। यह कार्रवाई उन अपराधियों के खिलाफ कराई जाती है, जिनका जेल में बंद रहना जरूरी हो जाता है।
- उल्लेखनीय है कि पिट की कार्रवाई एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) से मिलती-जुलती है। एनएसए के तहत किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को तीन महीने बिना जमानत के हिरासत में रखा जा सकता है। ज़रूरत पड़ने पर तीन-तीन माह की अवधि बढ़ाई जा सकती है, जो अधिकतम एक साल हो सकती है।
- हिरासत में रखने के लिये संदिग्ध पर आरोप तय करने की ज़रूरत नहीं होती। हालाँकि प्रदेश सरकार को यह बताना पड़ता है कि इस व्यक्ति को जेल में किस आधार पर रखा गया। यह कार्रवाई शासन के आदेश पर सिविल पुलिस कर सकती है, जबकि पिट की कार्रवाई सिर्फ एएनटीएफ कर सकती है।
बिहार के लिये वरदान साबित होगी गंडक-गंगा नदी जोड़ योजना | बिहार | 01 Jul 2023
चर्चा में क्यों?
29 जून, 2023 को बिहार के सूचना एवं जनसंपर्क सह जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर शुरू होने वाली गंडक-गंगा नदी जोड़ योजना राज्य के गोपालगंज, सीवान और सारण ज़िलों के लिये वरदान साबित होगी।
प्रमुख बिंदु
- इस योजना में गोपालगंज ज़िले के हीरापाकड़ के पास गंडक नदी से शुरू कर सारण ज़िले के हासिलपुर के पास गंगा नदी तक कुल 170 किमी. लंबे लिंक चैनल का निर्माण होगा। इसमें सेक्शनिंग और खुदाई के कार्य शामिल हैं।
- साथ ही, सारण तटबंध के किमी. 139.59 पर निर्धारित डिजाइन के अनुसार 4 भेंट वाले एंटी फ्लड स्लूईस का निर्माण किया जाएगा। योजना की प्राक्कलित राशि 69 करोड़ 89 लाख 79 हज़ार रुपए है।
- इस नदी जोड़ योजना से गोपालगंज ज़िले के गोपालगंज, मांझा, बरौली, सीवान ज़िले के बड़हरिया, गोरियाकोठी, महराजगंज, दरौंदा और सारण ज़िले के दिघवारा, सोनपुर, खैरा, नगरा, बनियापुर, मढ़ौरा आदि प्रखंडों के निवासी लाभान्वित होंगे।
- इन क्षेत्रों में भूजल स्तर में सुधार और पर्यावरण संतुलन के लिहाज से भी एक महत्त्वपूर्ण योजना साबित होगी।
- विदित है कि नेपाल में हाई डैम नहीं बना है। जब तक हाई डैम नहीं बन जाता, बिहार की नदियों के पानी को कंट्रोल नहीं किया जा सकता। नेपाल में यदि हाई डैम बन जाता है तो बिहार में कोसी, कमला, बागमती, गंडक नदी के अधिकतर क्षेत्र बाढ़मुक्त हो जाएंगे।
- राज्य के पश्चिम चंपारण ज़िले में गंडक नदी के वाल्मीकिनगर बरौज से निकलने वाली नहरों की संख्या बढ़ाकर सिंचाई क्षमता बढ़ाई जाएगी। जल संसाधन विभाग इसका आकलन कर योजना तैयार करेगा। इसका उदेश्य गंडक नदी के पानी का अधिकतम उपयोग सिंचाई में किया जाना है। साथ ही, इससे गंडक नदी में हर साल आने वाली बाढ़ से भी सुरक्षा हो सकेगी।
- वर्तमान में इस बैराज से निकलने वाली नहरों से बिहार के सात ज़िलों में करीब 11.50 लाख हेक्टेयर में सिंचाई क्षमता है।
- ज्ञातव्य है कि वाल्मीकिनगर बैराज की अधिकतम डिस्चार्ज क्षमता करीब 8.50 लाख क्यूसेक की है, इस बैराज से 31 जुलाई, 2003 को अब तक का अधिकतम डिस्चार्ज करीब छह लाख 19 हज़ार 750 क्यूसेक हुआ था।
- इस बैराज का निर्माण 1967-68 में किया गया था। इसकी लंबाई करीब 739 मीटर है। इसका आधा हिस्सा नेपाल में है। इसमें 52 गेट, 18 रियल वे, 12 अंडर स्लूइस, 8 रिवर स्लूइस, 18 हेड रेगुलेटर गेट हैं।
राज्यपाल ने किया दिव्य कला मेले का उद्घाटन | राजस्थान | 01 Jul 2023
चर्चा में क्यों?
