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उत्तराखंड

उत्तराखंड मल्टी हजार्ड अर्ली वार्निंग सिस्टम

  • 26 Jun 2023
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

24 जून, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड में आपदाओं से बचाव के लिये उत्तराखंड मल्टी हजार्ड अर्ली वार्निंग सिस्टम के नाम से इस पायलट प्रोजेक्ट के प्रथम चरण में 250 जगहों पर सायरन सिस्टम लगाया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • उत्तराखंड में स्थापित किये जाने वाले इस प्रोजेक्ट के लिये प्रथम चरण में 118 करोड़ रुपए की स्वीकृति मिली है।
  • विदित है कि बीते दिनों मुख्य सचिव एसएस संधु की अध्यक्षता में हुई उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) की बैठक में प्रोजेक्ट को मंजूरी प्रदान की जा चुकी है।
  • इस परियोजना को वर्ल्ड बैंक फंडिंग कर रहा है। अब इसके लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ग्लोबल टेंडर आमंत्रित किये जाएंगे।
  • इस परियोजना के लागू होने के बाद उत्तराखंड, केरल के बाद दूसरा राज्य होगा, जो इस प्रणाली को अपनाने जा रहा है। केरल ने अपने यहाँ इस प्रोजेक्ट पर करीब 80 करोड़ रुपए खर्च किये हैं।
  • अर्ली वार्निंग सायरन सिस्टम के तहत राज्य में संवेदनशील स्थानों पर स्थित मोबाइल टावरों पर यह सिस्टम लगाया जाएगा। जहां मोबाइल टावर नहीं होंगे, वहाँ नए टावर लगाए जाएंगे।
  • इसके बाद भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) और सेंटर वाटर कमीशन जैसी संस्थाओं से प्राप्त होने वाले अलर्ट को सायरन के माध्यम से लोगों तक पहुँचाया जाएगा। बाढ़, भूस्खलन, भूकंप, अतिवृष्टि, हिमस्खलन जैसी आपदाओं में लोग वक्त रहते सुरक्षित स्थानों पर पहुँचकर जान-माल की सुरक्षा कर सकेंगे।
  • किसी भी आपदा की स्थिति में तीन स्तरों से सायरन सिस्टम को ऑपरेट किया जा सकेगा। पहला, जहाँ सायरन सिस्टम लगेगा, वहाँ एक मिनी कंट्रोल रूम भी होगा।
  • दूसरा, ज़िला स्तर पर बने कंट्रोल रूम से भी इसे ट्रिगर (बटन दबाना) किया जा सकेगा और तीसरा, राज्य स्तर पर बने कंट्रोल रूम से भी सायरन सिस्टम को एक्टिवेट किया जा सकेगा।
  • टीएचडीसी (टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन) की ओर से ऋषिकेश में गंगातटों पर सायरन सिस्टम लगाया गया है, लेकिन यह तभी काम करता है, जब बांध से पानी छोड़ा जाता है। मल्टी हजार्ड अर्ली वार्निंग सिस्टम हर प्रकार की आपदा में चेतावनी सायरन जारी करेगा।
  • उत्तराखंड मल्टी हजार्ड अर्ली वार्निंग सिस्टम की खास बात यह है कि यह अलग-अलग आपदाओं में अलग-अलग प्रकार की ध्वनियां प्रसारित करेगा। इसके लिये आमजन को पहले ही बता दिया जाएगा कि किस आपदा में सायरन कैसी ध्वनि प्रसारित करेगा। इससे लोगों को पता चल सकेगा कि वह किस तरह के खतरे में हैं।
  • सायरन सिस्टम लगाने के लिये ज़िलों से मोबाइल टावरों की सूची मांगी गई है। प्रोजेक्ट को एचपीसी और वर्ल्ड बैंक पहले ही मंजूरी दे चुका है। पहले चरण में सायरन की संख्या 250 फिर अगले चरण में 1000 की जाएगी।
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