पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान | हरियाणा | 01 Jun 2022
चर्चा में क्यों?
31 मई, 2022 को हरियाणा सरकार ने पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान (एनएमपी) के कार्यान्वयन की निगरानी के लिये मुख्य सचिव संजीव कौशल की अध्यक्षता में 19 सदस्यीय सचिवों के अधिकार-प्राप्त समूह (ईजीओएस) का गठन किया है।
प्रमुख बिंदु
- ईजीओएस का कार्यक्षेत्र राज्य मास्टर प्लान के कार्यान्वयन की समीक्षा और निगरानी करना तथा पायलट आधार पर बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये क्षेत्र आधारित दृष्टिकोण में सभी उपयोगी सेवाओं के साथ सड़कों, रेललाइन आदि के निर्माण हेतु विभिन्न गतिविधियों के समन्वय के लिये एक प्रक्रिया और एक निश्चित समय सीमा निर्धारित करना है।
- इसके अतिरिक्त हरियाणा में ‘राज्य रसद समन्वय प्रकोष्ठ’ अब ‘पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान’ (एनएमपी) के लिये ‘तकनीकी सहायता इकाई’ (टीएसयू) के रूप में कार्य करेगा। यह प्रकोष्ठ प्रदेश में ‘पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान’ (एनएमपी) के संचालन के लिये राज्यस्तरीय संस्थागत सेटअप के रूप में काम करेगा।
- गौरतलब है कि वर्ष 2021 में भारत सरकार ने लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने के लिये समन्वित और बुनियादी अवसंरचना परियोजनाओं के निष्पादन हेतु महत्त्वाकांक्षी गति शक्ति योजना या ‘नेशनल मास्टर प्लान फॉर मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी प्लान’ लॉन्च किया है।
- इसके प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
- ज़मीनी स्तर पर कार्य में तेज़ी लाने, लागत को कम करने और रोज़गार सृजन पर ध्यान देने के साथ-साथ आगामी चार वर्षों में बुनियादी अवसंरचना परियोजनाओं की एकीकृत योजना और कार्यान्वयन सुनिश्चित करना।
- गति शक्ति योजना के तहत वर्ष 2019 में शुरू की गई 110 लाख करोड़ रुपए की ‘राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन’ को शामिल करना।
- लॉजिस्टिक्स लागत में कटौती, कार्गो हैंडलिंग क्षमता को बढ़ाना और व्यापार को बढ़ावा देने हेतु बंदरगाहों पर टर्नअराउंड समय को कम करना।
- 11 औद्योगिक गलियारे और दो नए रक्षा गलियारे (एक तमिलनाडु में और दूसरा उत्तर प्रदेश में) बनाना।
- इसके तहत सभी गाँवों में 4G कनेक्टिविटी का विस्तार किया जाएगा, साथ ही गैस पाइपलाइन नेटवर्क में 17,000 किलोमीटर की क्षमता जोड़ने की योजना बनाई जा रही है।
- यह वर्ष 2024-25 के लिये सरकार द्वारा निर्धारित महत्त्वाकांक्षी लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करेगा, जिसमें राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क की लंबाई को 2 लाख किलोमीटर तक विस्तारित करना, 200 से अधिक नए हवाई अड्डों, हेलीपोर्ट और वाटर एयरोड्रोम का निर्माण करना शामिल है।