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उत्तराखंड

उत्तराखंड में आदिवासियों को UCC से छूट दी जाएगी

  • 02 Feb 2024
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

राज्य विधानसभा में पेश किया जाने वाला प्रस्तावित उत्तराखंड समान नागरिक संहिता राज्य की आदिवासी आबादी को इसके प्रावधानों से पूरी तरह छूट देने के लिये तैयार है।

मुख्य बिंदु:

  • उत्तराखंड की आबादी में लगभग 2.9% आदिवासी हैं, जिनमें जौनसारी, भोटिया, थारू, राजी और बुक्सा प्रमुख हैं।
    • पहाड़ी राज्य में कुछ जनजातियों के बीच बहुपत्नी और बहुविवाह भी प्रचलित प्रथा है।
  • उत्तराखंड UCC समिति ने भी इन आदिवासी समुदायों के साथ समान संहिता पर बातचीत की थी।
    • युवा जनजातीय आबादी ने यह भी प्रतिक्रिया दी थी कि हालाँकि पिछली पीढ़ियों में बहुपति/बहुविवाह एवं अन्य प्रथाएँ प्रचलन में थीं, लेकिन अब वे शायद ही प्रचलन में हैं और इसलिये सुधार किये जा रहे हैं।
    • हालाँकि सभी राज्यों, विशेषकर पूर्वोत्तर राज्यों में आदिवासी और जातीय समुदायों ने खुले तौर पर किसी भी नागरिक संहिता को लागू करने का विरोध व्यक्त किया है जो उनके रीति-रिवाज़ों तथा जीवन के सदियों पुराने तरीकों को प्रभावित कर सकता है।
  • मुसलमानों के लिये तलाक और पुनर्विवाह पर हलाला, इद्दत व खुला विकल्प नए कोड के तहत अवैध होंगे, जिसमें केवल न्यायालयों में कानूनी कार्यवाही के माध्यम से तलाक तथा पुनर्विवाह की आवश्यकता होगी।
    • राज्य का कोड ‘लिव-इन रिलेशनशिप’ के पंजीकरण को अनिवार्य करेगा तथा पैदा हुए बच्चों के लिये पूर्ण उत्तराधिकार की मांग करेगा।


उत्तराखंड की जनजातियाँ

  • उत्तराखंड की जनजातियों में मुख्य रूप से पाँच प्रमुख समूह शामिल हैं जिनमें जौनसारी जनजाति, थारू जनजाति, राजी जनजाति, बुक्सा जनजाति और भूटिया शामिल हैं।
  • जनजातीय आबादी का मुख्य संकेंद्रण ग्रामीण क्षेत्रों में है।
    • रिकॉर्ड के अनुसार, कुल आदिवासी आबादी का लगभग 94.50% ग्रामीण क्षेत्रों में रहता है और शेष प्रतिशत आदिवासी आबादी शहरी केंद्रों में रहती है।
  • जनसंख्या की दृष्टि से थारू जनजाति राज्य का सबसे बड़ा जनजातीय समूह है।
  • उत्तराखंड के प्रत्‍येक ज़िले में जनजातीय आबादी का कम-से-कम प्रतिशत है
  • उत्तराखंड की इन जनजातियों को भारत के संविधान में अनुसूचित किया गया है।

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