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स्टेट पी.सी.एस.

  • 01 Mar 2022
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बिहार Switch to English

बिहार बजट 2022-23

चर्चा में क्यों

28 फरवरी, 2022 को बिहार के वित्तमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने वर्ष 2022-23 के लिये बजट प्रस्तुत किया।

प्रमुख बिंदु 

  • बिहार बजट 2022-23 छ: सूत्रों- स्वास्थ्य, शिक्षा, उद्योग में निवेश, कृषि एवं संबंधित क्षेत्र, आधारभूत संरचना (ग्रामीण एवं शहरी) तथा विभिन्न वर्गों का कल्याण पर आधारित है।
  • बजट 2022-23 से संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्नलिखित हैं-
    • कुल व्यय - 2,37,691,19 करोड़ रुपए
      • राजस्व व्यय - 1,91,9566.7 करोड़ रुपए
      • पूंजीगत व्यय - 45,734.52 करोड़ रुपए
    • कुल प्राप्तियाँ - 2,37,891.94 करोड़ रुपए
    • राजकोषीय घाटा- 25,885.10 करोड़ रुपए (सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 3.47 प्रतिशत)
  • राजकोषीय घाटे का बजट अनुमान FRBM अधिनियम की निर्धारित सीमा (2022-33 के लिये 4.0 प्रतिशत) के अंदर है।
  • वर्ष 2022-23 के लिये राज्य की आर्थिक संवृद्धि दर 9.7 प्रतिशत अनुमानित है।
  • बजट में सुशासन के अंतर्गत आत्मनिर्भर बिहार के सात निश्चय-2 योजना के लिये वित्तीय वर्ष 2022-23 हेतु 500 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान किया गया है।
    • निश्चय 1. युवा शक्ति-बिहार की प्रगति
    • निश्चय 2. सशक्त महिला, सक्षम महिला
    • निश्चय 3. हर खेत तक सिंचाई का पानी
    • निश्चय 4. स्वच्छ गाँव-समृद्ध गाँव
    • निश्चय 5. स्वच्छ शहर-विकसित शहर
    • निश्चय 6. सुलभ संपर्कता
    • निश्चय 7. सबके लिये अतिरिक्त स्वास्थ्य सुविधा

राजस्थान Switch to English

‘नायाब हुनर हाट’प्रदर्शनी का उद्घाटन

चर्चा में क्यों?

28 फरवरी, 2022 को राजस्थान की उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री शकुन्तला रावत ने जयपुर में अर्बन हाट (जल महल के सामने) ‘नायाब हुनर हाट’प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया। यह प्रदर्शनी 14 मार्च तक आयोजित की जाएगी।

प्रमुख बिंदु  

  • इस प्रदर्शनी का आयोजन उद्यम प्रोत्साहन संस्थान एवं राजस्थान अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम लिमिटेड के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है। 
  • ‘नायाब हुनर हाट’प्रदर्शनी में लगभग 100 अधिक दस्तकारों एवं बुनकरों द्वारा भाग लिया जा रहा है, जिसमें मुख्यत: लाख की चूड़ी, कुंदन मीनाकारी, पेंटिंग, आर्टीफिशियल ज्वैलरी, ब्लू पॉटरी, मार्बल एवं मेटल हैंडीक्राफ्ट, वुडन हैंडीक्राफ्ट, टेराकोटा, हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग आदि के दस्तकारों द्वारा स्टॉल्स लगाए गए हैं। 
  • इसके अतिरिक्त विभिन्न संस्थानों- बुनकर संघ, राजस्थान हथकरघा विकास निगम, खादी बोर्ड एवं क्राफ्ट कौंसिल ऑफ वीवर्स एंड आटॉजन्स आदि के भी स्टॉल्स लगाए गए हैं। 
  • प्रदर्शनी आयोजन स्थन पर ब्लू पोटरी, करघों पर कपड़ा बुनाई, चाक से बर्तन बनाना, लाख चूड़ी आदि पर लाईव डेमो की भी व्यवस्था की गई है। आयोजन स्थल पर कार्यक्रम के दौरान विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। 
  • इस अवसर पर मंत्री शकुंतला रावत ने कहा कि राजस्थान की दस्तकारी कला विश्व प्रसिद्ध है, यहाँ प्रत्येक क्षेत्र में कोई-न-कोई कला मौजूद है। इस तरह के आयोजनों से दस्तकारों को उत्पादों को बेचने के लिये मार्केट सपोर्ट मिलता है। राजस्थान में दस्तकारों, हैंडलूम एवं विभिन्न कलाओं के विकास की काफी संभावनाएँ हैं, राज्य सरकार हैंडलूम हैंडीक्राफ्ट् निदेशालय भी बनाने जा रही है। कलाओं और दस्तकारों के उत्थान के लिये कई प्रयास किये जा रहे हैं, यही कारण है कि राजस्थान से हैंडीक्राफ्ट का निर्यात भी बढ़ा है।

हरियाणा Switch to English

हरियाणा की ‘रेशमा’बनी भारत में सबसे ज़्यादा दूध देने वाली भैंस

चर्चा में क्यों?

