उत्तर प्रदेश में बृहद् ऋण मेले का शुभारंभ | उत्तर प्रदेश | 01 Jul 2022
चर्चा में क्यों?
30 जून, 2022 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोक भवन में आयोजित समारोह में बृहद् ऋण मेले का शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
- इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने 9 हस्तशिल्पियों, कारीगरों एवं उद्यमियों को दिये गए ऋण का प्रतीकात्मक चेक सौंपा।
- सभी 75 जनपदों में आयोजित बृहद् ऋण मेले के इस कार्यक्रम के अंतर्गत ‘प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम’, ‘प्रधानमंत्री मुद्रा योजना’, ‘मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना’, ‘एक जनपद एक उत्पाद वित्त पोषण योजना’ आदि के 1 लाख 90 हजार लाभार्थी हस्तशिल्पियों, कारीगरों एवं उद्यमियों को 16 हजार करोड़ रुपए के ऋण का वितरण किया गया।
- मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर वर्ष 2022-23 की 2.95 लाख करोड़ रुपए की वार्षिक ऋण योजना का विमोचन किया साथ ही कार्यक्रम के दौरान ‘एक जनपद एक उत्पाद योजना’ के अंतर्गत 5 जनपदों-आगरा, अंबेडकरनगर, सीतापुर, आजमगढ़, सिद्धार्थ नगर में स्थापित कॉमन फैसिलिटी सेंटर का उद्घाटन किया।
- कॉमन फैसिलिटी सेंटर की स्थापना से ‘एक जनपद एक उत्पाद योजना’ के हस्तशिल्पियों, कारीगरों, उद्यमियों को आधुनिक तकनीकी से जुड़ने का अवसर मिलेगा। इससे उत्पादों की गुणवत्ता बेहतर होगी और आय में वृद्धि होगी।
- मुख्यमंत्री के समक्ष कार्यक्रम के दौरान अपर मुख्य सचिव एमएसएमई नवनीत सहगल एवं अमेजॉन के वीपी पॉलिसी चेतन कृष्ण स्वामी के मध्य एक एमओयू का आदान-प्रदान किया गया। इसके तहत अमेजॉन छोटी इकाइयों को अपने उत्पादों के निर्यात में सहायता करेगा। अमेजॉन छोटी इकाइयों को डिजिटाइज करने का कार्य किया जा रहा है। इसके लिये अमेजॉन द्वारा कानपुर में एक डिजिटल केंद्र स्थापित किया जा रहा है। यह गुजरात राज्य के सूरत के बाद अमेजॉन द्वारा देश में स्थापित दूसरा केंद्र होगा।
- ज्ञातव्य है कि कानपुर में अमेजॉन के डिजिटल केंद्र का शुभारंभ किया गया है। इस केंद्र के माध्यम से एमएसएमई हस्तशिल्पियों, कारीगरों, उद्यमियों को देश-विदेश में अपने उत्पादों की मार्केटिंग में सहूलियत होगी।
- इसके अतिरिक्त प्रदेश के 35 जनपदों में सिडबी के सहयोग से स्वावलंबन केंद्रों का शुभारंभ किया गया है। यह केंद्र नये उद्यमियों की हैंड होल्डिंग का कार्य करेंगे। भविष्य में प्रदेश के सभी जनपदों में यह केंद्र स्थापित किये जाएंगे।
- मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि बृहद् ऋण मेले का कार्यक्रम एमएसएमई विभाग की 100 दिन की कार्ययोजना का हिस्सा है। एमएसएमई उद्यमियों को ऋण की उपलब्धता से आर्थिक गतिविधियाँ तेजी से आगे बढ़ेंगी। इससे युवाओं को रोजगार मिलेगा। साथ ही, बैंकों का सी.डी. रेशियो भी बढ़ेगा।
- उल्लेखनीय है कि 24 जनवरी, 2018 को ‘एक जनपद एक उत्पाद योजना’ लागू की गई। वर्तमान में यह योजना उत्तर प्रदेश को एक्सपोर्ट का हब बनाकर नई पहचान दिला रही है। वर्ष 2016 में प्रदेश से लगभग 80 हजार करोड़ रुपए का निर्यात होता था, जो अब बढ़कर 1.56 लाख करोड़ रुपए का हो गया है। इससे वर्तमान में प्रदेश की बेरोजगारी दर 3 प्रतिशत से कम है।
- एमएसएमई मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा वार्षिक ऋण योजना 2020-21 के तहत 2 लाख 12 हजार 934 करोड़ रुपए का ऋण वितरित किया गया। एमएसएमई क्षेत्र में 83,061 करोड़ रुपए का ऋण वितरित किया गया है, जो वार्षिक लक्ष्य के सापेक्ष 115 प्रतिशत है। वार्षिक ऋण योजना 2022-23 के अंतर्गत 2.95 लाख करोड़ रुपए के ऋण वितरण का लक्ष्य रखा है।
बिहार में 18 साल बाद सबसे बड़ा राजकोषीय घाट | बिहार | 01 Jul 2022
चर्चा में क्यों?
