बी.पी.एस.सी. - प्रकृति एवं प्रक्रिया | 01 Apr 2023
परिचय (Introduction):
सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों के लिये बिहार लोक सेवा आयोग (बी.पी.एस.सी.), पटना द्वारा आयोजित परीक्षाएँ भी आकर्षण का केंद्र होती हैं। प्रश्नों की प्रकृति एवं प्रक्रिया में सूक्ष्म अंतर होने के बावजूद यू.पी.एस.सी. के प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम के अध्ययन की बी.पी.एस.सी की परीक्षा में सार्थक भूमिका होती है इसलिये यू.पी.एस.सी. की तैयारी कर रहे छात्र इस परीक्षा में भी सफल हो रहे हैं।
परीक्षा की प्रकृति:
बी.पी.एस.सी. द्वारा आयोजित इस प्रतियोगी परीक्षा में सामान्यत: क्रमवार तीन स्तर सम्मिलित हैं-
- प्रारंभिक परीक्षा - वस्तुनिष्ठ प्रकृति
- मुख्य परीक्षा - वर्णनात्मक एवं वस्तुनिष्ठ प्रकृति
- साक्षात्कार - मौखिक
परीक्षा की प्रक्रिया :
प्रारम्भिक परीक्षा की प्रक्रिया:
- सर्वप्रथम आयोग द्वारा परीक्षा संबंधित विज्ञप्ति जारी की जाती है, उसके पश्चात् ऑनलाइन आवेदन फॉर्म भरने की प्रक्रिया शुरू होती है। फॉर्म भरने की प्रक्रिया संबंधित विस्तृत जानकारी ‘विज्ञप्ति’ के अंतर्गत ‘ऑनलाइन आवेदन कैसे करें?’ शीर्षक में दी गई होती है।
- विज्ञप्ति में उक्त परीक्षा से संबंधित विभिन्न पहलुओं का विस्तृत विवरण दिया गया होता है। अत: फॉर्म भरने से पहले इसका अध्ययन करना लाभदायक रहता है।
- फॉर्म भरने की प्रक्रिया समाप्त होने के बाद सामान्यत: 3 से 4 माह पश्चात् प्रारंभिक परीक्षा आयोजित की जाती है।
- प्रारंभिक परीक्षा एक ही दिन आयोग द्वारा निर्धारित राज्य के विभिन्न केंद्रों पर संपन्न होती है।
- आयोग द्वारा आयोजित प्रारंभिक परीक्षा की प्रकृति वस्तुनिष्ठ होती है, जिसके अंतर्गत प्रत्येक प्रश्न के लिये दिये गए पाँच संभावित विकल्पों (a, b, c, d और e) में से एक सही विकल्प का चयन करना होता है।
- प्रश्न से संबंधित इस चयनित विकल्प को आयोग द्वारा दिये गए ओएमआर सीट में उसके सम्मुख दिये गए संबंधित गोले (सर्किल) में उचित स्थान पर काले या नीले बॉल पॉइंट पेन से भरना होता है।
- वर्तमान में आयोग की इस प्रारंभिक परीक्षा में अन्य राज्यों से भिन्न केवल एक प्रश्न-पत्र सामान्य अध्ययन (वस्तुनिष्ठ) से प्रश्न पूछे जाते हैं, जिसमें प्रश्नों की कुल संख्या- 150 एवं अधिकतम अंक-150 निर्धारित है। इसका उत्तर अभ्यर्थियों को आयोग द्वारा निर्धारित दो घंटे की समय सीमा में देना होता है।
- इस परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिये सामान्यत: 60-70% अंक प्राप्त करने की आवश्यकता होती है, किन्तु कभी-कभी प्रश्नों के कठिनाई स्तर को देखते हुए यह प्रतिशत कम भी हो सकता है।
- प्रश्नपत्र दो भाषाओं (हिन्दी एवं अंग्रेजी) में दिये गए होते है। प्रश्न की भाषा संबंधी किसी भी विवाद की स्थिति में अंग्रेजी भाषा में छपे प्रश्नों को वरीयता दी जाएगी।
- प्रारंभिक परीक्षा की प्रकृति क्वालिफाइंग होती है। इसमें प्राप्त अंकों को मुख्य परीक्षा या साक्षात्कार के अंकों के साथ नहीं जोड़ा जाता है।
प्रारम्भिक परीक्षा में बदलाव क्या?
