उत्तराखंड
उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग - रणनीति
- 01 Aug 2021
- 23 min read
रणनीति की आवश्यकता क्यों?
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उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (यू.के.पी.एस.सी.), हरिद्वार द्वारा आयोजित परीक्षा में सफलता सुनिश्चित करने के लिये उसकी प्रकृति के अनुरूप उचित एवं गतिशील रणनीति बनाने की आवश्यकता है। यू.के.पी.एस.सी. - रणनीति
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यह वह प्रथम प्रक्रिया है जिससे आपकी आधी सफलता प्रारम्भ में ही सुनिश्चित हो जाती है।
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ध्यातव्य है कि यह परीक्षा सामान्यत: तीन चरणों (प्रारंभिक, मुख्य एवं साक्षात्कार) में आयोजित की जाती है, जिसमें प्रत्येक अगले चरण में पहुँचने के लिये उससे पूर्व के चरण में सफल होना आवश्यक है।
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इन तीनों चरणों की परीक्षा की प्रकृति एक-दूसरे से भिन्न होती है। अत: प्रत्येक चरण में सफलता सुनिश्चित करने के लिये अलग-अलग रणनीति बनाने की आवश्यकता है।
प्रारम्भिक परीक्षा की रणनीति:
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अन्य राज्य लोक सेवा आयोगों की भाँति उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की प्रारम्भिक परीक्षा में भी प्रश्नों की प्रकृति वस्तुनिष्ठ (बहुविकल्पीय) प्रकार की होती है।
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आयोग द्वारा वर्ष 2014 में इस प्रारम्भिक परीक्षा की प्रकृति में बदलाव किया गया। इसके अनुसार अब इस परीक्षा में दो अनिवार्य प्रश्नपत्र क्रमशः ‘सामान्य अध्ययन’ एवं ‘सामान्य बुद्धिमत्ता परीक्षण’ (जनरल एप्टिट्यूड टेस्ट) पूछे जाते हैं। यह प्रारम्भिक परीक्षा कुल 300 अंकों की होती है।
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इन दोनों प्रश्नपत्रों में प्राप्त किये गए अंकों के योग के आधार पर कट-ऑफ का निर्धारण किया जाता है।
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राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ राज्यों की भाँति यहाँ भी निगेटिव मार्किंग की व्यवस्था है। इस परीक्षा में प्रत्येक गलत उत्तर के लिए एक चौथाई (1/4) अंक दण्ड स्वरुप काटे जाते हैं।
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प्रारम्भिक परीक्षा में अपनी सफलता सुनिश्चित करने के लिये सर्वप्रथम इसके पाठ्यक्रम का गहन अध्ययन करें एवं उसके समस्त भाग एवं पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सुविधा एवं रूचि के अनुसार वरीयता क्रम निर्धारित करें।
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विगत 5 से 10 वर्षों में प्रारम्भिक परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों का सूक्ष्म अवलोकन करें और उन बिंदुओं तथा शीर्षकों पर ज्यादा ध्यान दें जिससे विगत वर्षों में प्रश्न पूछने की प्रवृत्ति ज्यादा रही है।
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प्रथम प्रश्नपत्र ‘सामान्य अध्ययन’ का पाठ्यक्रम मुख्यतः 6 भागों में विभाजित है। इसमें मुख्यत: परम्परागत सामान्य अध्ययन, उत्तराखंड राज्य विशेष एवं समसामयिक घटनाओं से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। इसकी विस्तृत जानकारी ‘पाठ्यक्रम’ शीर्षक में दी गई है।
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इस प्रश्नपत्र के प्रश्न मुख्यत: भारत का इतिहास, संस्कृति एवं राष्ट्रीय आन्दोलन, उत्तराखंड का इतिहास एवं संस्कृति, भारत एवं विश्व का भूगोल, उत्तराखंड का भूगोल, भारतीय राजव्यवस्था, अंतर्राष्ट्रीय संगठन, उत्तराखंड की राजव्यवस्था, आर्थिक एवं सामाजिक विकास, उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था, सामान्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, राज्य, राष्ट्र एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की समसामयिक घटनाओं से सम्बंधित होते हैं।