30 जून, 2022 को बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन सदन में प्रस्तुत CAG की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में वित्त वर्ष 2020-21 में 29 हजार 827 करोड़ रुपए का राजकोषीय घाटा दर्ज किया गया।
प्रमुख बिंदु
- यह रिपोर्ट 31 मार्च, 2021 को खत्म हुए वित्त वर्ष की है। रिपोर्ट के अनुसार बिहार का राजकोषीय घाटा पिछले साल की तुलना में 15,103 करोड़ रुपए बढ़कर 29 हजार 827 करोड़ रुपए हो गया है। यही नहीं, राज्य को 2004-05 के बाद पहली बार 11,325 करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व घाटा हुआ है।
- रिपोर्ट के अनुसार टैक्स में बढ़ोतरी के कारण वित्तीय वर्ष 2020-21 में पिछले साल की तुलना में राजस्व प्राप्तियों में 3,936 करोड़ (3.17 प्रतिशत) की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इस वर्ष मुख्य रूप से प्रतिबद्ध व्यय में वृद्धि के कारण राजस्व खर्च में 13,476 करोड़ (10.69 प्रतिशत) की बढ़ोतरी हुई है।
- रिपोर्ट में बताया गया है कि मार्च 2021 तक नीतीश सरकार ने 92 हजार 687 करोड़ रुपए का उपयोगिता प्रमाण-पत्र भी जमा नहीं किया है। कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अधिक मात्रा में उपयोगिता प्रमाण-पत्र लंबित रहना राशि के दुरुपयोग और धोखाधड़ी के जोखिम को बढ़ाता है। अग्रिम राशि का समायोजन नहीं होना, धोखाधड़ी हो सकता है।
- रिपोर्ट के अनुसार बिहार सरकार ने न तो 12वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार गारंटी मोचन निधि बनाई है और न ही गारंटियों की सीमा निर्धारण के लिये कोई नियम बनाये
एमएसएमई क्षेत्र में बेहतरीन कार्य के लिये करौली ज़िला हुआ राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित | राजस्थान | 01 Jul 2022
चर्चा में क्यों?