- परीक्षा प्रक्रिया में संशोधन करके 68वीं BPSC की प्रारंभिक परीक्षा से गलत उत्तर के लिये निगेटिव मार्किंग (एक चौथाई - 1/4 या 0.25 अंक) का प्रावधान किया गया है।
- यदि अभ्यर्थी किसी प्रश्न का एक से अधिक उत्तर देता है, तो उस उत्तर को गलत माना जाएगा।
- प्रारंभिक परीक्षा के पाठ्यक्रम, प्रश्नपत्र, प्रश्न संख्या, अंकों के वितरण इत्यादि में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। पाठ्यक्रम संबंधित विस्तृत विवरण के लिये पाठ्यक्रम शीर्षक का अध्ययन करें।
- अब इस परीक्षा के आधार पर मुख्य परीक्षा के लिये चुने जाने वाले अभ्यर्थियों की संख्या कुल संसूचित रिक्तियों की दस गुना होगी (पूर्व में यह संख्या प्रारंभिक परीक्षा में उपस्थित कुल अभ्यर्थियों की संख्या का लगभग 10% होती थी)।
मुख्य परीक्षा की प्रक्रिया:
- प्रारंभिक परीक्षा में सफल हुए अभ्यर्थियों के लिये मुख्य परीक्षा का आयोजन पटना में आयोग द्वारा निर्धारित विभिन्न केंद्रों पर किया जाता है।
- मुख्य परीक्षा की प्रकृति वर्णनात्मक एवं वस्तुनिष्ठ होती है। इसमें प्रश्नों के उत्तर को आयोग द्वारा दी गई उत्तर-पुस्तिका में लिखना एवं वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्नों के उत्तर को OMR सीट में भरना होता है।
- मुख्य परीक्षा के प्रश्नपत्र दो भागों (अनिवार्य एवं वैकल्पिक) में विभाजित हैं।
- अनिवार्य विषयों में- सामान्य अध्ययन के प्रथम एवं द्वितीय प्रश्नपत्र तथा निबंध के प्रश्नपत्र शामिल हैं।
- सामान्य हिन्दी के प्रश्नपत्र को क्वालिफाइंग प्रकृति का कर दिया गया है।
- वैकल्पिक विषय में- अभ्यर्थी द्वारा विज्ञप्ति के दौरान उसमें दिये गए विषयों में से चयनित एक वैकल्पिक विषय शामिल है (पूर्व में दो वैकल्पिक विषयों का चयन करना होता था)। वर्तमान में वैकल्पिक विषय के प्रश्नपत्र को क्वालिफाइंग प्रकृति का कर दिया गया है।
- मुख्य परीक्षा में वैकल्पिक विषयों का स्टैंडर्ड लगभग वही होगा जो पटना विश्वविद्यालय के तीन वर्षीय ऑनर्स परीक्षा का है।
- मुख्य परीक्षा में वैकल्पिक विषयों का एक बार किया गया चुनाव अंतिम होगा जो किसी भी दशा में बदला नहीं जाएगा।
मुख्य परीक्षा में बदलाव क्या?
- पूर्व में मुख्य परीक्षा कुल 1200 अंकों (क्वालिफाइंग सामान्य हिन्दी के प्रश्नपत्र को छोड़कर) का होता था जो वर्तमान संशोधन के अनुसार कुल 900 अंकों (क्वालिफाइंग सामान्य हिन्दी के प्रश्नपत्र को छोड़कर) का होगा।
- मुख्य परीक्षा के दृष्टिकोण से पूर्व की परीक्षा संरचना में आंशिक संशोधन किया गया है, जो इस प्रकार है-
अनिवार्य विषयों में संशोधन:
सामान्य हिंदी-
- सामान्य हिन्दी में 100 अंकों का एक प्रश्नपत्र होगा। जिसकी प्रकृति वर्णनात्मक होगी। यह प्रश्नपत्र केवल क्वालिफाइंग होगा जिसमें 30% लब्धांक प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
- जो अभ्यर्थी सामान्य हिन्दी विषय की लिखित परीक्षा में कम से कम 30% अंक प्राप्त नहीं करते हैं, वे योग्यता प्राप्त नहीं समझे जाएंगे।
- सामान्य हिन्दी विषय के प्राप्तांक मात्र अर्हित होने के लिये हैं, इन अंकों को मेरिट लिस्ट में नहीं जोड़ा जाता है।
- सामान्य हिन्दी विषय के पाठ्यक्रम का विस्तृत विवरण आयोग द्वारा जारी विज्ञप्ति के अंतर्गत पाठ्यक्रम शीर्षक में दिया गया है।
सामान्य अध्ययन-
- पूर्व में सामान्य अध्ययन के दोनों प्रश्नपत्रों (प्रथम प्रश्नपत्र एवं द्वितीय प्रश्नपत्र) का पूर्णांक 200-200 अंकों का होता था जिसकी परीक्षा आयोग द्वारा निर्धारित तिथि को एक ही दिन दो पालियो में तीन-तीन घंटे की समयावधि में संपन्न होती थी।
- नवीनतम विज्ञप्ति के अनुसार सामान्य अध्ययन के दोनों प्रश्नपत्रों (प्रथम प्रश्नपत्र एवं द्वितीय प्रश्नपत्र) का पूर्णांक 300-300 अंकों का होगा जिसकी परीक्षा आयोग द्वारा निर्धारित तिथि को एक ही दिन दो पालियो में तीन-तीन घंटे की अवधि में संपन्न होगी।
- पूर्व की भाँति ही इन प्रश्नपत्रों में प्राप्त किये गए अंक मेधा सूची में जोड़े जाएंगे।
निबंध
