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भारत रोज़गार रिपोर्ट 2024
चर्चा में क्यों?
मानव विकास संस्थान और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) द्वारा जारी भारत रोज़गार रिपोर्ट 2024 के अनुसार, वर्ष 2004-05 तथा वर्ष 2021-22 के बीच राज्यों के 'रोज़गार स्थिति सूचकांक' में सुधार हुआ है।
मुख्य बिंदु
- वर्ष 2004-05 और वर्ष 2021-22 के बीच "रोज़गार स्थिति सूचकांक" में सुधार हुआ है, लेकिन बिहार, ओडिशा, झारखंड तथा उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्य इस अवधि में सबसे निचले स्थान पर रहे हैं।
- जबकि कुछ अन्य राज्य दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, उत्तराखंड और गुजरात शीर्ष पर रहे हैं।
- यह सूचकांक सात श्रम बाज़ार परिणाम संकेतकों पर आधारित है:
- नियमित औपचारिक कार्य में नियोजित श्रमिकों का प्रतिशत;
- आकस्मिक मज़दूरों का प्रतिशत;
- गरीबी रेखा से नीचे स्व-रोज़गार श्रमिकों का प्रतिशत;
- कार्य भागीदारी दर;
- आकस्मिक मज़दूरों की औसत मासिक कमाई;
- माध्यमिक और उच्च-शिक्षित युवाओं की बेरोज़गारी दर;
- रोज़गार और शिक्षा या प्रशिक्षण से बाहर युवा।
- रिपोर्ट में रोज़गार की खराब स्थितियों के बारे में चिंता व्यक्त की गई है: गैर-कृषि रोज़गार की ओर धीमी गति से बदलाव उलट गया है; स्व-रोज़गार और अवैतनिक पारिवारिक कार्यों में वृद्धि के लिये बड़े पैमाने पर महिलाएँ ज़िम्मेदार हैं; युवाओं का रोज़गार वयस्कों के रोज़गार की तुलना में खराब गुणवत्ता का है; मज़दूरी तथा कमाई स्थिर है या घट रही है।
- रोज़गार गुणवत्ता: लगभग 82% कार्यबल अनौपचारिक क्षेत्र में लगा हुआ है और लगभग 90% अनौपचारिक रूप से कार्यरत है। स्व-रोज़गार और अवैतनिक पारिवारिक कार्य में विशेषकर महिलाओं के लिये वृद्धि हुई है।
- महिलाओं की भागीदारी: भारत में महिला श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) दुनिया में सबसे कम है। वर्ष 2000 और वर्ष 2019 के बीच महिला LFPR में 14.4% अंक (पुरुषों के लिये 8.1% अंक की तुलना में) की गिरावट आई।
- इसके बाद प्रवृत्ति उलट गई, वर्ष 2019 और वर्ष 2022 के बीच महिला LFPR में 8.3% अंक (पुरुष LFPR के लिये 1.7% अंक की तुलना में) की वृद्धि हुई।
- संरचनात्मक परिवर्तन: कुल रोज़गार में कृषि की हिस्सेदारी वर्ष 2000 में 60% से गिरकर वर्ष 2019 में लगभग 42% हो गई। यह बदलाव बड़े पैमाने पर निर्माण और सेवाओं द्वारा अवशोषित किया गया था, कुल रोज़गार में हिस्सेदारी वर्ष 2000 में 23% से बढ़कर वर्ष 2019 में 32% हो गई
- युवा रोज़गार: युवा रोज़गार में वृद्धि हुई है, लेकिन काम की गुणवत्ता चिंता का विषय बनी हुई है, खासकर योग्य युवा श्रमिकों के लिये। वर्ष 2022 में कुल बेरोज़गार आबादी में बेरोज़गार युवाओं की हिस्सेदारी 82.9% थी।
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