30 जून, 2022 को दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित उद्यमी भारत कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के करौली जिले को ‘एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट’ की श्रेणी में दूसरा स्थान पाने के लिये सम्मानित किया।
प्रमुख बिंदु
- एमएसएमई के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिये दिए गए 26 श्रेणी के पुरस्कारों में राजस्थान ने 4 अलग-अलग श्रेणियों में कब्जा जमाया।
- प्रधानमंत्री ने दिव्यांग विजेता सुनीता गुप्ता के साथ चर्चा की। इस दौरान अशोक पारीक एवं अनीता लूनिया को भी विभिन्न श्रेणियों में उल्लेखनीय कार्य के लिये सम्मानित किया गया।
- राजस्थान की उद्योग मंत्री शकुंतला रावत ने कहा कि एमएसएमई नीति में बदलाव के चलते किसी भी उद्योगपति को अब उद्योग स्थापित करने के लिये 3 से 5 वर्ष तक विभिन्न विभागों से एनओसी लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
- उद्योग मंत्री ने कहा कि आगामी 7-8 अक्टूबर को इन्वेस्ट राजस्थान समिट-2022 आयोजित की जाएगी, जिसके माध्यम से प्रदेश में विभिन्न कंपनियों द्वारा निवेश किया जाएगा। इससे न केवल प्रदेश में औद्योगिक विकास को गति मिलेगी, बल्कि युवाओं के लिये रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।
- गौरतलब है कि राज्य के सिरोही, धौलपुर, जैसलमेर और करौली जिलों को ‘एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट’ कार्यक्रम के तहत चयन किया जा चुका है, जिनमें से करौली जिले ने बेहतरीन कार्य के लिये दूसरा स्थान प्राप्त किया है।
- ‘एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्टस’ कार्यक्रम भारत सरकार की महत्त्वकांक्षी योजना है, जिसके जरिये देश के प्रगतिशील जिलों को क्षेत्र विशेष में उल्लेखनीय कार्य के लिये चुना जाता है।
मुख्यमंत्री को टास्क फोर्स ने सौंपा प्रतिवेदन | मध्य प्रदेश | 01 Jul 2022
चर्चा में क्यों?
30 जून, 2022 को मध्य प्रदेश में मातृ और शिशु मृत्यु दर कम करने के लिये गठित टास्क फोर्स की प्रमुख प्रो. शमिका रवि ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अंतिम प्रतिवेदन सौंपा।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि मध्य प्रदेश शासन ने प्रधानमंत्री की इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल में रही प्रो. शमिका रवि की अध्यक्षता में गत जनवरी माह में टास्क फोर्स का गठन किया था। टास्क फोर्स ने निर्धारित अवधि 30 जून को रिपोर्ट सौंपी है।
- टास्क फोर्स की इस रिपोर्ट की सिफारिशों को क्रियान्वित करने से माताओं और शिशुओं की मृत्यु दर को कम करने में सहायता मिलेगी।
- नीति आयोग ने SDG इंडिया इंडेक्स रिपोर्ट में मध्य प्रदेश को अच्छे प्रदर्शन वाले राज्यों की श्रेणी में रखा है, जो इस बात का प्रतीक है कि मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य के सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में अच्छा कार्य किया गया है। अन्य राज्यों की तुलना में मध्य प्रदेश ने टास्क फोर्स का गठन कर विशेष पहल की।
- टास्क फोर्स के प्रतिवेदन में सात अध्याय शामिल हैं। इनमें पोषण की भूमिका, स्वास्थ्य संबंधी आँकड़ों पर नजर रखना, स्वास्थ्य की देखभाल और संसाधनों के अध्ययन, शिशुओं और माताओं की देखभाल में सुधार, वर्तमान स्थिति और पृष्ठभूमि, स्वास्थ्य पर होने वाले व्यय और सुशासन एवं अन्य उपायों से इस क्षेत्र में सुधार के अध्याय शामिल हैं।
