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राजस्थान स्टेट पी.सी.एस.

  • 21 Dec 2024
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पवित्र उपवनों के प्रबंधन की नीति

चर्चा में क्यों?

हाल ही में एक निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह देशभर में पवित्र उपवनों (Sacred Groves) के प्रबंधन के लिये एक समग्र नीति तैयार करे।

मुख्य बिंदु

  • सर्वोच्च न्यायालय की अनुशंसा:
    • केंद्र सरकार से पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) के माध्यम से पवित्र उपवनों के संरक्षण के लिये प्रयासों को आगे बढ़ाने का आग्रह किया गया।
    • वन्यजीव और पर्यावास प्रबंधन की मुख्य ज़िम्मेदारी राज्य सरकारों पर रही है, फिर भी न्यायालय ने पवित्र उपवनों के संरक्षण के महत्त्व को सांस्कृतिक और पारंपरिक अधिकारों के संदर्भ में रेखांकित किया है।
  • पवित्र उपवनों के लिये कार्य योजना:
    • पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को पवित्र उपवनों के राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण के लिये एक योजना विकसित करने का कार्य निर्दिष्ट किया गया था, जिसमें उनके क्षेत्र और विस्तार की पहचान करना भी शामिल था।
    • केंद्र सरकार को निर्वनीकरण (वनों की कटाई) या भूमि उपयोग में परिवर्तन के कारण पवित्र उपवनों की संख्या में कमी को रोकने के लिये सख्त निर्देश जारी करने का निर्देश दिया गया।
    • बागों की सीमाओं को चिह्नित किया जाना चाहिये, लेकिन भविष्य में विकास के लिये उन्हें अनुकूलित रखा जाना चाहिये।
  • राजस्थान के लिये न्यायालय के निर्देश:
    • न्यायालय ने राजस्थान सरकार को निर्देश दिया कि वह जमीनी और उपग्रह दोनों तरीकों से पवित्र उपवनों का मानचित्रण करे।
    • इन उपवनों को वन के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिये तथा इनके आकार की परवाह किए बिना इन्हें वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत कानूनी संरक्षण प्रदान किया जाना चाहिये।
  • पारंपरिक समुदायों का सशक्तीकरण:
    • न्यायालय ने पारंपरिक समुदायों को, विशेष रूप से वन अधिकार अधिनियम, 2006 के अंतर्गत, पवित्र उपवनों के संरक्षक के रूप में सशक्त बनाने का सुझाव दिया।
    • इन समुदायों को उनके संरक्षण की विरासत को संरक्षित करने और सतत् संरक्षण को बढ़ावा देने के लिये हानिकारक गतिविधियों को विनियमित करने का अधिकार दिया जाना चाहिये।

पवित्र उपवन

  • पवित्र उपवन वे वन क्षेत्र हैं जो पारंपरिक रूप से स्थानीय समुदायों द्वारा उनके धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व के कारण संरक्षित हैं।
  • ये उपवन स्थानीय जैव विविधता के संरक्षण में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • पवित्र उपवन सामान्यतः तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और महाराष्ट्र में पाए जाते हैं।


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