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पी.सी.एस.


उत्तराखंड

यू.के.पी.एस.सी. - प्रकृति एवं प्रक्रिया

  • 01 Aug 2021
  • 16 min read

परिचय (Introduction): 

सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों (विशेषकर हिंदी माध्यम) के लिये सिविल सेवा परीक्षा के बाद उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (यू.के.पी.एस.सी.), हरिद्वार द्वारा आयोजित ‘सम्मिलित राज्य सिविल/अवर अधीनस्थ सेवा परीक्षा’ भी एक विकल्प है। प्रश्नों की प्रकृति एवं प्रक्रिया में थोड़ा अंतर होने के बावजूद यू.पी.एस.सी. की प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम के अध्ययन की यू.के.पी.एस.सी. की इस परीक्षा में उपयोगी भूमिका होती है, इसलिये सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र इस परीक्षा में भी सफल होते हैं।   

आयोग द्वारा आयोजित परीक्षाएँ: 

  • उत्तराखंड में राज्य आधारित सरकारी, अर्द्ध-सरकारी, न्यायिक, राज्य वन सेवा एवं अन्य अधीनस्थ सेवाओं का आयोजन मुख्य रूप से उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (यू.के.पी.एस.सी.), हरिद्वार द्वारा किया जाता है।

  • इस आयोग द्वारा आयोजित सर्वाधिक लोकप्रिय परीक्षाओं में सम्मिलित राज्य सिविल/प्रवर अधीनस्थ सेवा परीक्षा, सम्मिलित राज्य सिविल/अवर अधीनस्थ सेवा परीक्षा एवं समीक्षा अधिकारी (आर.ओ.)/सहायक समीक्षा अधिकारी (ए.आर.ओ.) परीक्षा आदि शामिल हैं।

  • सम्मिलित राज्य सिविल/अवर अधीनस्थ सेवा परीक्षा एवं समीक्षा अधिकारी (आर.ओ.)/सहायक समीक्षा अधिकारी (ए.आर.ओ.) परीक्षा में सम्मिलित होने के लिये उत्तराखंड राज्य का मूल निवासी होना अनिवार्य है, जबकि सम्मिलित राज्य सिविल/प्रवर अधीनस्थ सेवा परीक्षा में भारत के किसी भी राज्य का अभ्यर्थी सम्मिलित हो सकता है।  

  • ‘उत्तराखंड सम्मिलित राज्य सिविल/प्रवर अधीनस्थ सेवा परीक्षा’ को प्रायः ‘यू.के.पी.सी.एस.’ के नाम से भी जाना जाता है। 

यू.के.पी.सी.एस (प्रवर) परीक्षा- प्रकृति एवं प्रक्रिया

परीक्षा की प्रकृति: 

  • आयोग द्वारा आयोजित इस प्रतियोगी परीक्षा में सामान्यत: क्रमवार तीन स्तर सम्मिलित हैं-
    1. प्रारम्भिक परीक्षा– वस्तुनिष्ठ प्रकृति
    2. मुख्य परीक्षा- वर्णनात्मक प्रकृति
    3. साक्षात्कार- मौखिक

  • वर्ष 2014 में आयोग द्वारा जारी विज्ञप्ति में यू.के.पी.एस.सी. की इस प्रारम्भिक परीक्षा एवं मुख्य परीक्षा की प्रकृति एवं पाठ्यक्रम में महत्त्वपूर्ण बदलाव किया गया। इसका विस्तृत विवरण नीचे दिया गया है।

परीक्षा की प्रक्रिया:

प्रारम्भिक परीक्षा की प्रक्रिया: 

  • सर्वप्रथम आयोग द्वारा इन परीक्षाओं से सम्बंधित विज्ञप्ति जारी की जाती है उसके पश्चात ऑनलाइन आवेदन फॉर्म भरने की प्रक्रिया शुरू होती है। फॉर्म भरने की प्रक्रिया सम्बंधित विस्तृत जानकारी ‘विज्ञप्ति' के अंतर्गत ‘ऑनलाइन आवेदन कैसे करें?’ शीर्षक में दी गयी होती है। 

  • विज्ञप्ति में उक्त परीक्षा से सम्बंधित विभिन्न पहलुओं का विस्तृत विवरण दिया गया होता है। अत: फॉर्म भरने से पहले इसका अध्ययन करना लाभदायक रहता है।    

  • फॉर्म भरने की प्रक्रिया समाप्त होने के बाद सामान्यतः 2 से 3 माह पश्चात प्रारम्भिक परीक्षा आयोजित की जाती है।

  • प्रारंभिक परीक्षा एक ही दिन आयोग द्वारा निर्धारित राज्य के विभिन्न केन्द्रों पर सम्पन्न होती है।

  • प्रारम्भिक परीक्षा वस्तुनिष्ठ (बहुविकल्पीय) प्रकृति की होती है, जिसके अंतर्गत प्रत्येक प्रश्न के लिये दिये गए चार संभावित विकल्पों (a, b, c और d) में से एक सही विकल्प का चयन करना होता है।