29 जून, 2023 को राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने दिव्यांगजनों के उत्पादों की वृहद स्तर पर ब्रांडिंग कर उनके हुनर और शिल्प कौशल को प्रोत्साहन देने के लिये केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा जयपुर के जवाहर कला केंद्र में आयोजित दिव्य कला मेले का उद्घाटन किया।
प्रमुख बिंदु
- राज्यपाल ने दिव्य कला मेले में कहा कि दिव्यांगजनों के हुनर और उनके कौशल को जनता तक पहुँचाने की दिशा में इस तरह के मेलों की बहुत सार्थकता है। इन आयोजनों से दिव्यांगजनों में आत्मविश्वास का सृजन होता है और उनके आर्थिक सशक्तीकरण को बल मिलता है।
- ये मेले दिव्यांगजनों के सशक्तीकरण के लिये ही नहीं, भारतीय कला और शिल्प के प्रसार की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण हैं। बाज़ारवाद और विज्ञापन के दौर में ऐसे मेले कला और संस्कृति से जुड़ी मन की अभिव्यक्ति को उत्पाद के रूप में सामने लाते हैं।
- केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने कहा कि देश में अलग- अलग राज्यों में दिव्य कला मेलों का आयोजन कर वहाँ के दिव्यांगजन द्वारा निर्मित उत्पादों को मंच प्रदान किया जा रहा है।
- विदित है कि देश में 13 हज़ार शिविरों का आयोजन कर 25 लाख दिव्यांगजनों को सहायक उपकरण वितरित किये गए हैं। समाज से इन आयोजनों को मिल रहे समर्थन से दिव्यांगजनों में नई आशा और स्वावलंबन की भावना का संचार हो रहा है।
- दिव्यांगजनों के कल्याण के लिये भारत सरकार ने विशेष पहल की है और विभिन्न योजनाओं के माध्यम से उनके हुनर को निखारकर उन्हें मुख्यधारा में लाने का कार्य किया जा रहा है।
- इस अवसर पर राज्यपाल ने दिव्यांग स्वावलंबन योजना के अंतर्गत दिव्यांगजन को स्वरोज़गार शुरू करने के लिये रियायती ऋण की स्वीकृतियाँ, ट्राइसाइकिल, हियरिंग एड, वाकिंग स्टिक आदि सहायक उपकरण भी वितरित किये।
डीग में स्थापित होगा संग्रहालय | राजस्थान | 01 Jul 2023
चर्चा में क्यों?
29 जून, 2023 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य के भरतपुर ज़िले के डीग में संग्रहालय स्थापित करने के लिये 4.21 करोड़ रुपए के वित्तीय प्रस्ताव का अनुमोदन किया है।
प्रमुख बिंदु
- प्रस्ताव के अनुसार, भरतपुर राजवंश के इतिहास को प्रदर्शित करती गैलेरी, महाराजा सूरजमल गैलेरी, आर्म्स गैलेरी, मूर्ति गैलेरी, उत्खनन गैलेरी, कला एवं संस्कृति गैलेरी, ब्रजमंडल गैलेरी, पेंटिंग गैलेरी सहित कुल 8 गैलेरी का निर्माण किया जाएगा।
- साथ ही, डीग किला क्षेत्र में मुख्य द्वार से संग्रहालय भवन तक हाई मास्ट लाइट, सोलर लाइट, जल आपूर्ति संबंधी कार्य, पर्यटकों की सुविधा के लिये आवागमन तथा अन्य विकास कार्य भी करवाए जाएंगे।
- मुख्यमंत्री के इस निर्णय से पर्यटकों को डीग किले के साथ-साथ भरतपुर के राजवंश, ब्रज की कला एवं संस्कृति, प्राचीनकाल के हथियारों सहित विभिन्न जानकारियाँ एक ही स्थान पर मिल सकेंगी।
- उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री द्वारा वर्ष 2023-24 के बजट में इस संबंध में घोषणा की गई थी।
श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय स्थापित करेगा उत्तर भारत की सबसे बड़ी लॉजिस्टिक स्किल एकेडमी | हरियाणा | 01 Jul 2023
चर्चा में क्यों?
