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उत्तराखंड पुनः जनसंख्या वृद्धि के उपाय

  • 15 Jul 2024
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उत्तराखंड के ग्रामीण विकास एवं पलायन रोकथाम आयोग ने मुख्यमंत्री को सौंपी रिपोर्ट में प्रकट किया है कि भारत-चीन सीमा के निकट 11 गाँवों में कोई भी निवासी नहीं बचा है।

मुख्य बिंदु:

  • यह रिपोर्ट वर्ष 2023 में 137 सीमावर्ती गाँवों के ज़मीनी सर्वेक्षण के बाद प्रस्तुत की गई।
  • इन 11 गाँवों में से छह गाँव पिथौरागढ़ ज़िले में हैं- गुमकना, लुम, खिमलिंग, सागरी ढकधौना, सुमातु और पोटिंग।
  • इनमें से तीन चमोली ज़िले में हैं- रेवल चक कुरकुटी, फगती और लामतोल तथा दो उत्तरकाशी ज़िले में हैं- नेलांग एवं जादुंग।
  • आयोग द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में सरकार के लिये विभिन्न सुझाव शामिल हैं, जैसे:
  • सुगम्यता मानदंडों में ढील देकर उन क्षेत्रों में सीमा पर्यटन को बढ़ावा देना।
  • सीमावर्ती गाँवों में मनरेगा कार्यक्रम के तहत 100 दिनों के स्थान पर 200 दिनों का रोज़गार उपलब्ध कराना।
  • केंद्र द्वारा 'वाइब्रेंट विलेज' के रूप में चिह्नित 51 सीमावर्ती गाँवों के निकट स्थित स्थानों का विकास करना।

वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (Vibrant Villages Programme- VVP)

  • यह एक केंद्रीय वित्तपोषित योजना है जिसकी घोषणा केंद्रीय बजट वर्ष 2022-23 (वर्ष 2025-26 तक) में उत्तर में सीमावर्ती गाँवों को विकसित करने और ऐसे सीमावर्ती गाँवों के निवासियों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लक्ष्य के साथ की गई।
  • इसमें हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और लद्दाख के सीमावर्ती क्षेत्र शामिल होंगे।
  • इसके तहत 2,963 गाँवों को कवर किया जाएगा, जिनमें से 663 को पहले चरण में कवर किये जाएंगे
  • ग्राम पंचायतों की सहायता से ज़िला प्रशासन द्वारा वाइब्रेंट विलेज एक्शन प्लान बनाए जाएंगे
  • वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम की वजह से ‘सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम’ के साथ ओवरलैप की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी।

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act- MGNREGA) योजना

  • ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा वर्ष 2005 में शुरू किया गया मनरेगा विश्व के सबसे बड़े कार्य गारंटी कार्यक्रमों में से एक है।
  • यह पहल कानूनी गारंटी प्रदान करती है, जिससे किसी भी ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों के लिये प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 100 दिनों का रोज़गार सुनिश्चित होता है।
  • प्रतिभागी सार्वजनिक परियोजनाओं से संबंधित अकुशल शारीरिक कार्य में संलग्न होते हैं, जो वैधानिक न्यूनतम मज़दूरी अर्जित करते हैं।

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