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इस परीक्षा के पाठ्यक्रम और विगत वर्षो में पूछे गये प्रश्नों की प्रकृति का सूक्ष्म अवलोकन करने पर ज्ञात होता है कि इसके कुछ खण्डों की गहरी अवधारणात्मक एवं तथ्यात्मक जानकारी अनिवार्य है। जैसे- ‘सत्यशोधक समाज’ की स्थापना किसने की थी? लोकसभा सचिवालय प्रत्यक्ष रूप से किसकी देखरेख में कार्य करता है? उत्तराखंड में ‘दून’ किसे कहा जाता है? इत्यादि।
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उपरोक्त से स्पष्ट है कि यू.के.पी.एस.सी. की इस प्रारम्भिक परीक्षा में उत्तराखंड राज्य विशेष से लगभग 25-30% प्रश्न पूछे जाते हैं। अत: उत्तराखंड राज्य विशेष से सम्बंधित प्रश्नों को हल करने के लिये उत्तराखंड सरकार के प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘उत्तराखंड राज्य विशेष’ या बाजार में उपलब्ध किसी मानक राज्य स्तरीय पुस्तक का अध्ययन करना लाभदायक रहेगा।
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इन प्रश्नों को याद रखने और हल करने का सबसे आसान तरीका है कि विषय की तथ्यात्मक जानकारी से सम्बंधित संक्षिप्त नोट्स बना लिया जाए और उसका नियमित अध्ययन किया जाए जैसे– एक प्रश्न पूछा गया कि ‘टिहरी जल विद्युत परियोजना किन नदियों पर बनायी गई है । ऐसे प्रश्नों के उत्तर के लिये भारत की प्रमुख जल विद्युत परियोजनाओं एवं उनकी अवस्थिति से सम्बंधित एक लिस्ट तैयार कर लेनी चाहिये।
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इस परीक्षा में पूछे जाने वाले परम्परागत सामान्य अध्ययन के प्रश्न के लिये एन.सी.ई.आर.टी. की पुस्तकों का अध्ययन करना लाभदायक रहता है। साथ ही दृष्टि वेबसाइट पर उपलब्ध सम्बंधित पाठ्य सामग्री एवं दृष्टि प्रकाशन द्वारा प्रकाशित ‘दृष्टि करेंट अफेयर्स टुडे’ के परम्परागत सामान्य अध्ययन के ‘विशेषांक खण्डों’ का अध्ययन करना अभ्यर्थियों के लिये अत्यंत लाभदायक रहेगा।
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‘समसामयिक घटनाओं’ के लिये किसी दैनिक अख़बार जैसे- द हिन्दू, दैनिक जागरण (राष्ट्रीय संस्करण) इत्यादि के साथ-साथ दृष्टि वेबसाइट पर उपलब्ध करेंट अफेयर्स के बिन्दुओं का अध्ययन कर सकते हैं। इसके अलावा इस खंड की तैयारी के लिये मानक मासिक पत्रिका ‘दृष्टि करेंट अफेयर्स टुडे’ का अध्ययन करना लाभदायक सिद्ध होगा।
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द्वितीय प्रश्नपत्र ‘सामान्य बुद्धिमत्ता परीक्षण’ का पाठ्यक्रम मुख्यतः 2 भागों में विभाजित है। इसके प्रथम भाग में 80 प्रश्न अभिक्षमता परीक्षण, संप्रेषण व अंतर वैयक्तिक कुशलता, तार्किक एवं विश्लेषणात्मक योग्यता, निर्णय लेना एवं समस्या समाधान, सामान्य मानसिक योग्यता, संख्यात्मक अभिज्ञान एवं सांख्यिकी विश्लेषण से सम्बंधित तथा द्वितीय भाग में 20 प्रश्न अंग्रेजी एवं हिंदी भाषा में बोधगम्यता कौशल एवं व्याकरण से सम्बंधित पूछे जाते हैं। इसकी विस्तृत जानकारी ‘पाठ्यक्रम’ शीर्षक में दी गई है।
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सीसैट से सम्बंधित प्रश्नों का अभ्यास पूर्व में पूछे गए प्रश्नों को विभिन्न खंडों में वर्गीकृत कर के किया जा सकता है।
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सभी प्रश्नों के अंक सामान होने तथा गलत उत्तर के लिये नेगेटिव मार्किंग का प्रावधान होने के कारण अभ्यर्थियों से अपेक्षा है कि 'तुक्का पद्धति' से बचते हुए सावधानीपूर्वक प्रश्नों को हल करें क्योंकि निगेटिव मार्किंग उनके वास्तविक प्राप्तांक को भी कम कर देगी।
