उत्तराखंड
उत्तराखंड राज्य (न्यायालयों द्वारा आजीवन कारावास की सजा से दंडित सिद्धदोष बंदियों की सजामाफी/समयपूर्व मुक्ति के लिये) स्थायी नीति, 2022 की अधिसूचना जारी
- 13 Dec 2022
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चर्चा में क्यों?
12 दिसंबर, 2022 को उत्तराखंड की अपर मुख्य सचिव गृह राधा रतूड़ी ने उत्तराखंड राज्य (न्यायालयों द्वारा आजीवन कारावास की सजा से दंडित सिद्धदोष बंदियों की सजामाफी/समयपूर्व मुक्ति के लिये स्थायी नीति, 2022 की अधिसूचना जारी की।
प्रमुख बिंदु
- उत्तराखंड राज्य (न्यायालयों द्वारा आजीवन कारावास की सजा से दंडित सिद्धदोष बंदियों की सजामाफी/समयपूर्व मुक्ति के लिये) स्थायी नीति, 2022 के अंतर्गत आजीवन कारावास में बंद महिला और पुरुष कैदी समान सजा के बाद रिहा हो सकेंगे। रिहाई के लिये उन्हें अच्छे आचरण, अपराध की प्रकृति और आयु की कसौटी पर परखा जाएगा। उनकी 50 हज़ार रुपए के निजी मुचलके पर रिहाई हो सकेगी।
- अपराध की प्रकृति के साथ बंदियों की रिहाई पर निर्णय होगा। यदि कोई बंदी गलती से रिहा हो जाता है तो उसे दोबारा जेल भेजा जा सकेगा। 13 से अधिक गंभीर बीमारियों से ग्रस्त बंदियों को भी रिहाई मिल सकेगी।
- इस नीति के तहत आजीवन कारावास के तहत अब अधिकतम 14 साल की सजा होगी। अभी तक महिलाओं के लिये 14 साल और पुरुषों के लिये 16 साल की सजा का प्रावधान था। लेकिन अब ऐसे सिद्धदोष महिला व पुरुष बंदी जिनकी बिना पैरोल के 14 साल और पैरोल के साथ 16 वर्ष की सजा पूरी हो गई है, उनकी सजा माफ हो सकेगी।
- इसी तरह 70 वर्ष से अधिक आयु के बगैर पैरोल वाले बंदी 12 वर्ष और पैरोल पर रहे 14 वर्ष और 80 वर्ष से अधिक उम्र के कैदी बगैर पैरोल 10 वर्ष और पैरोल के साथ 12 वर्ष में रिहा हो सकेंगे।
- नीति के अनुसार ऐसे मामलों पर विचार करने के लिये प्रमुख सचिव या सचिव गृह की अध्यक्षता में एक कमेटी बनेगी। इस कमेटी में प्रमुख सचिव या सचिव न्याय एवं विधि परामर्शी, प्रमुख सचिव या सचिव गृह और अपर सचिव गृह (कारागार) सदस्य होंगे, जबकि महानिरीक्षक कारागार सदस्य सचिव होंगे।