- प्रतिवेदन में बच्चों में कुपोषण की समाप्ति और मातृ-शिशु कल्याण के क्षेत्र में अच्छे परिणामों के लिये भौतिक अधोसंरचना और संसाधनों की कमी दूर करने, शिशुओं के पूरक आहार, नियमित टीकाकरण, रोगों की रोकथाम, ब्लड बैंक सुविधाओं का विस्तार, नवजात शिशुओं के लिये रेफरल व्यवस्था और परिवहन सुविधा से संबंधित सुझाव भी शामिल हैं।
- इसके अलावा आँगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों को कुपोषण, स्वास्थ्य शिक्षा और संस्कार देने के मध्य प्रदेश सरकार के प्रयासों और मुख्यमंत्री के नेतृत्व में जन-सहयोग से संचालित अभियान का उल्लेख है।
- मध्य प्रदेश में मातृ-मृत्यु दर 5.8 प्रतिशत की दर से घट रही है, जबकि राष्ट्रीय औसत 7.5 है। इसी प्रकार मध्य प्रदेश में नवजात शिशुओं की मृत्यु दर 0.6% की दर से घट रही है, जबकि राष्ट्रीय औसत दर 3.8 प्रतिशत है।
- टास्क फोर्स ने मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये 5 प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की है, जो निम्न हैं-
- शासन स्तर पर नियमित समीक्षा- मध्य प्रदेश में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा की समग्र व्यवस्था में सुधार के लिये कमियों को समाप्त करने में नियमित समीक्षा उपयोगी है।
- भौतिक अधोसंरचना और संसाधन- यह प्रतिवेदन एक ऐसा रोडमेप प्रदान करता है। इसमें इंडिया न्यूबॉर्न एक्शन प्लान के साथ निवारक मातृ मृत्यु दर को समाप्त करने (Ending Preventable Maternal Mortalitay) जैसे सुधार ढाँचे और पैकेज शामिल हैं। प्रतिवेदन में जनसंख्या के अनुसार संसाधनों की उपलब्धता का विश्लेषण भी किया गया है।
- पोषण- प्रतिवेदन में कहा गया है कि कुपोषण माताओं और शिशुओं के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। रक्ताल्पता चिंतनीय है। कुपोषण के निर्धारकों के लिये यूनिसेफ के सुझाव अनुसार हस्तक्षेप करते हुए अच्छे परिणाम लाने का प्रयास किया जाए। सुपोषित आहार के सेवन के साथ ही टीकाकरण के माध्यम से रोगों की रोकथाम, खाद्य सुरक्षा, पूरक आहार व्यवस्था और उससे संबंधित प्रचार पर जोर दिया गया है।
- वित्त व्यवस्था- मध्य प्रदेश ने स्वास्थ्य क्षेत्र में होने वाले व्यय के संबंध में प्रतिवेदन में समाज के निचले तबके के लिये सहायता बढ़ाने, परिवार स्वास्थ्य खाते के रूप में ओपीडी देखभाल के लिये वित्तीय सहायता का परामर्श दिया गया है। प्रतिवेदन में हेल्थ आउटकम फंड बनाने का सुझाव भी दिया गया है।
- डेटा का उपयोग- प्रतिवेदन में डेटा आर्किटेक्चर में सुधार में डेटा प्रविष्टि, बैकएंड सत्यापन और समस्याओं की यथा समय पहचान को आवश्यक बताया गया है। अनमोल, समग्र, संपर्क और पोषण ट्रेकर; यह सब डेटा पोर्टल मार्गदर्शी हैं। इनसे राज्य शासन लाभार्थियों को मिलने वाली स्वास्थ्य और पोषण सेवाओं का डेटा सुरक्षित रखने और उसका उपयोग योजनाओं की पहुँच सुनिश्चित करने में कर रहा है। प्रतिवेदन में डेटा सिस्टम की वर्तमान चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला गया है।
- टास्क फोर्स ने विभिन्न सुधारों के लिये विशिष्ट सिफारिशें की हैं, जो नागरिक स्वास्थ्य और पोषण के लिये बेहतर सार्वजनिक सेवाओं को सुनिश्चित करती हैं।
हरियाणा को मिला ‘एमएसएमई नेशनल अवार्ड’ में तीसरा स्थान | हरियाणा | 01 Jul 2022
चर्चा में क्यों?
