प्रदेश के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में स्थापित होंगे वेदर स्टेशन | 29 Jun 2023

चर्चा में क्यों?

27 जून, 2023 को उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव डॉ. रंजीत सिन्हा ने बताया कि उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भूसूचना विज्ञान अनुसंधान प्रतिष्ठान (डीजीआरई) चंडीगढ़  वेदर स्टेशन स्थापित करेगा, जिसका खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी। 

प्रमुख बिंदु  

  • उत्तरकाशी में हिमस्खलन की घटना से सबक लेने के बाद हिमालय के सीमांत क्षेत्रों में भी वेदर स्टेशन स्थापित किये जाने का फैसला लिया गया है। 
  • इससे हिमस्खलन होने से पहले ही इसके संकेत मिल जाएंगे। इसके लिये उच्च हिमालयी क्षेत्रों में 74 वेदर स्टेशन स्थापित किये जाएंगे।  
  • विदित है कि जलवायु परिवर्तन के चलते बीते कुछ सालों में उत्तराखंड में हिमस्खलन की घटनाएँ बढ़ी हैं। यह बेहद खतरनाक पैटर्न है, जो पहाड़ी क्षेत्रों में बड़ी चिंता की वजह बना हुआ है।  
  • बीते वर्ष अक्तूबर में उत्तरकाशी ज़िले में उच्च हिमालयी क्षेत्र में प्रशिक्षण के लिये निकले नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के 29 प्रशिक्षु पर्वतारोही डोकराणी बामक ग्लेशियर में हिमस्खलन की चपेट में आ गए थे। इनमें से 27 की मौत हो गई थी।  
  • हालाँकि प्रदेश में हिमस्खलन के कारण मौतों की यह पहली घटना नहीं थी, इससे पहले भी इस तरह की घटनाओं में कई बार जान-माल की हानि हुई है, लेकिन इस घटना से सबक लेते हुए प्रदेश सरकार ने राज्य आपदा प्रबधंन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) को इस दिशा में ठोस कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिये थे। 
  • यूएसडीएमए के अधिकारियों ने बताया कि अभी तक मौसम संबंधी जो डाटा हमें प्राप्त हो रहा है, उसमें हिमस्खलन जैसी घटनाओं की सटीक जानकारी नहीं मिल पाती है। इसलिये उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हिमस्खलन को ध्यान में रखते हुए अलग से वेदर स्टेशन स्थापित करने का फैसला लिया गया है। ताकि सटीक आँकड़ों के साथ अलर्ट जारी किया जा सके। यह स्टेशन कहाँ-कहाँ स्थापित किये जाएंगे, सुरक्षा की दृष्टि से इसका खुलासा नहीं किया गया है। 
  • उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन तंत्र को मजबूत करने की दिशा में यह बहुत बड़ा कदम है। उच्च हिमालयी क्षेत्रों में वेदर स्टेशन स्थापित होने के बाद हमें सटीक आँकड़े प्राप्त हो पाएंगे, जिससे सही समय पर अलर्ट जारी कर जान माल के नुकसान को कम किया जा सकेगा।   
  • वर्ष 2000 के बाद उत्तराखंड में हिमस्खलन की प्रमुख घटनाएँ: 
    • वर्ष 2022 में उत्तरकाशी में डोकराणी बामक ग्लेशियर में हिमस्खलन की चपेट में आने से 27 प्रशिक्षु पर्वतारोहियों की मौत। 
    • वर्ष 2021 में त्रिशूल चोटी आरोहण के दौरान हिमस्खलन की चपेट में आए नौसेना के पाँच पर्वतारोहियों सहित छह की मौत। 
    • वर्ष 2021 में लंखागा दर्रे में हिमस्खलन से नौ पर्यटकों की मौत। 
    • वर्ष 2019 में नंदादेवी चोटी के आरोहण के दौरान हिमस्खलन की चपेट में आने से चार विदेशी पर्वतारोही सहित आठ की मौत। 
    • वर्ष 2016 में शिवलिंग चोटी पर दो विदेशी पर्वतारोहियों की मौत। 
    • वर्ष 2012 में सतोपंथ ग्लेशियर पर क्रेवास में गिरकर आस्ट्रेलिया के एक पर्वतारोही की मौत। 
    • वर्ष 2012 में वासुकीताल के पास हिमस्खलन से बंगाल के पाँच पर्यटकों की मौत। 
    • वर्ष 2008 में कालिंदीपास में हिमस्खलन से बंगाल के तीन पर्वतारोही और पांच पोर्टर की मौत। 
    • वर्ष 2005 में सतोपंथ चोटी पर आरोहण के दौरान हिमस्खलन से सेना के एक पर्वतारोही की मौत। 
    • वर्ष 2005 में चौखंभा में हिमस्खलन से पाँच पर्वतारोहियों की मौत। 
    • वर्ष 2004 में कालिंदीपास में हिमस्खलन से चार पर्वतरोहियों की मौत। 
    • वर्ष 2004 में गंगोत्री-टू चोटी में हिमस्खलन से बंगाल के चार पर्वतारोहियों की मौत।