28 जून, 2023 को हरियाणा के सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा निदेशालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार राज्य के पलवल ज़िले में स्थित श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय उत्तर भारत की सबसे बड़ी लॉजिस्टिक स्किल एकेडमी स्थापित करेगा।
प्रमुख बिंदु
- लॉजिस्टिक क्षेत्र में कुशल कामगारों की मांग को देखते हुए श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय ने लॉजिस्टिक स्किल एकेडमी स्थापित करने का निर्णय लिया है। इस एकेडमी में हर साल लगभग 3000 युवाओं को लॉजिस्टिक हब के लिये प्रशिक्षित किया जाएगा।
- इस परियोजना में टीवीएस लॉजिस्टिक कंपनी श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय की भागीदार होगी।
- विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राज नेहरू ने कहा कि यह रोज़गार का बहुत तेजी से उभरता क्षेत्र है। लॉजिस्टिक क्षेत्र में ट्रेंड लोगों की कमी है। इस एकेडमी के माध्यम से लॉजिस्टिक कंपनियों के लिये बड़ी संख्या में युवाओं को ट्रेंड किया जा सकेगा।
- इस एकेडमी के माध्यम से आठवीं और दसवीं पास उन युवाओं को रोज़गार के अवसर मिलेंगे, जिनके पास ड्राइविंग लाइसेंस हैं। उन्हें लॉजिस्टिक स्किल एकेडमी में प्रशिक्षण दिया जाएगा।
- इसके लिये लॉजिस्टिक सेक्टर की ज़रूरत के हिसाब से कोर्स डिजाइन किया जाएगा। इसमें लॉजिस्टिक क्रेन ऑपरेटर के जॉब रोल के साथ-साथ अन्य माल वाहक वाहनों को ऑपरेट करने की ट्रेनिंग दी जाएगी।
- लॉजिस्टिक स्किल एकेडमी में ट्रेनिंग करने वाले युवाओं को टीवीएस लॉजिस्टिक्स में रोज़गार के अवसर मिलेंगे। इससे एनसीआर के ज़िलों के साथ-साथ प्रदेश के दूसरे ज़िलों के युवाओं को भी रोज़गार के अवसर प्राप्त होंगे। सालाना लगभग दो लाख रुपए के पैकेज से यह शुरुआत होगी।
- कुलपति ने बताया कि जल्दी ही श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय और टीवीएस सप्लाई चेन सॉल्यूशंस कंपनी के बीच एक एमओयू होगा। इसके माध्यम से प्रशिक्षण लेने वाले युवाओं की प्लेसमेंट का रास्ता साफ हो जाएगा।
- इसके अलावा दूसरी लॉजिस्टिक्स कंपनियों को भी इस लॉजिस्टिक स्किल एकेडमी के माध्यम से कुशल कामगार ऑपरेटर मिल पाएंगे।
- टीवीएस सप्लाई चेन सॉल्यूशंस के रीजनल चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर ऋषि दीवान ने कहा कि श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय अलग-अलग स्किल जोड़ रहा है। इसी कड़ी में लॉजिस्टिक स्किल एकेडमी अपने आप में एक नया अध्याय होगा। इसके माध्यम से युवा शक्ति को प्रशिक्षित करके उसकी ऊर्जा का देश हित में सदुपयोग होगा।
झारखंड के जावेद पठान को मिला ‘छत्रपति शिवाजी महाराज गौरव अवार्ड 2023’ | झारखंड | 01 Jul 2023
चर्चा में क्यों?
