नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

State PCS Current Affairs


उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश विकास परियोजनाओं के लिये CSR फंड का उपयोग करेगा

  • 24 Feb 2024
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

उत्तर प्रदेश सरकार सामाजिक-आर्थिक विकास के लिये राज्य के कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) भंडार को बढ़ाने के लिये कॉर्पोरेट्स की ओर रुख करेगी।

मुख्य बिंदु:

  • उत्तर प्रदेश उन शीर्ष पाँच राज्यों में से एक है जो कंपनियों से CSR फंड का अधिकांश हिस्सा हैं। अन्य में महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और तमिलनाडु शामिल हैं।
  • कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 135 कुछ कंपनियों को पिछले तीन वित्तीय वर्षों से अपने औसत मुनाफे का 2% CSR गतिविधियों के लिये आवंटित करने का आदेश देती है।
  • राज्य ने CSR फंड के माध्यम से बड़े पैमाने पर निजी क्षेत्र की अग्रणी कंपनियों के योगदान को भी स्वीकार किया है।
    • वर्ष 2014-15 में, यूपी को केवल 148 करोड़ रुपए मिले जो वर्ष 2017-18 में बढ़कर 435 करोड़ रुपए हो गए। वर्ष 2021-22 में, यूपी में 1,321 करोड़ रुपए का CSR खर्च हुआ जो वर्ष 2022-23 में बढ़कर लगभग 1,500 करोड़ रुपए हो गया।

कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR)

  • कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व की अवधारणा में यह दृष्टिकोण निहित है कि कंपनियों को पर्यावरण एवं सामाजिक कल्याण पर उनके प्रभावों का आकलन करना चाहिये और ज़िम्मेदारी लेनी चाहिये, साथ ही सकारात्मक सामाजिक तथा पर्यावरणीय परिवर्तन को बढ़ावा देना चाहिये।
  • कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के चार मुख्य प्रकार हैं:
    • पर्यावरणीय उत्तरदायित्व
    • नैतिक उत्तरदायित्व
    • परोपकारी उत्तरदायित्व
    • आर्थिक उत्तरदायित्व
  • कंपनी अधिनियम, 2013 के अंतर्गत कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व प्रावधान उन कंपनियों पर लागू होते हैं जिनका वार्षिक कारोबार 1,000 करोड़ रुपए एवं उससे अधिक है या जिनकी कुल संपत्ति 500 करोड़ रुपए एवं उससे अधिक है या उनका शुद्ध लाभ 5 करोड़ रुपए एवं उससे अधिक है।
    • इस अधिनियम में कंपनियों द्वारा एक CSR समिति गठित करना आवश्यक है जो निदेशक मंडल को एक कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व नीति की सिफारिश करेगी और समय-समय पर उसकी निगरानी भी करेगी।

कंपनी अधिनियम, 2013

  • भारतीय कंपनी अधिनियम संसद का एक अधिनियम है जिसे वर्ष 1956 में अधिनियमित किया गया था। यह कंपनियों को पंजीकरण द्वारा गठित करने में सक्षम बनाता है, कंपनियों, उनके कार्यकारी निदेशक और सचिवों की ज़िम्मेदारियों को निर्धारित करता है।
  • वर्ष 2013 में सरकार ने भारतीय कंपनी अधिनियम 1956 में संशोधन किया और एक नया अधिनियम जोड़ा जिसे भारतीय कंपनी अधिनियम, 2013 कहा गया।
    • कंपनी अधिनियम, 1956 को आंशिक रूप से भारतीय कंपनी अधिनियम 2013 द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था।
    • यह एक अधिनियम बन गया और अंततः यह सितंबर 2013 में लागू हुआ।
  • वर्ष 2020 में भारत की संसद ने कंपनी अधिनियम में और संशोधन करने तथा विभिन्न अपराधों को कम करने के साथ-साथ देश में व्यापार करने में सुगमता को बढ़ावा देने के लिये कंपनी (संशोधन) विधेयक, 2020 पारित किया।
  • प्रस्तावित परिवर्तनों में कुछ अपराधों के लिये दंड में कमी के साथ-साथ अधिकारों के मुद्दों के संदर्भ में समय-सीमा, कॉर्पोरेट सामाजिक ज़िम्मेदारी (CSR) अनुपालन आवश्यकताओं में छूट और राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय
  • याधिकरण (NCLAT) में अलग बेंच की स्थापना भी शामिल है
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow