उत्तराखंड की मानसखंड कॉरिडोर यात्रा | 23 Apr 2024
चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड पर्यटन विभाग भारतीय रेलवे के सहयोग से कुमाऊँ क्षेत्र के प्राचीन मंदिरों को लोकप्रिय बनाने के लिये 'मानसखंड कॉरिडोर यात्रा' शुरू करेगा।
मुख्य बिंदु:
- तीर्थयात्रा के लिये यात्रियों को पुणे से पिथौरागढ़ ज़िले के टनकपुर तक ले जाने के लिये एक समर्पित ट्रेन सेवा की व्यवस्था की गई है।
- ट्रेन दो बैचों में 600 से अधिक तीर्थयात्रियों को 'मानसखंड' के प्रसिद्ध मंदिरों तक ले जाएगी, जो प्राचीन हिंदू ग्रंथों में उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र को संदर्भित करने के लिये इस्तेमाल किया जाने वाला वाक्यांश है।
- टूर पैकेज के तहत श्रद्धालुओं को टनकपुर, चंपावत, पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा के मंदिरों एवं अन्य धार्मिक स्थानों पर ले जाया जाएगा तथा इन मंदिरों के पौराणिक महत्त्व के बारे में जानकारी दी जाएगी।
- चंपावत में बालेश्वर, मनेश्वर एवं मायावती मंदिरों के दर्शन, हाट कालिका, पिथौरागढ में पाताल भुवनेश्वर मंदिर, चितई में जागेश्वर तथा गोलू देवता मंदिर, नंदा देवी, कसार देवी, अल्मोडा में कटारमल, उधम सिंह नगर में नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारा और नैना देवी मंदिर के दर्शन नैनीताल में तीर्थयात्रियों के लिये यात्रा कार्यक्रम का हिस्सा हैं।
कुमाऊँ क्षेत्र
- इसमें राज्य के छह ज़िले शामिल हैं: अल्मोडा, बागेश्वर, चंपावत, नैनीताल, पिथोरागढ़ और उधम सिंह नगर।
- ऐतिहासिक रूप से मानसखंड और फिर कुर्मांचल के रूप में जाना जाने वाला कुमाऊँ क्षेत्र इतिहास के दौरान कई हिंदू राजवंशों द्वारा शासित रहा है।
- कुमाऊँ मंडल की स्थापना वर्ष 1816 में हुई थी, जब अंग्रेज़ों ने गोरखाओं से इस क्षेत्र को पुनः प्राप्त किया था, जिन्होंने वर्ष 1790 में कुमाऊँ के तत्कालीन साम्राज्य पर कब्ज़ा कर लिया था।
- स्वतंत्र भारत में राज्य को उत्तर प्रदेश कहा जाता था। वर्ष 2000 में, कुमाऊँ सहित उत्तर प्रदेश से अलग होकर नया राज्य उत्तराखंड बनाया गया।