उत्तर प्रदेश
लंपी वायरस के टीकाकरण में उत्तर प्रदेश देश में अव्वल
- 27 Oct 2022
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चर्चा में क्यों?
26 अक्टूबर, 2022 को उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि पशुओं में लंपी वायरस की रोकथाम के लिये सरकारी अभियान में 1.50 करोड़ पशुओं का टीकाकरण करके उत्तर प्रदेश ने देश में पहला स्थान हासिल किया है। प्रदेश में लंपी वायरस से रिकवरी दर 95 प्रतिशत है।
प्रमुख बिंदु
- प्रवक्ता ने बताया कि उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे नंबर पर गुजरात रहा। मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश के 32 ज़िले लंपी वायरस से प्रभावित हैं। इनमें करीब 1.05 लाख पशु लंपी वायरस से ग्रस्त हैं।
- यह उपलब्धि मात्र दो महीने के अभियान में प्राप्त हुई है। कोरोना की तर्ज़ पर पशुओं में तेज़ी से फैल रहे लंपी जैसे घातक रोग को नियंत्रित करने के लिये अभियान की शुरुआत की गई थी।
- इसके मद्देनज़र घर-घर पशु चिकित्सकों को भेजकर उपचार किया गया, जिससे अब तक 1 लाख से अधिक पशु रोगमुक्त हो चुके हैं। विभाग द्वारा टीम-9 का गठन किया गया, जिसके वरिष्ठ नोडल अधिकारियों द्वारा प्रभावित बरेली, मुरादाबाद, मेरठ, सहारनपुर, आगरा और अलीगढ़ मंडलों में अभियान चलाकर लंपी चक्र को तोड़ा गया।
- प्रवक्ता ने बताया कि चिकित्सकों की टीम द्वारा 26 ज़िलों में 89 डेडीकेटेड गो चिकित्सा स्थल बनाकर भी संक्रमण के फैलाव को रोका गया। 1.50 करोड़ टीकाकरण लक्ष्य लगभग 2000 टीमों द्वारा पूरा किया गया है, जबकि 31 अक्टूबर तक 1.60 करोड़ पशुओं के टीकाकरण का लक्ष्य रखा गया है।
- गौरतलब है कि लंपी स्किन डिजीज को ‘गांठदार त्वचा रोग वायरस’भी कहा जाता है। वहीं शार्ट में LSDV कहा जाता है। यह एक संक्रामक बीमारी है, जो एक पशु से दूसरे पशु को होती है। आसान शब्दों में कहें तो संक्रमित पशु के संपर्क में आने से दूसरा पशु भी बीमार हो सकता है।
- यह बीमारी Capri Pox अपतने नामक वायरस के चलते होती है। इस वायरस का संबंध गोट फॉक्स और शीप पॉक्स वायरस के फैमिली से है। जानकारों की मानें तो मच्छर के काटने और खून चूसने वाले कीड़ों के ज़रिये यह बीमारी मवेशियों को होती है।
- विदित है कि इस वायरस की चपेट में आने से अब तक हज़ारों मवेशी काल के गाल में समा गए हैं। सरकारी रिपोर्ट की मानें तो 50 हज़ार से अधिक गायों और भैंसों की मौत हो चुकी है। वहीं, लाखों की संख्या में मवेशी लंपी वायरस की चपेट में है। राजस्थान में लंपी वायरस का कहर अधिक देखने को मिल रहा है। अब तक लंपी वायरस का एंटीडोज तैयार नहीं हुआ है, इस वजह से बड़ी संख्या में मवेशियों की मौत हुई है।