राजस्थान लोक सेवा आयोग - रणनीति | 01 Aug 2021
रणनीति की आवश्यकता क्यों?
-
राजस्थान लोक सेवा आयोग (आर.पी.एस.सी.), अजमेर द्वारा आयोजित सर्वाधिक लोकप्रिय ‘आर.ए.एस.-आर.टी.एस.’ परीक्षा में सफलता सुनिश्चित करने के लिये उसकी प्रकृति के अनुरूप उचित एवं गतिशील रणनीति बनाने की आवश्यकता है
-
यह वह प्रथम प्रक्रिया है जिससे आपकी आधी सफलता प्रारम्भ में ही सुनिश्चित हो जाती है।
-
ध्यातव्य है कि यह परीक्षा सामान्यत: तीन चरणों ( प्रारंभिक, मुख्य एवं साक्षात्कार) में आयोजित की जाती है, जिसमें प्रत्येक अगले चरण में पहुँचने के लिये उससे पूर्व के चरण में सफल होना आवश्यक है।
-
इन तीनों चरणों की परीक्षा की प्रकृति एक दूसरे से भिन्न होती है। अत: प्रत्येक चरण में सफलता सुनिश्चित करने के लिये अलग-अलग रणनीति बनाने की आवश्यकता है।
प्रारम्भिक परीक्षा की रणनीति :
-
अन्य राज्य लोक सेवा आयोगों की भाँति राजस्थान लोक सेवा आयोग की प्रारम्भिक परीक्षा में भी प्रश्नों की प्रकृति वस्तुनिष्ठ (बहुविकल्पीय) प्रकार की होती है। अत: इसमें तथ्यों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। जैसे- ‘फोटो वोल्टीय सेल’ किस प्रकार की ऊर्जा से सम्बंधित है?, संविधान में मौलिक कर्त्तव्यों को कब सम्मिलित किया गया?, राजस्थान के इतिहास में ‘पट्टा रेख’ से क्या अभिप्राय है? इत्यादि ।
-
इस परीक्षा में कुल 150 वस्तुनिष्ठ प्रश्न पूछे जाते हैं जिसके लिये अधिकतम 200 अंक निर्धारित हैं। इन प्रश्नों का उत्तर अधिकतम तीन घंटे की समय सीमा में देना होता है।
-
सभी प्रश्नों के अंक समान होने तथा गलत उत्तर के लिये ऋणात्मक अंकन (Negative marking) के प्रावधान (प्रत्येक गलत उत्तर के लिए एक तिहाई (1/3) अंक काटे जाते हैं) होने के कारण अभ्यर्थियों से अपेक्षा है कि तुक्का पद्धति से बचते हुए सावधानीपूर्वक प्रश्नों को हल करें।
-
ऋणात्मक अंकन का प्रावधान होने के कारण इस परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिये सामान्यत: 40-50% अंक प्राप्त करने की आवश्यकता होती है, किन्तु कभी- कभी प्रश्नों के कठिनाई स्तर को देखते हुए यह प्रतिशत और भी कम हो सकता है। जैसे- वर्ष 2018 की आर.पी.एस.सी. की प्रारंभिक परीक्षा का ‘कट-ऑफ’ 76.6 अंक रहा जो 40% से भी कम है।
-
आर.पी.एस.सी. की प्रारंभिक परीक्षा में ‘सामान्य ज्ञान एवं सामान्य विज्ञान’ के पाठ्यक्रम में मुख्यतः राजस्थान का इतिहास, कला, संस्कृति, साहित्य, परम्परा एवं विरासत; भारत का इतिहास (प्राचीन, मध्यकालीन एवं आधुनिक भारत का इतिहास); भूगोल (भारत, विश्व एवं राजस्थान का भूगोल); भारतीय संविधान, राजनीतिक व्यवस्था एवं शासन प्रणाली, राजस्थान की राजनीतिक एवं प्रशासनिक व्यवस्था; अर्थशास्त्रीय अवधारणाएँ एवं भारतीय अर्थव्यवस्था, राजस्थान की अर्थव्यवस्था; विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, तार्किक विवेचन एवं मानसिक योग्यता तथा समसामयिक घटनाएँ शामिल हैं। इसका विस्तृत विवेचन पाठ्यक्रम (syllabus) शीर्षक के अंतर्गत किया गया है।
-
सर्वप्रथम प्रारम्भिक परीक्षा के पाठ्यक्रम का अध्ययन करें एवं उसके समस्त भाग एवं पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सुविधा एवं रूचि के अनुसार वरीयता क्रम निर्धारित करें।
-
विगत 5 से 10 वर्षों में प्रारम्भिक परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों का सूक्ष्म अवलोकन करें और उन बिंदुओं तथा शीर्षकों पर ज्यादा ध्यान दें जिससे विगत वर्षों में प्रश्न पूछने की प्रवृत्ति ज्यादा रही है।
-
इस परीक्षा के पाठ्यक्रम और विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्नों की प्रकृति का सूक्ष्म अवलोकन करने पर ज्ञात होता है कि इसके कुछ खण्डों की गहरी अवधारणात्मक एवं तथ्यात्मक जानकारी अनिवार्य है।
-
उपरोक्त से स्पष्ट है कि आर.पी.एस.सी. की इस प्रारम्भिक परीक्षा में राजस्थान राज्य विशेष से लगभग 40% प्रश्न पूछे जाते हैं। अत: इस परीक्षा में सफलता के लिये राजस्थान राज्य विशेष का अध्ययन मानक पुस्तकों और समाचार पत्रों व इन्टरनेट के द्वारा किया जाना आवश्यक है।
-
इन प्रश्नों को याद रखने और हल करने का सबसे आसान तरीका है कि विषय की तथ्यात्मक जानकारी से सम्बंधित संक्षिप्त नोट्स बना लिये जाएँ और उनका नियमित अध्ययन किया जाये। जैसे – भारतीय दर्रों से सम्बंधित एक प्रश्न पूछा गया कि ‘शिपकी लॉ दर्रा किस राज्य में स्थित है? इसकी तैयारी के लिये आपको भारत के प्रमुख दर्रे एवं सम्बंधित राज्य की एक सूची तैयार कर लेनी चाहिये ।
-
तार्किक विवेचन एवं मानसिक योग्यता से सम्बंधित प्रश्नों का अभ्यास पूर्व में पूछे गए प्रश्नों को विभिन्न खंडों में वर्गीकृत कर के किया जा सकता है।
-
विज्ञान आधारित प्रश्नों को हल करने के लिये ‘सामान्य विज्ञान- लूसेंट’ की किताब सहायक हो सकती है।
-
सामान्य अध्ययन के शेष खंडों के लिये कक्षा-11 एवं कक्षा-12 की एन.सी.ई.आर.टी. की पुस्तकों का अध्ययन करना लाभदायक रहता है। इसके लिये बाजार में उपलब्ध किसी स्तरीय नोट्स का भी अध्ययन किया जा सकता है।
-
आर.पी.एस.सी. की प्रारंभिक परीक्षा की प्रकृति को देखते हुए पूरे पाठ्यक्रम का राजस्थान राज्य के सन्दर्भ में अध्ययन करना लाभदायक रहता है।
-
इस परीक्षा में राज्य विशेष एवं समसामयिक घटनाओं से पूछे जाने वाले प्रश्नों की आवृति ज्यादा होती है, अत: इनका नियमित रूप से गंभीर अध्ययन करना चाहिये।
-
समसामयिक घटनाओं के प्रश्नों की प्रकृति और संख्या को ध्यान में रखते हुए आप नियमित रूप से किसी दैनिक अख़बार जैसे - द हिन्दू , राजस्थान पत्रिका, दैनिक जागरण (राष्ट्रीय संस्करण), इत्यादि के साथ-साथ ‘दृष्टि वेबसाइट’ पर उपलब्ध करेंट अफेयर्स के बिन्दुओं का अध्ययन कर सकते हैं। इसके अलावा इस खंड की तैयारी के लिये मानक मासिक पत्रिका ‘दृष्टि करेंट अफेयर्स टुडे ’ का अध्ययन करना लाभदायक सिद्ध होगा।
-
इन परीक्षाओं में संस्थाओं इत्यादि से पूछे जाने वाले प्रश्नों के लिये प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित ‘भारत’ (इण्डिया इयर बुक) का बाज़ार में उपलब्ध संक्षिप्त विवरण पढ़ना लाभदायक रहता है।
-
प्रारम्भिक परीक्षा तिथि से सामान्यत: 15-20 दिन पूर्व प्रैक्टिस पेपर्स एवं विगत वर्षों में प्रारम्भिक परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों को निर्धारित समय सीमा (सामान्यत: तीन घंटे) के अंदर हल करने का प्रयास करना लाभदायक होता है।
-
इन प्रश्नों को हल करने से जहाँ विषय की समझ विकसित होती है, वहीं इन परीक्षाओं में दोहराव (रिपीट) वाले प्रश्नों को हल करना आसान हो जाता है।
मुख्य परीक्षा की रणनीति :
-
आर.पी.एस.सी. की मुख्य परीक्षा की प्रकृति वर्णनात्मक होने के कारण इसकी तैयारी की रणनीति प्रारंभिक परीक्षा से भिन्न होती है।
-
प्रारंभिक परीक्षा की प्रकृति जहाँ क्वालिफाइंग होती है, वहीं मुख्य परीक्षा में प्राप्त अंकों को अंतिम मेधा सूची में जोड़ा जाता है। अत: परीक्षा का यह चरण अत्यंत महत्त्वपूर्ण एवं काफी हद तक निर्णायक होता है।
-
वर्ष 2013 में आर.पी.एस.सी. की इस मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम में बदलाव किया गया। नवीन संशोधन के अनुसार अब मुख्य परीक्षा में चार अनिवार्य प्रश्नपत्र (सामान्य अध्ययन प्रथम प्रश्नपत्र, सामान्य अध्ययन द्वितीय प्रश्नपत्र, सामान्य अध्ययन तृतीय प्रश्नपत्र और ‘सामान्य हिंदी एवं सामान्य अंग्रेजी’ ) होते हैं, इसकी विस्तृत जानकारी ‘विज्ञप्ति’ के अंतर्गत ‘पाठ्यक्रम’ शीर्षक में दी गयी है।
-
हाल ही में आर.पी.एस.सी. की मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन तृतीय प्रश्नपत्र में किये गए सूक्ष्म बदलाव के अंतर्गत प्रशासकीय नीतिशास्त्र में ‘व्यवहार’ एवं ‘विधि’ शीर्षक को भी जोड़ा गया है।
-
मुख्य परीक्षा की प्रकृति वर्णनात्मक/विश्लेषणात्मक होती है, इसमें संक्षिप्त, मध्यम और दीर्घ शब्द-सीमा वाले प्रश्न होते हैं। इन सभी प्रश्नों के उत्तर को आयोग द्वारा दी गयी उत्तर-पुस्तिका में निर्धारित स्थान पर निर्धारित शब्दों में अधिकतम तीन घंटे की समय सीमा में लिखना होता है।
-
नवीन संशोधनों के पश्चात आर.पी.एस.सी. की यह मुख्य परीक्षा अब कुल 800 अंकों की होती है, जिसमें प्रत्येक प्रश्नपत्र के लिये अधिकतम 200-200 अंक निर्धारित किये गये हैं।
-
सामान्य अध्ययन के प्रथम प्रश्नपत्र में राजस्थान का इतिहास, कला, संस्कृति, साहित्य, परम्परा और धरोहर से प्रश्न पूछे जाएंगे। अत: राजस्थान राज्य का विशेष अध्ययन कर उसके संक्षिप्त नोट्स बनाने आवश्यक हैं।
- प्रथम प्रश्नपत्र में ‘भारतीय इतिहास एवं संस्कृति’ (प्राचीन, मध्यकालीन एवं आधुनिक भारत) के साथ आधुनिक विश्व का इतिहास भी शामिल है। इसके अलावा ‘अर्थव्यवस्था’ (भारतीय अर्थव्यवस्था, वैश्विक अर्थव्यवस्था एवं राजस्थान की अर्थव्यवस्था) ‘समाजशास्त्र, प्रबंधन एवं लेखांकन एवं अंकेक्षण’ से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाएंगे।
- स्पष्ट है कि राजस्थान विशेष के साथ परम्परागत पाठ्यक्रम का तथ्यात्मक एवं गहन अध्ययन आवश्यक है। साथ ही संक्षिप्त व सारबद्ध लेखन-शैली के लिये सम्बंधित प्रश्नों का अभ्यास एक आवश्यक शर्त है।