28 जून, 2023 को महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई के अंधेरी पश्चिम के मुक्ति फाउंडेशन हॉल में दादा साहब फाल्के आइकॉन अवॉर्ड फिल्म्स ऑर्गनाइजेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में झारखंड निवासी बॉलीवुड एक्टर जावेद पठान को ‘छत्रपति शिवाजी महाराज गौरव अवार्ड 2023’ से सम्मानित किया गया।
प्रमुख बिंदु
- जावेद पठान को यह अवार्ड ‘एनआरआई वाइव्स’फिल्म के लिये मिला, जहाँ उन्हें ‘आइकॉन एक्टर ऑफ द ईयर’ की उपाधि दी गई। फिल्म की शूटिंग अमेरिका में हुई थी।
- विदित है कि ‘छत्रपति शिवाजी महाराज गौरव अवार्ड’ से उन्हें नवाज़ा जाता है जो समाज को एक बेहतर संदेश देते हैं या जिन्होंने समाज के लिये अच्छा काम किया हो। यह अवार्ड सभी क्षेत्र के लोगों को दिया जाता है, चाहे वह फिल्म की दुनिया में हो, साहित्य के क्षेत्र में हो, प्रशासनिक अधिकारी हो या फिर राजनीति के क्षेत्र में हो।
- ‘एनआरआई वाइव्स’ एक सच्ची घरेलू कहानी पर आधारित फिल्म है। इस फिल्म में वास्तविक जीवन से प्रेरित चार एनआरआई कहानियों को दिखाया गया है। इनमें से तीसरी कहानी का नाम ‘डिजायर’है, जिसमें जावेद पठान ने लीड रोल किया है। वे इसमें ग्रे कैरेक्टर में दिखे हैं, उनके किरदार का नाम गौरव है। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे अच्छे लोग जीवन की विषम परिस्थितियों में ग्रे शेड भी दिखा सकते हैं।
- ज्ञातव्य है कि जावेद पठान झारखंड के एक छोटे से शहर धनबाद के रहने वाले हैं और लगातार सफलता की बुलंदियों को छू रहे हैं। इससे पहले 2020 में उन्हें ‘इंडिया ब्रांड आइकॉन अवॉर्ड’ मिला था।
- जावेद पठान अब तक कई टीवी सीरियल, वेब सीरीज और म्यूजिक एल्बम में अपनी दमदार एक्टिंग से दर्शकों को लुभा चुके हैं। जोधा अकबर, विघ्नहर्त्ता गणेश, महाराणा प्रताप, बालवीर और महादेव जैसे कई टीवी शो में उनकी एक्टिंग को खूब पसंद किया गया है।
परवेज़ शीतल की पुस्तक ‘साइलेंट रोजेलिंग्स’का हुआ विमोचन | झारखंड | 01 Jul 2023
चर्चा में क्यों?
28 जून, 2023 को झारखंड की राजधानी राँची के मांडर में भारतीय कॉलेज ऑफ एजुकेशन की ओर से आयोजित दोदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार में ‘शिक्षा की वैश्विक चुनौतियाँ और उसकी शिक्षा में पहुँच विषय’पर चर्चा हुई तथा परवेज़ शीतल की पुस्तक ‘साइलेंट रोजेलिंग्स’का विमोचन भी हुआ।
प्रमुख बिंदु
- इस सेमिनार में पद्मश्री मुकुंद नायक, डॉ. डीएन सिंह, डॉ. कमल कुमार बोस समेत अन्य गणमान्य लोगों ने परवेज़ शीतल की पुस्तक ‘साइलेंट रोजेलिंग्स’का विमोचन किया। इस पुस्तक की खासियत है कि यह पाँच भाषाओं में है।
- धनबाद के कतरासगढ़ के रहने वाले और वर्तमान में गिरिडीह में पदस्थापित परवेज़ शीतल की पुस्तक विश्व की पाँच बड़ी भाषाओं में अनुवादित है। इसके तहत जर्मन, फ्रेंच, इटालियन, स्पैनिश, और टर्किश में इस पुस्तक का अनुवाद हो चुका है।
- राँची विश्वविद्यालय के डीएसडब्ल्यू डॉ. सुदेश कुमार साहू ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम से शोधार्थी एवं प्रशिक्षु छात्रों को बहुत कुछ सीखने का मौका मिलता है और उनका आत्मविश्वास बढ़ता है।
- भारतीय कॉलेज ऑफ एजुकेशन के सचिव नितिन पराशर ने कहा कि उनका प्रयास है कि संस्थान के विद्यार्थियों को हर तरह के कौशल से युक्त किया जाए, जिससे वह समाज में अपना बहुमूल्य योगदान दे सकें। संस्थान का उद्देश्य ग्रामीण इलाके के लोगों को शिक्षित कर समाज को सही दिशा देना है।
- इस दौरान ग्रीस की रानियाँ लौम्पौ एवं हवाई किंगडम की रानी नादिया हारीहिरी व अन्य शिक्षाविदों ने भी वेबिनार के माध्यम से अपने विचार व्यक्त किये।
वैज्ञानिकों ने ढूंढी छत्तीसगढ़ में 10 नई दुर्लभ पौध प्रजातियाँ | छत्तीसगढ़ | 01 Jul 2023
चर्चा में क्यों?