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प्रैक्टिस पेपर्स एवं विगत वर्षों में प्रारम्भिक परीक्षा में पूछे गये प्रश्नों को निर्धारित समय सीमा (सामान्यत: दो घंटे) के अंदर हल करने का प्रयास करना लाभदायक होता है। इन प्रश्नों को हल करने से जहाँ विषय की समझ विकसित होती है, वहीं इन परीक्षाओं में दोहराव (रिपीट) वाले प्रश्नों को हल करना आसान हो जाता है।
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इस परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिये सामान्यत: 50-60% अंक प्राप्त करने की आवश्यकता होती है, किन्तु कभी-कभी प्रश्नों के कठिनाई स्तर को देखते हुए यह प्रतिशत कम या अधिक भी हो सकती है।
मुख्य परीक्षा की रणनीति:
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यू.के.पी.एस.सी. की इस मुख्य परीक्षा की प्रकृति वर्णनात्मक/विश्लेषणात्मक होने के कारण इसकी तैयारी की रणनीति प्रारंभिक परीक्षा से भिन्न होती है।
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प्रारंभिक परीक्षा की प्रकृति जहाँ क्वालिफाइंग होती है वहीं मुख्य परीक्षा में प्राप्त अंकों को अंतिम मेधा सूची में जोड़ा जाता है। अत: परीक्षा का यह चरण अत्यंत महत्त्वपूर्ण एवं काफी हद तक निर्णायक होता है।
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वर्ष 2014 में यू.के.पी.एस.सी. की इस मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम में आमूलचूल परिवर्तन किया गया। इससे पूर्व इस मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन के साथ-साथ दो वैकल्पिक विषयों के प्रश्नपत्र भी पूछे जाते थे, जिन्हें अब हटा दिया गया है।
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नवीन संशोधन के अनुसार अब इस मुख्य परीक्षा में सात अनिवार्य प्रश्नपत्र पूछे जाते हैं। इसकी विस्तृत जानकारी ‘विज्ञप्ति का संक्षिप्त विवरण’ के अंतर्गत ‘पाठ्यक्रम’ शीर्षक में दिया गया है।
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मुख्य परीक्षा के प्रश्न परम्परागत प्रकार के लघु, मध्यम एवं दीर्घ उत्तरीय प्रकार के होते हैं। इसमें प्रश्नों का उत्तर लिखते समय शब्द सीमा (20 शब्द, 50 शब्द, 125 शब्द एवं 250 शब्द) का ध्यान रखा जाता है।
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प्रत्येक प्रश्नपत्र मुख्यत: 4 भागों में बँटा रहता है। प्रथम भाग में 2-2 अंकों के 15 प्रश्न दिये गए होते हैं, जिनका उत्तर निर्धारित 20 शब्दों में, द्वितीय भाग में 5-5 अंकों के 10 प्रश्न दिये गए होते हैं जिनका उत्तर निर्धारित 50 शब्दों में, तृतीय भाग में 8-8 अंकों के 7 प्रश्न दिये गए होते हैं जिनमें से किन्हीं 5 प्रश्नों का उत्तर निर्धारित 125 शब्दों में तथा चतुर्थ भाग में 16-16 अंकों के 7 प्रश्न दिये गए होते हैं, जिनमें से किन्हीं 5 प्रश्नों का उत्तर निर्धारित 250 शब्दों में आयोग द्वारा दिये गए उत्तर-पुस्तिका में निर्धारित स्थान पर निर्धारित शब्दों में अधिकतम तीन घंटे की समय सीमा में लिखना होता है। प्रश्नों की प्रकृति एवं संख्या में आयोग द्वारा परिवर्तन किया जा सकता है।
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मुख्य परीक्षा कुल 1500 अंकों की होती है। जिसमे प्रथम प्रश्नपत्र ‘भाषा’ के लिये अधिकतम 300 अंक निर्धारित किया गया है। इसके अतिरिक्त शेष 6 प्रश्नपत्रों के लिये अधिकतम 200-200 अंक निर्धारित किये गए हैं।
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प्रथम प्रश्नपत्र ‘भाषा (language)’ से सम्बंधित है। इसमें सामान्य हिंदी (50 अंक), सामान्य अंग्रेजी (20 अंक) एवं निबंध लेखन (130 अंक) से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं।
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भाषा के इस प्रश्नपत्र में न्यूनतम 35% अंक प्राप्त करना अनिवार्य होता है।
