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उत्तराखंड

उत्तराखंड वनाग्नि: ग्लेशियरों के लिये संकट

  • 06 May 2024
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

उत्तराखंड में वनाग्नि की घटना के कारण क्षेत्र के वनों को भारी नुकसान पहुँचा है। नवंबर 2023 से, वनाग्नि की 886 अलग-अलग घटनाओं में 1,107 हेक्टेयर वन क्षेत्र नष्ट हो गया है, जिससे स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र पर गहरा प्रभाव पड़ने की चिंता उत्पन्न हो गई है।

मुख्य बिंदु:

  • भारतीय वन सर्वेक्षण (Forest Survey of India- FSI) ने मौजूदा संकट की गंभीरता पर ज़ोर देते हुए, उत्तराखंड में कई वनाग्नि-अलर्ट जारी किये हैं।
  • वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के एक पूर्व वैज्ञानिक ने विशेष रूप से गर्मियों के दौरान वनाग्नि के कारण वातावरण में ब्लैक कार्बन की बढ़ती सांद्रता पर प्रकाश डाला है, जो ग्लेशियर के पिघलने का प्रमुख कारण है और पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के नाज़ुक संतुलन को बाधित करता है।
  • विश्व बैंक द्वारा हाल ही में किये गए एक अध्ययन में ग्लेशियर पिघलने की गति बढ़ाने में ब्लैक कार्बन की भूमिका को रेखांकित किया गया है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, ब्लैक कार्बन के संचय से न केवल ग्लेशियर की सतहों का परावर्तन कम हो जाता है, जिससे सौर विकिरण का अवशोषण बढ़ जाता है, बल्कि हवा का तापमान भी बढ़ जाता है, जिससे ग्लेशियर के स्खलन की गति और तेज़ हो जाती है।
  • विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने हिमालय में ग्लेशियरों के तेज़ी से पिघलने और ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड जैसी प्राकृतिक आपदाओं के बढ़ते खतरों की चेतावनी दी है।
  • उनके हालिया अध्ययन में ब्लैक कार्बन उत्सर्जन के प्रभावों को कम करने और हिमालय क्षेत्र के नाज़ुक पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिये ठोस प्रयासों की आवश्यकता बताई गई है।

वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (Wadia Institute of Himalayan Geology- WIHG)

  • वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग का एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान है।
  • जून, 1968 में दिल्ली विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के दो कक्ष में एक छोटे केंद्र के रूप में स्थापित इस संस्थान को अप्रैल, 1976 के दौरान देहरादून में स्थानांतरित कर दिया गया था।

ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF)

  • यह एक प्रकार की विनाशकारी बाढ़ है जो तब होती है जब हिमनद झील बाँध असंतुलित हो जाता है, जिससे बहुत बड़ी मात्रा में जल प्रवाह होता है।
  • इस प्रकार की बाढ़ आम तौर पर ग्लेशियरों के तेज़ी से पिघलने या भारी वर्षा या पिघले जल के प्रवाह के कारण झील में जल के अति-संचय के कारण होती है।
  • फरवरी 2021 में, उत्तराखंड के चमोली ज़िले में अचानक बाढ़ की घटना हुई, जिसके बारे में संदेह है कि यह GLOF के कारण हुई थी।
  • कारण:
    • ये बाढ़ कई कारकों से उत्पन्न हो सकती है, जिनमें ग्लेशियर की मात्रा में परिवर्तन, झील के जल स्तर में परिवर्तन और भूकंप शामिल हैं।
    • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (National Disaster Management Authority- NDMA) के अनुसार, हिंदूकुश हिमालय के अधिकांश हिस्सों में होने वाले जलवायु परिवर्तन के कारण हिमनदों के स्खलन से कई नए हिमनद झीलों का निर्माण हुआ है, जो GLOF का प्रमुख कारण हैं।

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