विश्व आर्द्रभूमि दिवस 2025 | 04 Feb 2025

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने 2 फरवरी 2025 को पार्वती अरगा रामसर साइट, गोंडा, उत्तर प्रदेश (UP) में विश्व आर्द्रभूमि दिवस 2025 समारोह का आयोजन किया।

मुख्य बिंदु

  • परिचय: 
    • यह दिवस आर्द्रभूमि के महत्त्व के संबंध में जागरूकता बढ़ाने के लिये प्रतिवर्ष मनाया जाता है तथा यह दिवस 1971 में ईरान के रामसर में आर्द्रभूमि पर रामसर अभिसमय को अपनाए जाने की स्मृति को दर्शाता है।
    • 2025 का विषय/ थीम: Protecting Wetlands for our Common Future अर्थात् हमारे सामान्य भविष्य के लिये आर्द्रभूमि की रक्षा।
  • नया गलियारा: 
    • सरकार ने घोषणा की कि उत्तर प्रदेश में अयोध्या और देवीपाटन के बीच एक नया प्रकृति-संस्कृति पर्यटन गलियारा विकसित किया जाएगा।
  • अमृत ​​धरोहर पहल: 
    • अमृत ​​धरोहर को जून 2023 में रामसर साइटों के संरक्षण के लिये लॉन्च किया गया था, जो चार प्रमुख घटकों अर्थात प्रजातियों और आवास संरक्षण, प्रकृति पर्यटन, आर्द्रभूमि आजीविका और आर्द्रभूमि कार्बन पर केंद्रित है।
  • खतरा: 
    • आर्द्रभूमियों के लिये सबसे बड़ा खतरा औद्योगिक और मानवीय अपशिष्टों से होने वाला प्रदूषण है, जो इन पारिस्थितिकी प्रणालियों को नष्ट कर देता है।

पार्वती अरगा रामसर साइट

  • परिचय : यह एक स्थायी स्वच्छ जल का वातावरण है, जिसमें दो झीलें अर्थात् पार्वती और अरगा शामिल हैं, जो वर्षा आधारित हैं और तराई क्षेत्र (गंगा के मैदान) में स्थित हैं।
  • निकटवर्ती टिकरी वन को भी इको-पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है।
  • ऑक्सबो झीलें यू आकार की झीलें हैं, जो तब बनती हैं जब किसी नदी का घुमावदार मार्ग कट जाता है, जिससे एक अलग जल निकाय का निर्माण होता है।
  • पारिस्थितिक महत्त्व: यह गंभीर रूप से लुप्तप्राय सफेद पूँछ वाले गिद्ध (White-rumped Vulture), भारतीय गिद्ध और लुप्तप्राय मिस्र के गिद्धों के लिये एक शरणस्थली है।
  • यूरेशियन कूट्स, मैलार्ड्स, ग्रेलैग गीज़, नॉर्दर्न पिनटेल्स और रेड-क्रेस्टेड पोचर्ड्स जैसे प्रवासी पक्षी सर्दियों के महीनों में इस स्थल पर आते हैं।
  • आक्रामक प्रजातियाँ: इसे आक्रामक प्रजातियों, विशेष रूप से सामान्य जलकुंभी से खतरा है।
  • सांस्कृतिक स्थल: यह क्षेत्र महर्षि पतंजलि और गोस्वामी तुलसीदास की जन्मस्थली जैसे सांस्कृतिक स्थलों का आवास है, जिससे धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा मिलता है।