गाँव ने यूनियन कार्बाइड अपशिष्ट को जलाने से मना किया | 15 Jan 2025
चर्चा में क्यों?
भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (UCIL) संयंत्र से निकलने वाले खतरनाक अपशिष्ट के निपटान को लेकर विवाद उस समय चर्चा में आ गया है, जब खतरनाक सामग्री को जलाने के लिये मध्य प्रदेश के पीथमपुर शहर के तारपुरा गाँव में ले जाया गया है।
मुख्य बिंदु
- खतरनाक अपशिष्ट स्थानांतरण:
- UCIL भोपाल संयंत्र से 337 मीट्रिक टन विषाक्त अपशिष्ट को निपटान के लिये पीथमपुर ले जाया गया है।
- कंटेनरों को एक निजी उपचार, भंडारण और निपटान सुविधा में पार्क किया जाता है।
- विरोध और विरोध:
- स्थानीय निवासियों, व्यापारियों और कार्यकर्त्ताओं ने अपशिष्ट को जलाने का विरोध किया है।
- इस क्षेत्र में आम हड़ताल का कारण पर्यावरण क्षरण, भूजल प्रदूषण और अपर्याप्त नियामक उपायों जैसी समस्याएँ हैं।
- सरकार की प्रतिक्रिया:
- धार ज़िला प्रशासन ने चिंताओं को दूर करने के लिये जागरूकता अभियान शुरू किया है।
- इसमें किसान, श्रमिक और औद्योगिक संघ शामिल हैं तथा पर्यावरण मानदंडों के पालन पर ज़ोर दिया जाता है।
- स्थानीय पर्यावरणीय चुनौतियाँ:
- पीथमपुर का औद्योगिक क्षेत्र पहले से ही अत्यधिक प्रदूषित है, जिससे वायु, जल और मृदा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।
- भूजल में लवणता बढ़ने और इससे संबंधित स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ जैसे त्वचा संबंधी समस्याएँ होने की रिपोर्टें।
भोपाल गैस त्रासदी 1984
- भोपाल गैस त्रासदी औद्योगिक दुर्घटनाओं के इतिहास में सबसे गंभीर घटनाओं में से एक मानी जाती है, जो 2-3 दिसंबर 1984 की रात मध्य प्रदेश के भोपाल में यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (UCIL) के कीटनाशक संयंत्र में घटित हुई थी।
- कई व्यक्तियों और जानवरों ने इस अत्यधिक विषैले गैस मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) के संपर्क में आकर तत्काल और दीर्घकालिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव अनुभव किया, जिसके परिणामस्वरूप मृत्यु भी हुई।