उत्तराखंड वन पंचायत संशोधन नियमावली को स्वीकृति दी | 16 Mar 2024
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में वन पंचायतों को मज़बूत और आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास में, उत्तराखंड सरकार ने एक कैबिनेट बैठक के दौरान वन पंचायत संशोधन नियमावली को स्वीकृति दे दी, जिसके तहत ब्रिटिश काल के 'वन पंचायत के अधिनियमों' में संशोधन किया गया है।
मुख्य बिंदु:
- नए नियमों के अनुसार नौ सदस्यीय वन पंचायत बनाई जाएगी, जिसे जड़ी-बूटी उत्पादन, वृक्षारोपण, जल संचयन, वनाग्नि रोकथाम, इको-पर्यटन में भाग लेने का अधिकार होगा।
- पहली बार वन पंचायत के वन प्रबंधन से त्रिस्तरीय स्थानीय निकायों को भी जोड़ा गया है।
- वन पंचायत की अवधारणा - कानूनी रूप से सीमांकित ग्राम वन, जिनका प्रबंधन और उनके प्राकृतिक संसाधनों को ग्राम समुदायों द्वारा साझा किया जाता है, वर्ष 1921 में शुरू की गई।
- उत्तराखंड भारत का एकमात्र राज्य है जहाँ वन पंचायत प्रणाली लागू है।
- यह एक ऐतिहासिक सामुदायिक वन प्रबंधन संगठन है जो वर्ष 1930 से संचालित हो रहा है।
- वर्तमान में राज्य में 11,217 वन पंचायतें हैं जिनमें 4.52 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र है।
- कैबिनेट ने शहरी क्षेत्रों में सार्वजनिक परिवहन को बेहतर बनाने और पुरानी डीज़ल ईंधन वाली बसों और थ्री व्हीलर टेम्पो से होने वाले प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से 'उत्तराखंड क्लीन मोबिलिटी ट्रांसफॉर्मेशन पॉलिसी' को स्वीकृति दे दी।
- यह नीति सबसे पहले देहरादून में लागू की जाएगी और उसके बाद अन्य ज़िलों में विस्तारित की जाएगी।