30 जून, 2022 को दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित उद्यमी-भारत कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरियाणा को एमएसएमई के क्षेत्र में किये गए उल्लेखनीय कार्यों हेतु देश में तीसरा स्थान पाने के लिये सम्मानित किया।
प्रमुख बिंदु
- एमएसएमई के क्षेत्र में हरियाणा देश के टॉप-3 राज्यों में शामिल हैं। कार्यक्रम में हरियाणा के दो एमएसएमई को भी अवार्ड मिला है। इनमें डॉ. हरजिंद्र कौर तलवार को वुमैन कैटेगरी के स्मॉल सर्विस इंटरप्राइज में प्रथम तथा रिषभ गुप्ता को मैनुफैक्चरिंग माईक्रो इंटरप्राइज की ओवरऑल कैटेगरी में तीसरे स्थान का अवार्ड मिला है।
- इस अवसर पर हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि हरियाणा के आर्थिक विकास में एमएसएमई का विशेष योगदान रहा है। प्रदेश में लगभग 9.7 लाख एमएसएमई हैं, जो कि बढ़ती अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं।
- दुष्यंत चौटाला ने कहा कि हरियाणा सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में एमएसएमई का समर्थन करने के लिये एक समर्पित विभाग ‘एमएसएमई निदेशालय’ की स्थापना की हुई है, इससे बाजार, प्रौद्योगिकी और कुशल श्रमिकों तक पहुँच आसान हुई है।
- उपमुख्यमंत्री ने बताया कि हरियाणा ने ‘वोकल फॉर ग्लोबल’ के सिद्धांत पर चलते हुए अपनी तरह का एक प्रोग्राम ‘पद्मा’ शुरू किया है, जिसका मुख्य उद्देश्य खंड स्तर पर एक गतिशील, आत्मनिर्भर और संपन्न औद्योगिक बुनियादी ढाँचा तैयार करना है।
- उन्होंने कहा कि भारत सरकार की एमएसई-सीडीपी योजना पर जोर देने के अलावा हरियाणा अपनी तरह की पहली ‘राज्य मिनी क्लस्टर योजना’ भी लेकर आया है। अब तक, एमएसई-सीडीपी योजना के तहत हरियाणा से 140 करोड़ रुपए की लागत के 9 क्लस्टरों को मंजूरी दी गई है। इसमें से भारत सरकार की ओर से 58 करोड़ रुपए की सहायता दी गई है।
- राज्य मिनी क्लस्टर विकास योजना के तहत प्रदेश में 43 एमएसएमई कलस्टर की विभिन्न पहलें, जिनकी कीमत 119 करोड़ रुपए से अधिक है, आरंभ की गई हैं। राज्य सरकार के इन व्यापक क्लस्टर विकास प्रयासों से हरियाणा में 8,000 से अधिक एमएसएमई लाभान्वित हुए हैं।
हरियाणा ‘स्टेट ईंज ऑफ डूईंग बिजनेस’ में शीर्ष राज्यों में शामिल | हरियाणा | 01 Jul 2022
चर्चा में क्यों?
30 जून, 2022 को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी ‘स्टेट ईंज ऑफ डूईंग बिजनेस’ के पाँचवें संस्करण में हरियाणा टॉप अचीवर्स कैटेगरी में शामिल है। हरियाणा के अलावा टॉप अचीवर्स कैटेगरी में आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, पंजाब, तमिलनाडु और तेलंगाना शामिल हैं।
प्रमुख बिंदु
- उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के प्रधान सचिव विजयेंद्र कुमार ने बताया कि उद्योग एवं आंतरिक व्यापार के प्रमोशन के लिये गठित विभाग (डीपीआईआईटी) ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (यूटी) को सुधारात्मक कदमों के कार्यान्वयन और फीडबैक के आधार पर रैंक प्रदान की है।
- उन्होंने बताया कि वर्ष 2020 की कार्ययोजना में 15 क्षेत्रों में 301 सुधार बिंदु शामिल थे। इन सुधारों के कार्यान्वयन में हरियाणा ने 99+ प्रतिशत का स्कोर हासिल किया है। इसके अतिरिक्त निर्यात तैयारी सूचकांक (भूमि बंद श्रेणी)-2021 में राज्य को पहला तथा ‘लॉजिस्टिक्स इज एक्रोस डिफरेंट स्टेटस सर्वे-2021’ में दूसरा स्थान मिला है।