- हाल ही में बी.पी.एस.सी. द्वारा 68वीं मुख्य परीक्षा से निबंध के प्रश्नत्र को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है।
- यह प्रश्नपत्र 300 अंको का होगा, इन अंको को मेधा सूची के निर्धारण में शामिल किया जाएगा।
- इस प्रश्नपत्र के अंतर्गत 3 खंडो में (प्रत्येक में चार-चार निबंध के प्रश्न रहेगें) से प्रत्येक खंड से एक-एक निबंध अर्थात् कुल तीन निबंध लिखने होगें।
- पहले और दूसरे खंड का निबंध यूपीएससी पैटर्न पर आधारित होगा जबकि तीसरे खंड का निबंध बिहार ओरिएंटेड विषय पर आधारित होगा।
वैकल्पिक विषय-
- पूर्व की परीक्षा संरचना में परीक्षा के इस चरण के लिये अभ्यर्थियों को विज्ञप्ति में दिये गए विषयों में से एक वैकल्पिक विषय का चयन करना होता था, जिसके लिये 300 अंक निर्धारित था।
- 68वीं BPSC से संशोधन करके परीक्षा के इस चरण के लिये अभ्यर्थियों को विज्ञप्ति में दिये गए विषयों में से केवल एक वैकल्पिक विषय का चयन करना होगा जो वस्तुनिष्ठ प्रकृति का होगा, जिसके लिये 100 अंक निर्धारित किया गया है एवं परीक्षा की अवधि दो घंटे की होगी। अब वैकल्पिक विषय प्रश्नपत्र मात्र क्वालिफाइंग होगा।
नोट: वर्तमान में संशोधन करके सामान्य अध्ययन एवं निबंध में प्राप्त किये गए अंकों के योग के आधार पर मेधा सूची तैयार की जाएगी। इसमें सफल हुए अभ्यर्थी आयोग के समक्ष साक्षात्कार के लिये आमंत्रित किये जाएंगे।
- किसी भी अभ्यर्थी द्वारा उपरोक्त सभी विषयों के उत्तर हिन्दी (देवनागरी), अंग्रेजी या उर्दू लिपि में से किसी एक भाषा में दिये जा सकते हैं। अन्य भाषा में उत्तर देने की छूट नहीं होगी।
- उत्तर देने के क्रम में केवल तकनीकी शब्दों, वाक्यांशों, उद्धरित अंशों का उक्त चुनी गई भाषा के साथ अंग्रेजी रूपांतरण भी दिया जा सकता है।
- अभ्यर्थी को अपने प्रश्नपत्र के उत्तर स्वयं अपने हाथ से लिखने होंगे। किसी भी परिस्थिति में इसके लिये किसी अन्य व्यक्ति की सहायता लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
- परीक्षा के सभी विषयों में कम से कम शब्दों में की गई संगठित, सूक्ष्म और सशक्त अभिव्यक्ति को श्रेय मिलेगा।
- अभ्यर्थी यदि चाहे तो मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन के प्रथम प्रश्नपत्र में सांख्यिकी विश्लेषण, आरेखन और चित्रण के प्रश्नों को हल करने के लिये साधारण कैलकुलेटर का प्रयोग कर सकता है (प्रारंभिक परीक्षा में कैलकुलेटर का प्रयोग वर्जित है)।
- कोई भी अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा के अंतिम परीक्षाफल की घोषणा की तिथि से 60 दिनों के अंदर 5 रूपये प्रति विषय की दर से भारतीय पोस्टल ऑर्डर (आईपीओ) के रूप में जमा कर के प्राप्तांकों के जोड़ की शुद्धता की जाँच करा सकता है।
साक्षात्कार की प्रक्रिया:
- मुख्य परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों को सामान्यत: एक माह पश्चात् आयोग के समक्ष साक्षात्कार के लिये उपस्थित होना होता है।
- साक्षात्कार के दौरान अभ्यर्थियों के व्यक्तित्व का परीक्षण किया जाता है जिसमें आयोग के सदस्यों द्वारा आयोग में निर्धारित स्थान पर मौखिक प्रश्न पूछे जाते हैं। इसका उत्तर अभ्यर्थी को मौखिक रूप से देना होता है। यह प्रक्रिया अभ्यर्थियों की संख्या के अनुसार एक से अधिक दिनों तक चलती है।
- मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार में प्राप्त किये गए अंकों के योग के आधार पर अंतिम रूप से मेधा सूची (मेरिट लिस्ट) तैयार की जाती है।
- आरक्षी सेवा तथा उत्पाद निरीक्षक के लिये एनसीसी प्रशिक्षण प्रमाण-पत्र प्राप्त अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में लाभ (वेटेज) दिया जाता है।
- सम्पूर्ण साक्षात्कार समाप्त होने के सामान्यत: एक सप्ताह पश्चात् अन्तिम रूप से चयनित अभ्यर्थियों की सूची जारी की जाती है।
साक्षात्कार में बदलाव क्या ?
- साक्षात्कार में बदलाव केवल अंकों के स्तर पर किया गया है।
- पूर्व में साक्षात्कार के लिये 150 अंक निर्धारित था।
- वर्तमान संशोधन के अनुसार साक्षात्कार के लिये 120 अंक निर्धारित किये गए हैं।