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इस प्रश्नपत्र की तैयारी के लिये बाज़ार में उपलब्ध किसी मानक पुस्तक जैसे- सामान्य हिंदी के लिये ‘वासुदेवनंदन प्रसाद’ लिखित पुस्तक एवं सामान्य अंग्रेजी के लिये ‘जे.के. चोपड़ा’ लिखित पुस्तक के साथ ही निबंध की तैयारी के लिये दृष्टि प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘निबंध-दृष्टि’ का अध्ययन करना लाभदायक रहेगा।
⇒ निबंध लेखन की रणनीति के लिये इस Link पर क्लिक करें
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द्वितीय प्रश्नपत्र ‘भारत का इतिहास, राष्ट्रीय आन्दोलन, समाज एवं संस्कृति’ से सम्बंधित है। इस प्रश्नपत्र में प्राचीन, मध्यकालीन एवं आधुनिक भारत के इतिहास के साथ-साथ उत्तराखंड में ब्रिटिश शासन से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं।
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इस पाठ्यक्रम की मानक अध्ययन सामग्री ‘दृष्टि द विज़न’ संस्थान, दिल्ली के ‘डिस्टेंस लर्निंग प्रोग्राम’ (DLP) से प्राप्त की जा सकती है।
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तृतीय प्रश्नपत्र ‘भारतीय राजव्यवस्था, सामाजिक न्याय एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध’ से संबंधित है। इस प्रश्नपत्र में भारत की राजनीतिक-प्रशासनिक व्यवस्था, लोक प्रबंधन, मानव संसाधन एवं सामुदायिक विकास, समाज कल्याण एवं सम्बंधित विधायन, अंतर्राष्ट्रीय संबंध, अंतर्राष्ट्रीय संगठन, समसामयिक घटनाक्रम के साथ-साथ उत्तराखंड राज्य के राजनीतिक, सामाजिक एवं प्रशासनिक सन्दर्भ में भी प्रश्न पूछे जाते हैं।
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इसकी तैयारी के लिये अभ्यर्थियों को किसी मानक पुस्तक जैसे- ‘एम.लक्ष्मीकांत’ के अध्ययन करने के साथ-साथ मुख्य परीक्षा के प्रश्नों की प्रकृति के अनुरूप संक्षिप्त बिन्दुवार नोट्स बनाना लाभदायक रहेगा। इसके लिये इंटरनेट की सहायता ली जा सकती है।
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चतुर्थ प्रश्नपत्र ‘भारत एवं विश्व का भूगोल’ से सम्बंधित है। इसमें भारत एवं विश्व के भूगोल सम्बन्धी विभिन्न आयामों के साथ-साथ उत्तराखंड के भूगोल से सम्बंधित विभिन्न पहलुओं पर प्रश्न पूछे जाते हैं।
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पंचम प्रश्नपत्र ‘आर्थिक एवं सामाजिक विकास’ से संबंधित है। इसमें भारत की सामाजिक आर्थिक व्यवस्था, भारतीय कृषि एवं उद्योग, नियोजन एवं विदेशी व्यापार, सार्वजनिक वित्त एवं मौद्रिक प्रणाली के साथ-साथ उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं।
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इसकी तैयारी के लिये अभ्यर्थियों को बाज़ार में उपलब्ध इससे सम्बंधित किसी मानक पुस्तक के अध्ययन करने के साथ-साथ इंटरनेट पर उपलब्ध इससे सम्बंधित अध्ययन सामग्री का मुख्य परीक्षा के प्रश्नों की प्रकृति के अनुरूप संक्षिप्त बिन्दुवार नोट्स बनाना लाभदायक रहेगा।
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षष्ठम प्रश्नपत्र ‘सामान्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी’ से संबंधित है। इसमें फिजिकल एवं केमिकल साइंस, स्पेस टेक्नोलॉजी,जीवन विज्ञान, कंप्यूटर, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी तथा साइबर सुरक्षा, पर्यावरणीय समस्या एवं आपदा प्रबंधन, वैश्विक पर्यावरण विषय, आपदा प्रबंधन तथा पुनर्वास एवं नवनिर्माण प्राधिकरण से सम्बंधित विभिन्न पहलुओं पर प्रश्न पूछे जाते हैं।
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इसकी तैयारी के लिये अभ्यर्थियों को लूसेंट की ‘सामान्य विज्ञान विशेष’ पुस्तक तथा इंटरनेट पर उपलब्ध इससे सम्बंधित सामग्री का अध्ययन करना लाभदायक रहेगा।
