उत्तराखंड
हिम तेंदुए की दूसरी सबसे बड़ी आबादी उत्तराखंड में
- 01 Feb 2024
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चर्चा में क्यों?
भारत में हिम तेंदुए की आबादी का आकलन (SPAI) के अनुसार उत्तराखंड में 124 हिम तेंदुओं की उल्लेखनीय आबादी दर्ज की गई है, जो कि लद्दाख (संख्या 477) के बाद दूसरे स्थान पर है।
मुख्य बिंदु:
- हाल ही में जारी रिपोर्ट, जिसका शीर्षक 'भारत में हिम तेंदुए की स्थिति' है, भारतीय हिमालयी क्षेत्रों में 718 हिम तेंदुओं की उपस्थिति का अनुमान लगाने वाला पहला वैज्ञानिक प्रयास है।
- भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) की एक टीम ने एक व्यापक वैज्ञानिक मूल्यांकन किया, जिसमें गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान को संरक्षण प्रदान करने हेतु महत्त्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में चिह्नित किया गया।
- अधिकारियों के अनुसार, नंदा देवी बायोस्फीयर रिज़र्व भी हिम तेंदुओं के लिये एक आशाजनक आवास के रूप में उभरा है।
- डेटा विश्लेषण के आधार पर, ये तेंदुए अलग-अलग राज्यों में ये पाए जाते हैं, जिनमें लद्दाख में 477, उत्तराखंड में 124, हिमाचल प्रदेश में 51, अरुणाचल प्रदेश में 36, सिक्किम में 21 और जम्मू-कश्मीर में इनकी संख्या 9 है। जिसके परिणामस्वरूप भारत में हिम तेंदुए की संख्या 718 है।
गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान
- इसे वर्ष 1989 में स्थापित किया गया था और यह उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में भागीरथी नदी के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र स्थित है।
- गंगोत्री ग्लेशियर पर गंगा नदी का उद्गम स्थल गौ-मुख इस पार्क के अंदर स्थित है।
- इस उद्यान के तहत आने वाला क्षेत्र गोविंद राष्ट्रीय उद्यान और केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य के बीच एक जीवंत निरंतरता बनाता है।
- वनस्पति: यह उद्यान घने शंकुधारी वनों से घिरा हुआ है जिनमें ज़्यादातर समशीतोष्ण वन हैं। इस पार्क की सामान्य वनस्पतियों में चिरपाइन, देवदार, फर, स्प्रूस, ओक एवं रोडोडेंड्रॉन शामिल हैं।
- जीव-जंतु: इस उद्यान में विभिन्न दुर्लभ एवं लुप्तप्राय प्रजातियाँ, जैसे- नीली भेड़, काले भालू, भूरे भालू, हिमालयन मोनल, हिमालयन स्नोकॉक, हिमालयन तहर, कस्तूरी मृग और हिम तेंदुए पाई जाती हैं।
नंदा देवी बायोस्फीयर रिज़र्व
- इसकी स्थापना वर्ष 1988 में की गई थी और इसे वर्ष 1988 में UNESCO द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। यह रिज़र्व विविध प्रकार की वनस्पतियों और जीवों का निवास स्थान है, जिनमें कई लुप्तप्राय प्रजातियाँ, जैसे- हिम तेंदुआ, एशियाई काला भालू, हिमालयी कस्तूरी हिरण और नीली भेड़ शामिल हैं।
- यह रिज़र्व अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिये भी जाना जाता है तथा भोटिया और जौहरी जैसे कई स्वदेशी समुदायों का निवास स्थान है। ये समुदाय सदियों से इस क्षेत्र में रह रहे हैं और उन्होंने जीवन का एक अनोखा तरीका विकसित किया है जो प्राकृतिक पर्यावरण से निकटता से जुड़ा हुआ है।