- द्वितीय प्रश्नपत्र में ‘प्रशासकीय नीतिशास्त्र’, ‘सामान्य विज्ञान एवं तकनीकी’, राजस्थान के विशेष सन्दर्भ में कृषि-विज्ञान, उद्यान-विज्ञान, वानिकी, डेयरी एवं पशुपालन भी इस प्रश्नपत्र में शामिल हैं। अत: राजस्थान राज्य विशेष की अद्यतन एवं परम्परागत जानकारी आवश्यक है। साथ ही द्वितीय प्रश्नपत्र में पूछे जाने वाले ‘पृथ्वी विज्ञान (भूगोल एवं भू-विज्ञान)’ का अध्ययन विश्व, भारत एवं राजस्थान के सन्दर्भ में किया जाना आवश्यक है।
- सामान्य अध्ययन के तृतीय प्रश्नपत्र में ‘भारतीय राजनीतिक व्यवस्था, विश्व राजनीति एवं समसामयिक मामले’, ‘लोक प्रशासन एवं प्रबंधन की अवधारणाएँ, मुद्दे एवं गत्यात्मकता’ तथा ‘खेल एवं योग, व्यवहार एवं विधि’ सम्मिलित है। इस प्रश्नपत्र की प्रकृति विश्लेषणात्मक होने के साथ-साथ अद्यतन सामग्री की मांग करती है। अत: अभ्यर्थियों को समाचार पत्र, मासिक पत्रिकाओं व इंटरनेट के द्वारा सम्बंधित घटनाक्रम का अद्यतन विवरण जानना आवश्यक है, जो प्रश्नों की प्रकृति को समझने में सहायक होगा।
- मुख्य परीक्षा में चतुर्थ प्रश्नपत्र भाषागत ज्ञान से सम्बंधित है, जिसमें ‘सामान्य हिंदी एवं सामान्य अंग्रेजी’ के संबंध में प्रश्न पूछे जाते हैं। सामान्य हिंदी के अंतर्गत जहाँ हिंदी व्याकरण, संक्षिप्तीकरण, पत्र-लेखन एवं निबंध लेखन शामिल है, वहीं सामान्य अंग्रेजी के अंतर्गत अंग्रेजी व्याकरण, कॉम्प्रिहेंशन, ट्रांसलेशन, प्रेसी राइटिंग, लेटर राइटिंग इत्यादि शामिल है। सामान्य हिंदी एवं सामान्य अंग्रेजी’ का स्तर सीनियर सेकेंडरी स्तर का होगा। अत: इसका नियमित अभ्यास करना चाहिये।
⇒ निबंध लेखन की रणनीति के लिये इस Link पर क्लिक करें
-
परीक्षा के इस चरण में सफलता प्राप्त करने के लिये सामान्यत: 60-65% अंक प्राप्त करने की आवश्यकता होती है।
-
परीक्षा के सभी विषयों में कम से कम शब्दों में की गई संगठित, सूक्ष्म और सशक्त अभिव्यक्ति को श्रेय मिलेगा।
-
विदित है कि वर्णनात्मक प्रकृति वाले प्रश्नपत्रों के उत्तर को उत्तर-पुस्तिका में लिखना होता है, अत: ऐसे प्रश्नों के उत्तर लिखते समय लेखन शैली एवं तारतम्यता के साथ-साथ समय प्रबंधन पर विशेष ध्यान देना चाहिये।
-
लेखन शैली एवं तारतम्यता का विकास निरंतर अभ्यास से आता है, जिसके लिये विषय की व्यापक समझ अनिवार्य है।
⇒ मुख्य परीक्षा में अच्छी लेखन शैली के विकास संबंधी रणनीति के लिये इस Link पर क्लिक करें
साक्षात्कार की रणनीति :
-
मुख्य परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों (सामान्यत: विज्ञप्ति में वर्णित कुल रिक्तियों की संख्या का 3 गुना) को सामान्यत: एक माह पश्चात आयोग के समक्ष साक्षात्कार के लिये उपस्थित होना होता है।
-
साक्षात्कार किसी भी परीक्षा का अंतिम एवं महत्त्वपूर्ण चरण होता है।
-
अंकों की दृष्टि से कम लेकिन अंतिम चयन एवं पद निर्धारण में इसका विशेष योगदान होता है।
-
आर.पी.एस.सी. की इस परीक्षा में साक्षात्कार के लिये कुल 100 अंक निर्धारित किया गया है।
-
आपका अंतिम चयन मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार में प्राप्त किये गए अंकों के योग के आधार पर तैयार की गयी मेधा सूची के आधार पर होता है।
⇒ साक्षात्कार में अच्छे अंक प्राप्त करने संबंधी रणनीति के लिये इस Link पर क्लिक करें