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सप्तम प्रश्नपत्र ‘सामान्य अभिरुचि एवं आचार शास्त्र’ से संबंधित है। इसमें अंकगणित, बीजगणित, निर्देशांक ज्यामिति एवं सांख्यिकी के साथ-साथ नीतिशास्त्र से सम्बंधित प्रश्न भी पूछे जाते हैं।
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इसकी तैयारी के लिये अभ्यर्थियों को गणित की ‘आर.एस. अग्रवाल’ पुस्तक के साथ-साथ विषय से सम्बंधित किसी अन्य मानक पुस्तक का, विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्नों की प्रकृति के अनुरूप खंडवार अध्ययन करना लाभदायक रहेगा।
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यू.के.पी.एस.सी. की इस मुख्य परीक्षा की प्रकृति एवं पाठ्यक्रम का सूक्ष्म अवलोकन करने पर यह स्पष्ट होता है कि इसके समस्त पाठ्यक्रम का उत्तराखंड राज्य के सन्दर्भ में अध्ययन किया जाना लाभदायक रहेगा। ये प्रश्न उत्तराखंड के इतिहास, भूगोल, राजनीतिक, सामाजिक एवं प्रशासनिक सन्दर्भ, आर्थिक एवं सामाजिक विकास तथा आपदा प्रबंधन के अन्य पक्षों से सम्बंधित हो सकते हैं।
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उत्तराखंड राज्य विशेष के अध्ययन के लिये कम-से-कम दो मानक पुस्तकों के आधार पर पाठ्यक्रम के प्रत्येक टॉपिक्स पर बिन्दुवार नोट्स बनाना बेहतर होगा।
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परीक्षा के इस चरण में सफलता प्राप्त करने के लिये सामान्यत: 60-65% अंक प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। हालाँकि पाठ्यक्रम में बदलाव के कारण यह प्रतिशत कुछ कम भी हो सकता है।
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परीक्षा के सभी विषयों में कम से कम शब्दों में की गई संगठित, सूक्ष्म और सशक्त अभिव्यक्ति को श्रेय मिलेगा।
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विदित है कि वर्णनात्मक प्रकृति वाले प्रश्नपत्रों के उत्तर को उत्तर पुस्तिका में लिखना होता है, अत: ऐसे प्रश्नों के उत्तर लिखते समय लेखन शैली एवं तारतम्यता के साथ-साथ समय प्रबंधन पर विशेष ध्यान देना चाहिये।
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लेखन शैली एवं तारतम्यता का विकास निरंतर अभ्यास से आता है, जिसके लिये विषय की व्यापक समझ अनिवार्य है।
⇒ मुख्य परीक्षा में अच्छी लेखन शैली के विकास संबंधी रणनीति के लिये इस Link पर क्लिक करें
साक्षात्कार की रणनीति:
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मुख्य परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों (सामान्यत: विज्ञप्ति में वर्णित कुल रिक्तियों की संख्या का 3 गुना) को सामान्यत: एक माह पश्चात आयोग के समक्ष साक्षात्कार के लिये उपस्थित होना होता है।
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साक्षात्कार किसी भी परीक्षा का अंतिम एवं महत्त्वपूर्ण चरण होता है।
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अंतिम चयन एवं पद निर्धारण में साक्षात्कार के अंकों का विशेष योगदान होता है।
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साक्षात्कार के दौरान अभ्यर्थियों के व्यक्तित्व का परीक्षण किया जाता है, जिसमें आयोग के सदस्यों द्वारा आयोग में निर्धारित स्थान पर मौखिक प्रश्न पूछे जाते हैं। इसका उत्तर अभ्यर्थी को मौखिक रूप से देना होता है।
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यू.के.पी.एस.सी. की इस परीक्षा में साक्षात्कार के लिये कुल 200 अंक निर्धारित किया गया है।
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आपका अंतिम चयन मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार में प्राप्त किये गए अंकों के योग के आधार पर तैयार किये गए मेधा सूची के आधार पर होता है।
⇒ साक्षात्कार में अच्छे अंक प्राप्त करने संबंधी रणनीति के लिये इस Link पर क्लिक करें