28 फरवरी, 2022 को नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) द्वारा हरियाणा के कैथल के बूढ़ा खेड़ा गाँव की मुर्राह नस्ल की ‘रेशमा भैंस’को 33.8 लीटर दूध देने के लिये सर्टिफिकेट प्रदान किया गया। इसके साथ ही रेशमा पूरे भारत में सबसे ज़्यादा दूध देने वाली भैंस बन गई है।

प्रमुख बिंदु 

  • रेशमा ने पहली बार जब बच्चे को जन्म दिया तो 19-20 लीटर दूध दिया था। दूसरी बार उसने 30 लीटर दूध दिया। जब तीसरी बार रेशमा माँ बनी तो 33.8 लीटर दूध के साथ एक नया कीर्तिमान स्थापित किया।
  • कई डॉक्टरों की टीम ने रेशमा का 7 बार दूध निकालकर देखा, जिसके बाद वह भारत में सबसे ज़्यादा दूध देने वाली भैंस बन गई। नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) की सर्टिफिकेट साथ रेशमा उन्नत किस्म की पहले नंबर की श्रेणी में आ गई है। इसकी दूध की फैट की गुणवत्ता 10 में से 9.31 है।
  • रेशमा ने डेयरी फार्मिंग एसोसिएशन की तरफ से लगाए गए पशु मेले में भी 31.213 लीटर दूध के साथ प्रथम पुरस्कार जीता है। इसके अलावा और भी कई इनाम रेशमा ने जीते हैं।
  • उल्लेखनीय है कि हरियाणा सहित पूरे देश में प्रसिद्ध रहे मुर्राह नस्ल के भैंसा ‘सुल्तान’ के मालिक नरेश व राजेश बेनीवाल ही रेशमा के भी मालिक हैं। सुल्तान वर्ष 2013 में हुई राष्ट्रीय पशु सौंदर्य प्रतियोगिता में झज्जर, करनाल और हिसार में राष्ट्रीय विजेता रह चुका था।
  • सुल्तान सालभर में 30 हज़ार सीमेन की डोज देता था, जो लाखों रुपए में बिकती थी। सुल्तान की सिंतबर 2021 में मौत हो गई थी।

छत्तीसगढ़ Switch to English

डी.एन.बी. कोर्स के लिये राज्य के तीन ज़िला अस्पताल को मिली मान्यता

चर्चा में क्यों?

28 फरवरी, 2022 को नेशनल बोर्ड ऑफ एक्जामिनेशन्स इन मेडिकल साइंसेज (NBEMS), नई दिल्ली द्वारा छत्तीसगढ़ के रायपुर, कांकेर और सूरजपुर स्थित ज़िला अस्पतालों को दोवर्षीय पोस्ट एमबीबीएस डिप्लोमा कोर्स डी.एन.बी. के लिये मान्यता दी गई। 

प्रमुख बिंदु 

  • ज़िला अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की मौजूदगी और गुणवत्तापूर्ण इलाज के कारण राज्य में डी.एन.बी. पाठ्यक्रम की सीटों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
  • उल्लेखनीय है कि नेशनल बोर्ड ऑफ एक्जामिनेशन्स द्वारा हाल ही में दुर्ग ज़िला अस्पताल को भी ई.एन.टी. (नाक, कान, गला) और पिडियाट्रिक (शिशु रोग) में दो-दो सीटों के लिये डी.एन.बी. कोर्स की मान्यता प्रदान की गई थी। 
  • इसके साथ ही दुर्ग ज़िला अस्पताल डी.एन.बी. कोर्स के लिये मान्यता हासिल करने वाला छत्तीसगढ़ का पहला संस्थान बना था। 
  • इन सभी अस्पतालों को पाँच-पाँच वर्ष के लिये इस कोर्स की अनुमति दी गई है। रायपुर ज़िला अस्पताल को जनवरी-2022 से दिसंबर-2026 तक के लिये डी.एन.बी. की कुल छह सीटों की मान्यता मिली है। इनमें पिडियाट्रिक्स (शिशु रोग) की तीन, प्रसूति एवं स्त्री रोग की दो और फैमिली मेडिसिन की एक सीट शामिल हैं।
  • कांकेर ज़िला अस्पताल को जनवरी 2022 से दिसंबर 2026 तक के लिये नेत्र रोग में डी.एन.बी. की एक सीट के लिये तथा सूरजपुर ज़िला अस्पताल को जनवरी 2021 से दिसंबर 2025 तक स्त्री एवं प्रसूति रोग में एक सीट के लिये मान्यता प्रदान की गई है। 
  • इस प्रकार राज्य के इन 4 ज़िला अस्पतालों में डीएनबी की कुल 12 सीटों की अनुमति प्रदान की गई है।

उत्तराखंड Switch to English

लघु फिल्म ‘पताल-ती’

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उत्तराखंड की भोटिया जनजाति पर केंद्रित लघु फिल्म ‘पताल-ती’का चयन दक्षिण कोरिया के बुसान शहर में आयोजित होने वाले 39वें इंटरनेशनल शार्ट फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शन के लिये किया गया है।

प्रमुख बिंदु 

  • बुसान फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित की जाने वाली इस फिल्म का निर्माण-निर्देशन रुद्रप्रयाग ज़िले के संतोष रावत द्वारा किया गया  है। 
  • फेस्टिवल के लिये चयनित कुल 40 फिल्मों में इस फिल्म को 14वां स्थान मिला है। बुसान फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित की जाने वाली इन फिल्मों में से चार सर्वश्रेष्ठ फिल्मों को ऑस्कर समेत विभिन्न विश्वस्तरीय पुरस्कारों के लिये भेजा जाएगा।
  • यह फिल्म भोटिया जनजाति के एक ऐसे किशोर की कहानी पर आधारित है, जो अपने मरणासन्न दादा की आखिरी इच्छा पूरी करने के लिये भूत और भौतिक के बीच की दूरी को नापता है।

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