  • प्रश्न से सम्बंधित इस चयनित विकल्प को आयोग द्वारा दिये गए ओ.एम.आर. शीट में उसके सम्मुख दिये गए सम्बंधित गोले (सर्किल) में उचित स्थान पर काले बॉल पॉइंट  पेन से भरना होता है।  

  • यू.के.पी.एस.सी. द्वारा आयोजित इस परीक्षा में गलत उत्तर के लिये नेगेटिव मार्किंग का प्रावधान किया गया है जिसमें प्रत्येक गलत उत्तर के लिये एक चौथाई (1/4) अंक दण्ड स्वरुप काटे जाते हैं।  

  • यदि अभ्यर्थी किसी प्रश्न का एक से अधिक उत्तर देता है तो उस उत्तर को गलत माना जाएगा, यदि दिये गए उत्तरों में से एक सही भी उत्तर हो, फिर भी उस प्रश्न के लिये उपरोक्तानुसार ही उसी तरह का दण्ड दिया जाएगा।

  • यदि अभ्यर्थी द्वारा कोई प्रश्न हल नहीं किया जाता है, अर्थात अभ्यर्थी द्वारा उत्तर नहीं दिया जाता है, तो उस प्रश्न के लिये कोई दण्ड नहीं दिया जाएगा।  

  • प्रश्नपत्र दो भाषाओं (हिंदी एवं अंग्रेजी) में दिये गए होते हैं, अभ्यर्थी इन दोनों भाषाओं में किसी भी भाषा में अपनी सहजता के अनुसार प्रश्नों को पढ़कर उत्तर दे सकते हैं। 

  • आयोग द्वारा वर्ष 2014 में प्रारम्भिक परीक्षा की प्रकृति में बदलाव किया गया जिसके अनुसार द्वितीय प्रश्नपत्र में पूछे जाने वाले वैकल्पिक विषय (वस्तुनिष्ठ) के स्थान पर ‘सामान्य बुद्धिमत्ता परीक्षण’ (जनरल एप्टिट्यूड टेस्ट) के प्रश्नपत्र को अपनाया गया।

  • वर्तमान में प्रारम्भिक परीक्षा में दो अनिवार्य प्रश्नपत्र (क्रमशः ‘सामान्य अध्ययन’ एवं ‘सामान्य बुद्धिमत्ता परीक्षण’) पूछे जाते हैं, जिसकी परीक्षा एक ही दिन दो विभिन्न पालियों में दो-दो घंटे की समयावधि में सम्पन्न होती है। ‘सामान्य बुद्धिमत्ता परीक्षण’ के प्रश्नपत्र को ‘सीसैट’ (सिविल सर्विस एप्टिट्यूड टेस्ट) के नाम से भी जाना जाता है। 

  • प्रारम्भिक परीक्षा कुल 300 अंकों की होती है।

  • प्रथम प्रश्नपत्र ‘सामान्य अध्ययन का है, जिसमें प्रश्नों की कुल संख्या 150 एवं अधिकतम अंक 150 निर्धारित है (प्रत्येक प्रश्न 01 अंक का होता है)।

  • द्वितीय प्रश्नपत्र ‘सामान्य बुद्धिमत्ता परीक्षण’ का है, जिसमें प्रश्नों की कुल संख्या 100 एवं अधिकतम अंक 150 निर्धारित है (प्रत्येक प्रश्न 1.5 अंकों का होता है)।

  • प्रारभिक परीक्षा में द्वितीय प्रश्न पत्र (सामान्य बुध्दिमत्ता परिक्षण) अर्हकारी प्रकृति का होगा, जिसमें समस्त श्रेणी के अभ्यर्थियों को न्यूनतम 33 प्रतिशत अंक प्राप्त करना अनिवार्य होगा। प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम प्रथम प्रश्नपत्र ‘सामान्य अध्ययन’ में प्राप्त अंको के आधार पर मेरिट के अनुसार तैयार किया जाएगा।

  • इस परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिये सामान्यत: 65–70% अंक प्राप्त करने की आवश्यकता होती है, किन्तु कभी-कभी प्रश्नों के कठिनाई स्तर को देखते हुए यह प्रतिशत अधिक या कम हो सकता है। 

  • प्रारम्भिक परीक्षा की प्रकृति क्वालिफाइंग होती है। इसमें प्राप्त अंकों को मुख्य परीक्षा या साक्षात्कार के अंकों के साथ नहीं जोड़ा जाता है।

मुख्य परीक्षा की प्रक्रिया:

  • मुख्य परीक्षा में प्रवेश पाने वाले अभ्यर्थियों की संख्या सामान्यत: विज्ञापन में प्रदर्शित की गई सेवा तथा पदों के विभिन्न प्रवर्गों से भरी जाने वाली कुल रिक्तियों की संख्या से लगभग 15 गुना होती है। 

  • प्रारम्भिक परीक्षा में सफल हुए अभ्यर्थियों के लिये मुख्य परीक्षा का आयोजन मुख्यत: राज्य के दो जिलों ‘हल्द्वानी’ एवं ‘हरिद्वार’ में आयोग द्वारा निर्धारित विभिन्न केन्द्रों पर किया जाता है।