- राज्य सरकार ने राज्य में निवेश के माहौल में सुधार के लिये कई प्रमुख कदम उठाए, जिनमें नई औद्योगिक नीति ‘हरियाणा उद्यम और रोजगार नीति, 2020’ विशेष रही। इन नीति का उद्देश्य राज्य में 5 लाख नौकरियाँ पैदा करना, 1 लाख करोड़ से अधिक का निवेश आकर्षित करना और निर्यात को दोगुना करके 2 लाख करोड़ रुपए करना है।
- राज्य में 100 राज्य-विधियों (अधिनियमों, नियमों और दिशा-निर्देशों) का पुनर्मूल्यांकन किया गया, जिससे प्रदेश में निवेश के अनुकूल माहौल बना है।
- हरियाणा में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के कई निवेश-प्रस्तावों, जैसे- मारुति, फाइवले, ग्रासिम पेंट्स, एटीएल बैटरीज, आरती ग्रीन टेक लिमिटेड, एंपेरेक्स टेक्नोलॉजीज लिमिटेड, एनरिच एग्रो फूड प्रोडक्टस आदि ने रुचि दिखाई है।
- विजयेंद्र कुमार ने बताया कि हरियाणा सरकार की उद्योगों को अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करने की प्रतिबद्धता के कारण ही हरियाणा की ईंज ऑफ डूईंग बिजनेस, ईंज ऑफ लॉजिस्टिक्स और एक्सपोर्ट रेडीनेस में उत्कृष्ट रैंकिंग आई।
IIT, ISM ने स्मार्ट ऑटो-सिंचाई और मृदा निगरानी प्रणाली विकसित की | झारखंड | 01 Jul 2022
चर्चा में क्यों?
30 जून, 2022 को कृषि विज्ञान केंद्र, धनबाद की वैज्ञानिक सीमा सिंह ने बताया कि IIT (ISM), धनबाद ने कोविड-19 से प्रभावित किसानों के संकटग्रस्त परिवारों के लिये कृषि और खेती को प्रेरित एवं संलग्न करने हेतु एक नई स्मार्ट ऑटो-सिंचाई और मृदा निगरानी प्रणाली का उन्नयन विकसित किया है।
प्रमुख बिंदु
- इसका प्रदर्शन कृषि विज्ञान केंद्र (KVK), धनबाद में IIT, (ISM) धनबाद अनुसंधान दल द्वारा 30 जून, 2022 को किया गया। यह परियोजना केवीके, धनबाद में स्थापित की गई है।
- यह परियोजना आईईईई एचएसी (मानवीय गतिविधि समिति) और आईईईई एसआईजीएचटी (मानवतावादी प्रौद्योगिकी पर विशेष रुचि समूह) का हिस्सा है, जो चयनित विकासशील देशों में एक संस्थान के साथ वर्तमान कोविड-19 स्थिति में सुधार के लिये चुना गया है।
- इस नई उन्नत प्रणाली को चलाने और आय के स्थायी स्रोत के रूप में विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इस नई उन्नत प्रणाली से किसानों को लाभ होगा।
- वैज्ञानिक सीमा सिंह ने बताया कि यह परियोजना उन किसानों या कोविड-19 प्रवासियों की मदद करेगी, जो सिंचाई के अधिक कुशल तरीके से खेती करने में कम कुशल हैं।
- प्रस्तावित प्रणाली को स्प्रिंकलर सिस्टम का उपयोग करके कृषि भूमि में अनावश्यक जल अपवाह को दूर करने के लिये डिजाइन किया गया है। सेंसर का उपयोग करके तापमान, हवा की गति, धूप की तीव्रता, मिट्टी की नमी, हवा की नमी और पीएच की रीडिंग की लगातार निगरानी की जाती है। सिस्टम में बिजली की आपूर्ति के लिये सौर पैनलों का इस्तेमाल किया गया है, जिससे यह अधिक टिकाऊ होगा।
- यह छात्रों द्वारा विकसित एक एंड्रॉइड एप्लिकेशन द्वारा आसानी से प्रबंधित किया जाता है, जो ‘एग्रोप्रो 2.0’ नाम से Google Play Store पर उपलब्ध होगा। इंटरफेस को न्यूनतम उपयोग के लिये डिजाइन किया गया है, उपयोग में आसान इंटरफेस के साथ अधिकांश कार्य स्वचालित होते हैं, जिन्हें मानव हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती है।
- नई प्रणाली लागत प्रभावी है और इसे किसान आसानी से वहन कर सकता है। रखरखाव की लागत भी बहुत कम है। सिस्टम कई विशेषताओं के साथ आता है, जिसमें स्वचालित सिंचाई, बहु-भाषा एंड्रॉइड ऐप के माध्यम से नियंत्रण, किसान-सिंचाई सहायता 24×7 निगरानी आदि शामिल हैं।
राजनांदगाँव ज़िला महिला सशक्तीकरण की दिशा में देश के अग्रणी जिलों में शुमार | छत्तीसगढ़ | 01 Jul 2022
चर्चा में क्यों?
