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मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था वर्ष 2047 तक 2.1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) की एक रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था वर्ष 2047-48 तक 2.1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की क्षमता रखती है, जो वर्तमान में 164.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर के आसपास है।
मुख्य बिंदु
- रिपोर्ट के बारे में:
- "मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था की परिकल्पना@2047" शीर्षक वाली रिपोर्ट में आर्थिक विकास के लिये एक दृष्टिकोण की रूपरेखा दी गई है, जिसमें प्रमुख क्षेत्रों, नीतिगत हस्तक्षेपों और निवेश के अवसरों की पहचान की गई है, जो राज्य के परिवर्तन को गति देंगे।
- CII के महानिदेशक ने कहा कि निवेश को बढ़ावा देने और विकास को गति देने के लिये समर्पित एक सक्रिय राज्य सरकार के साथ, मध्य प्रदेश 2047-48 तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद में अपना योगदान मौजूदा 4.6% से बढ़ाकर 6.0% करने की स्थिति में है।
- इसके अलावा, रिपोर्ट इस बात पर ज़ोर देती है कि मध्य प्रदेश को अपने महत्त्वाकांक्षी विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये, विनिर्माण और औद्योगिक विस्तार को केंद्र में रखना होगा।
- कृषि और विनिर्माण का योगदान: कृषि क्षेत्र वर्तमान में मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था में 43% योगदान देता है, जबकि दीर्घकालिक विकास को बनाए रखने के लिये विनिर्माण का हिस्सा 2047 तक 7.2% से बढ़कर 22.2% होना चाहिये।
- रिपोर्ट का आधार: यह रिपोर्ट व्यापक डेटा विश्लेषण और हितधारक परामर्श पर आधारित है, जिसमें उद्योग जगत के नेताओं, नीति निर्माताओं और अकादमिक विशेषज्ञों के इनपुट शामिल हैं।
- यह मध्य प्रदेश की पूरी आर्थिक क्षमता को अनलॉक करने, सतत विकास, रोज़गार सृजन और बढ़ी हुई प्रतिस्पर्द्धा सुनिश्चित करने के लिये एक रूपरेखा के रूप में कार्य करती है।
- रिपोर्ट में चार प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की है:
- परिवहन बुनियादी ढाँचे का विस्तार, जैसे मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क और एयर कार्गो हब का विकास।
- कुशल कार्यबल की उपलब्धता बढ़ाने के लिये कौशल विकास और कौशल पार्क की स्थापना।
- व्यवसाय करने में आसानी के लिये सिंगल विंडो सिस्टम (SWS) की दक्षता को बढ़ाना।
- MSME का विस्तार करने के लिये योजनाएँ, जैसे रियायती ऋण व्यवस्था, बाजार पहुँच में सुधार और तकनीकी उन्नयन।
भारतीय उद्योग परिसंघ
- CII एक गैर-सरकारी, गैर-लाभकारी, उद्योग-नेतृत्व वाला और उद्योग-प्रबंधित संगठन है।
- यह सलाहकारी और परामर्शी प्रक्रियाओं के माध्यम से उद्योग, सरकार और नागरिक समाज के साथ साझेदारी करके भारत के विकास के लिये अनुकूल वातावरण बनाने और बनाए रखने के लिये काम करता है।
- इसकी स्थापना 1895 में हुई तथा इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
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