उत्तराखंड चार बाघों को राजस्थान स्थानांतरित करेगा | 30 Mar 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अधिकारियों के अनुरोध के बाद उत्तराखंड सरकार चार बाघों को राजस्थान में स्थानांतरित करने पर सहमत हो गई है।
मुख्य बिंदु
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के दिशा-निर्देशों के अनुसार, राजस्थान भेजे जाने वाले बाघों को संरक्षित वन क्षेत्र से नहीं बल्कि बफर ज़ोन से पकड़ा जाएगा।
- तीन बाघों को ओडिशा में स्थानांतरित करने का एक समान अनुरोध भी प्राप्त हुआ है और यह विचाराधीन है।
- उत्तराखंड में बाघ पुनर्वास परियोजना के सफल संचालन के बाद राजस्थान और ओडिशा सरकारों से बाघों के स्थानांतरण के लिये अनुरोध प्राप्त हुए थे, जिसके तहत चार बड़ी बिल्लियों को कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व से राजाजी टाइगर रिज़र्व में स्थानांतरित किया गया था।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण
- यह पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय है।
- इसकी स्थापना वर्ष 2005 में टाइगर टास्क फोर्स की सिफारिशों के बाद की गई थी।
- इसे सौंपी गई शक्तियों और कार्यों के अनुसार, बाघ संरक्षण को मज़बूत करने के लिये वर्ष 2006 में संशोधित वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के सक्षम प्रावधानों के तहत गठित किया गया था।
राजाजी टाइगर रिज़र्व
- यह हरिद्वार (उत्तराखंड) में शिवालिक पर्वतमाला की तलहटी में स्थित है। यह राजाजी राष्ट्रीय उद्यान का हिस्सा है।
- राजाजी राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना वर्ष 1983 में उत्तराखंड में तीन अभयारण्यों यानी राजाजी, मोतीचूर और चीला को मिलाकर की गई थी।
- इसका नाम प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी सी. राजगोपालाचारी लोकप्रिय रूप से "राजाजी" के नाम से जाने जाते हैं, के नाम पर रखा गया था।
- इसे वर्ष 2015 में देश का 48वाँ बाघ अभयारण्य घोषित किया गया था।