हाल ही में नीति आयोग द्वारा छत्तीसगढ़ के आकांक्षी ज़िला राजनांदगाँव को महिला सशक्तीकरण और उनके हित की दिशा में बेहतरीन कार्य करने के लिये अग्रणी जिलों में शुमार किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- जिले में किये गए उत्कृष्ट कार्यों को देखते हुए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा ‘महिलाओं एवं बच्चों पर प्रभाव’ थीम पर राँची में आयोजित जोनल मीटिंग में शामिल होने के लिये कलेक्टर को आमंत्रित किया गया है।
- उल्लेखनीय है कि ज़िला कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा के नेतृत्व में राजनांदगाँव जिले में गोठान को रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा है। महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिये गोठान में उन्हें कार्य कर आत्मनिर्भर करने हेतु प्रोत्साहित किया जा रहा है।
- समूह से जुड़ी महिलाएँ स्थानीय स्तर पर पापड़, बड़ी, अचार, मसाला जैसे विभिन्न उत्पाद बना रही हैं, जिनकी स्कूलों, आँगनबाड़ी केंद्रों एवं छात्रावास में आपूर्ति की जा रही है।
- समूह की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिये उन्हें ऋण प्रदान किया गया है, जिससे उन्हें रोजगार मिला है। सी-मार्ट एवं गोठान परिसर के माध्यम से स्थानीय उत्पादों की बिक्री कर सशक्त बनाया जा रहा है। इसके साथ ही रेलवे स्टेशन में दुकान का निर्माण कर विक्रय किया जा रहा है।
- जिले में आँगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं द्वारा एनीमिक किशोरी बालिका, गर्भवती महिलाओं एवं अन्य महिलाओं के स्वास्थ्य की बेहतरी के लिये निरंतर कार्य किया जा रहा है। महिलाओं के स्वास्थ्य, पोषण एवं शिक्षा के लिये घर-घर जाकर जागरूक किया जा रहा है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में किशोरी बालिकाओं के शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक विकास से संबंधित कार्यशालाएँ आयोजित की जा रही हैं। नवविवाहितों को उनके आने वाले जीवन व मातृत्व से संबंधित जानकारी प्रदान की जा रही है, साथ ही आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिये विभिन्न योजनाओं के बारे में स्वसहायता समूहों की कार्य प्रणाली से अवगत कराया जा रहा है।
- ‘प्रधानमंत्री मातृवंदना योजना’ के अंतर्गत जिले में 125 प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त कर उपलब्धि हासिल की गई है। ‘मुख्यमंत्री सुपोषण योजना’ एवं ‘महतारी जतन योजना’ के अंतर्गत पौष्टिक आहार की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है।
- पोषण मेला, पौष्टिक व्यंजनों से संबंधित प्रतियोगिता एवं अन्य कार्यक्रमों के माध्यम से स्थानीय रूप से उपलब्ध भोजन एवं पौष्टिक आहार की जानकारी दी जा रही है।
- 15 से 49 वर्ष आयु की किशोरी बालिका एवं महिलाओं में एनीमिया दूर करने हेतु स्वास्थ्य विभाग से समन्वय कर एनीमिया जाँच तथा एनीमिक पाए जाने पर आवश्यक दवाइयाँ (आयरन, फोलिक एसिड) उपलब्ध कराई जा रही है। जिले में नशाबंदी के लिये पुलिस विभाग से समन्वय करते हुए ‘निजात अभियान’ के तहत समूह की महिलाएँ जागरूक होकर कार्य कर रही हैं।
धान की रिकॉर्ड खरीदी के बाद चावल जमा करने में छत्तीसगढ़ ने रचा कीर्तिमान | छत्तीसगढ़ | 01 Jul 2022
चर्चा में क्यों?