  • वर्ष 2014 में इस मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम में आमूलचूल परिवर्तन किया गया। इससे पूर्व इस मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन के साथ- साथ दो वैकल्पिक विषयों के प्रश्नपत्र भी पूछे जाते थे, जिन्हें अब हटा दिया गया है। 

  • अब इस मुख्य परीक्षा में सात अनिवार्य प्रश्नपत्र पूछे जाते हैं। इसकी विस्तृत जानकारी ‘पाठ्यक्रम’ शीर्षक में दी गयी है। 

  • मुख्य परीक्षा की प्रकृति वर्णनात्मक/विश्लेषणात्मक होती है। इन सभी प्रश्नों के उत्तर को आयोग द्वारा दी गई उत्तर-पुस्तिका में निर्धारित स्थान पर निर्धारित शब्दों में अधिकतम तीन घंटे की समय सीमा में लिखना होता है। 

  • मुख्य परीक्षा कुल 1500 अंकों की होती है।  

  • प्रथम प्रश्नपत्र ‘भाषा (Language) से सम्बंधित है। इसमें सामान्य हिंदी, सामान्य अंग्रेजी एवं निबंध लेखन से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं इसके लिये कुल 300 अंक निर्धारित किया गया है।

  • प्रथम प्रश्नपत्र ‘भाषा’ को छोड़कर अन्य सभी प्रश्नपत्रों का उत्तर अभ्यर्थी अपनी इच्छानुसार केवल हिंदी या अंग्रेजी में दे सकेंगे, किन्तु किसी भी प्रश्नपत्र में उत्तर अंग्रेजी और हिंदी में अंशत: नहीं दिया जा सकेगा।

  • द्वितीय प्रश्नपत्र ‘भारत का इतिहास, राष्ट्रीय आन्दोलन, समाज एवं संस्कृति से सम्बंधित है। इसके लिये कुल 200 अंक निर्धारित किया गया है। 

  • तृतीय प्रश्नपत्र ‘भारतीय राजव्यवस्था, सामाजिक न्याय एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध’ से संबंधित है। इसके लिये कुल 200 अंक निर्धारित किया गया है। 

  • चतुर्थ प्रश्नपत्र ‘भारत एवं विश्व का भूगोल’ से सम्बंधित है। इसके लिये कुल 200 अंक निर्धारित किया गया है।    

  • पंचम प्रश्नपत्र ‘आर्थिक एवं सामाजिक विकास से संबंधित है। इसके लिये कुल 200 अंक निर्धारित किया गया है।    

  • षष्ठम प्रश्नपत्र ‘सामान्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी’ से संबंधित है। इसके लिये कुल 200 अंक निर्धारित किया गया है।    

  • सप्तम प्रश्नपत्र ‘सामान्य अभिरुचि एवं आचार शास्त्र से संबंधित है। इसके लिये कुल 200 अंक निर्धारित किया गया है।    

  • परीक्षा के इस चरण में सफलता प्राप्त करने के लिये सामान्यत: 55-60% अंक प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। हालाँकि पाठ्यक्रम में बदलाव के कारण यह प्रतिशत कुछ कम भी हो सकता है।

  • पूर्व की भाँति ही इन प्रश्नपत्रों में प्राप्त किये गए अंक मेधा सूची में जोड़े जाएंगे। 

  • परीक्षा के सभी विषयों में कम से कम शब्दों में की गई संगठित, सूक्ष्म और सशक्त अभिव्यक्ति को श्रेय मिलता है।

नोट:

  • भाषा के प्रश्नपत्र में न्यूनतम 35% अंक प्राप्त करना अनिवार्य होगा।    

साक्षात्कार की प्रक्रिया: 

  • मुख्य परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों को सामान्यत: एक माह पश्चात आयोग के समक्ष साक्षात्कार के लिये उपस्थित होना होता है। 

  • साक्षात्कार के दौरान अभ्यर्थियों के व्यक्तित्व का परीक्षण किया जाता है, जिसमें आयोग के सदस्यों द्वारा आयोग में निर्धारित स्थान पर मौखिक प्रश्न पूछे जाते हैं। इसका उत्तर अभ्यर्थी को मौखिक रूप से देना होता है। यह प्रक्रिया अभ्यर्थियों की संख्या के अनुसार एक से अधिक दिनों तक चलती है।     

  • यू.के.पी.एस.सी. की इस परीक्षा में साक्षात्कार के लिये कुल 200 अंक निर्धारित किया गया है।

  • मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार में प्राप्त किये गए अंकों के योग के आधार पर अंतिम रूप से मेधा सूची (मेरिट लिस्ट) तैयार की जाती है। 

  • सम्पूर्ण साक्षात्कार समाप्त होने के सामान्यत: एक सप्ताह पश्चात अन्तिम रूप से चयनित अभ्यर्थियों की सूची जारी की जाती है।

 ⇒ साक्षात्कार में अच्छे अंक प्राप्त करने संबंधी रणनीति के लिये इस Link पर क्लिक करें
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