27 जून, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार हाल ही में छत्तीसगढ़ के वैज्ञानिकों की एक टीम ने राज्य में 10 नई दुर्लभ पौध प्रजातियों की पहचान की है। ये प्रजातियाँ बहुत ही दुर्लभ हैं व ज्यादातर वेस्टर्न घाट में पाई जाती हैं।
प्रमुख बिंदु
- पौध प्रजातियों को ढूँढने वाली वैज्ञानिकों की टीम में डॉ. एम. एल. नायक, डॉ. राजेंद्र मिश्रा व डॉ. ए. पी. तिवारी शामिल हैं।
- ये प्रजातियाँ घास, बेला, मध्यम वृक्ष एवं झाड़ियो की हैं जिन्हें उदंती अभयारण्य और कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान से खोजी गई हैं।
- डॉ. एम. एल. नायक ने बताया कि पौध प्रजातियों का सैंपल एकत्रित करके हर्वेरियम बनाया गया है। इन प्रजातियों में 1 घास की प्रजाति, 2 बेला की, 2 मध्यम आकार के वृक्ष की और 5 झाड़ियो की प्रजातियाँ शामिल हैं।
- डॉ. नायक ने बताया कि खोजी गई 10 में से 8 प्रजातियाँ कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान से व शेष 2 प्रजातियाँ उदंती अभयारण्य से खोजी गई हैं।
- उक्त सर्वे अरुण कुमार पांडेय अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक व सदस्य सचिव छत्तीसगढ़ राज्य जैव विविधता बोर्ड के मार्गदर्शन में हुआ।
- उक्त पौध प्रजातियों को देश के जाने-माने जरनल ‘द इंडियन फोरेस्टर’ ने मई के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित किया है।
- वैज्ञानिकों की एक टीम ने जिन पौध प्रजातियों की खोज की है, उनमें शामिल हैं- एलोकेशिया डेसीपियंस, ब्रेयनिया रेटुसा, कोस्मोस्टिग्मा रेसीमोसम, डाइनब्रा पॉलीस्टैचियोस, ड्रैसीना टर्निफ्लोरा, गैम्फोस्टेम्मा परविफ्लोरम, जिमनेमा इनोडोरम, ह्यूबेरेंथा सेरासाइड्स, लेपिसैंथेस टेट्राफिला व सोलेनम इरिंथियम।
लेपिसैंथेस टेट्राफिला
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कोस्मोस्टिग्मा रेसीमोसम
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ड्रैसीना टर्निफ्लोरा
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एलोकेशिया डेसीपियंस
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सोलेनम इरिंथियम
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ह्यूबेरेंथा सेरासाइड्स
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गैम्फोस्टेम्मा परविफ्लोरम
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ब्रेयनिया रेटुसा
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जिमनेमा इनोडोरम
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डाइनब्रा पॉलीस्टैचियोस
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लैंसडौन का नाम जसवंतगढ़ करने का प्रस्ताव पारित | उत्तराखंड | 01 Jul 2023
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड के लैंसडौन छावनी बोर्ड के अध्यक्ष ब्रिगेडियर विजय मोहन चौधरी की अध्यक्षता में हुई बैठक में लैंसडौन नगर का नाम हीरो ऑफ द नेफा महावीर चक्र विजेता शहीद राइफलमैन बाबा जसवंत सिंह रावत के नाम पर जसवंतगढ़ करने का प्रस्ताव पारित किया गया है। छावनी बोर्ड की कार्यालय अधीक्षक विनीता जखमोला ने इसकी पुष्टि की है।
प्रमुख बिंदु
- विदित है कि छावनी परिषद ने वर्षों पुराने छावनी नगर का नाम लैंसडौन से परिवर्तित कर जसवंतगढ़ करने का सुझाव रक्षा मंत्रालय को भेजा है। रक्षा मंत्रालय ने पूर्व में छावनी बोर्ड से नाम बदलने संबंधी सुझाव मांगा था।
- उल्लेखनीय है कि जसवंत सिंह रावत का जन्म राज्य के पौड़ी ज़िले के बीरोंखाल ब्लॉक के दुनाव ग्राम पंचायत के बाड़ियूं गाँव में 19 अगस्त, 1941 को हुआ था। जिस समय वे शहीद हुए उस समय वह गढ़वाल राइफल्स की चौथी बटालियन में सेवारत थे।
- 1962 का भारत-चीन युद्ध अंतिम चरण में था। चीनी सैनिक अरुणाचल प्रदेश के तवांग से आगे तक पहुँच गए थे। जसवंत सिंह रावत सेला टॉप के पास की सड़क के मोड़ पर तैनात थे। इस दौरान वह चीनी मीडियम मशीन को खींचते हुए भारतीय चौकी पर ले आए और उसका मुँह चीनी सैनिकों की तरफ मोड़कर उनको तहस-नहस कर दिया। 72 घंटे तक चीनी सेना को रोककर अंत में 17 नवंबर, 1962 को वह वीरगति को प्राप्त हुए।
- जसवंत सिंह रावत को मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था।