हाल ही में छत्तीसगढ़ ने केंद्रीय पूल में चावल जमा कराने के मामले में एक नया कीर्तिमान रचते हुए जून माह के अंत तक 50 लाख मीट्रिक टन से अधिक चावल भारतीय खाद्य निगम एवं नागरिक आपूर्ति निगम में जमा करा दिया है।
प्रमुख बिंदु
- राज्य सरकार की किसान हितैषी नीतियों एवं दूरदर्शी निर्णयों के फलस्वरूप खरीफ वर्ष 2021-22 में राज्य में सर्वाधिक धान उपार्जन का कीर्तिमान रचने के बाद समितियों से धान का उठाव और केंद्रीय पूल में चावल जमा कराने के मामले में भी छत्तीसगढ़ ने एक नया कीर्तिमान रचा है।
- खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 में 97.99 लाख मीट्रिक टन धान की समर्थन मूल्य पर रिकॉर्ड खरीदी के साथ ही राज्य में पहली बार माह अप्रैल-मई में ही उपार्जन केंद्रों से शत-प्रतिशत धान का उठाव पूरा कर लिया गया। इसके अलावा संग्रहण केंद्रों में भंडारित लगभग 22.90 लाख मीट्रिक टन धान का भी शत-प्रतिशत उठाव वर्षा पूर्व माह जून में ही कर लिया गया है।
- गौरतलब है कि खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 में उपार्जित 97.99 लाख मीट्रिक टन धान में से 75.03 लाख मीट्रिक टन धान (लगभग 77 प्रतिशत) का उपार्जन केंद्रों से सीधे उठाव मिलरों द्वारा किया गया, जबकि खरीफ विपणन वर्ष 2018-19 में उपार्जित धान का 58 प्रतिशत, वर्ष 2019-20 में उपार्जित धान का 61 प्रतिशत एवं वर्ष 2020-21 में उपार्जित धान का 62 प्रतिशत मात्रा का उपार्जन केंद्रों से मिलरों द्वारा सीधे उठाव किया गया था।
- खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 में उपार्जन केंद्रों से सीधे मिलरों द्वारा धान का रिकॉर्ड उठाव करने के कारण परिवहन व्यय, सूखत की मात्रा एवं धान की सुरक्षा एवं रखरखाव के व्यय में भी बीते वर्षों की तुलना में कमी आई है।
- राज्य सरकार द्वारा धान उठाव व कस्टम मिलिंग हेतु निर्धारित व्यवस्था व व्यवहारिक नीतियों के फलस्वरूप न केवल धान का समय पर उठाव सुनिश्चित हुआ, अपितु कस्टम मिलिंग तेजी से हुई, जिसके कारण राज्य ने चावल जमा करने में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है।
- अब तक भारतीय खाद्य निगम में लगभग 25.74 लाख मीट्रिक टन एवं नागरिक आपूर्ति निगम में लगभग 24.35 लाख मीट्रिक टन इस प्रकार कुल 50.09 लाख मीट्रिक टन चावल जमा किया जा चुका है।
- उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020-21 में जून माह के अंत तक 36.56 लाख मीट्रिक टन चावल जमा किया गया था। इस वर्ष जमा कराए गए चावल की मात्रा बीते वर्ष की तुलना में लगभग 13.44 लाख मीट्रिक टन अधिक है। भारतीय खाद्य निगम एवं नागरिक आपूर्ति निगम में चावल जमा का कार्य निरंतर रूप से जारी है।