प्लास्टिक कचरा उत्सर्जन में उत्तर प्रदेश आठवें स्थान पर | 28 Oct 2022

चर्चा में क्यों?

27 अक्टूबर, 2022 को जारी प्लास्टिक अल्टरनेटिव रिपोर्ट-2022 के अनुसार देश में प्लास्टिक कचरा उत्सर्जन के मामले में उत्तर प्रदेश आठवें स्थान पर है।

प्रमुख बिंदु

  • रिपोर्ट में विभिन्न राज्यों द्वारा कचरे को रिसाइकिल कर पुन: इस्तेमाल के लिये नवप्रयोगों के बारे में भी बताया गया है।
  • विदित है कि उत्तर प्रदेश ने 2018 से सिंगल यूज़ प्लास्टिक के निर्माण, संग्रह, परिवहन, बिक्री, रिसाइकिलिंग के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा रखा है तथा प्रदेश में प्लास्टिक कचरे को ईंधन में बदलने के दो प्लांट लगाए गए हैं।
  • राज्य के प्रयागराज में इसी तरह का एक प्लांट पिछले साल ही लगाया गया है। इसमें सिंगज यूज़ प्लास्टिक का इस्तेमाल कर उसे ईंधन में बदला जाता है। इसके अलावा एक प्लांट मथुरा में पहले से ही काम कर रहा है। इन दोनों प्लांट की क्षमता 2700 टन प्रति साल है। 
  • प्लांट लगाने के अलावा प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल सड़क निर्माण में भी हो रहा है तथा पेपर मिलों ने सीमेंट मिल के साथ इस तरह के कचरे को नए रूप में इस्तेमाल करने की पहल की है।
  • प्लास्टिक अल्टरनेटिव रिपोर्ट-2022 में बताया गया है कि देश में प्लास्टिक कचरा उत्सर्जन के मामले में महाराष्ट्र का अव्वल स्थान है तथा प्रति व्यक्ति कचरा निकालने के मामले में गोवा नंबर एक पर है। इसके बाद दिल्ली व केरल का स्थान है और उत्तर प्रदेश 28वें नंबर पर है। सबसे कम प्रति प्रति व्यक्ति प्लास्टिक कचरा उत्सर्जन के मामले में नागालैंड, सिक्किम व त्रिपुरा शीर्ष पर हैं।

प्लास्टिक कचरा उत्सर्जन में अन्य राज्यों की स्थिति-

राज्य

प्लास्टिक कचरा उत्सर्जन (प्रतिशत में)

महाराष्ट्र

13

तमिलनाडु

12

गुजरात

12

पश्चिम बंगाल

9

कर्नाटक

9

तेलंगाना

7

दिल्ली

7

उत्तर प्रदेश

5

हरियाणा

4

केरल

4

मध्य प्रदेश

3

पंजाब

3

अन्य

11

  • इस रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में हर साल 34,69,780 टन प्लास्टिक कचरा निकलता है। यह आँकड़ा साल 2019-20 का है। देश में प्रति व्यक्ति प्लास्टिक कचरा उत्सर्जन पाँच सालों यानी 2016-20 में दोगुना हो गया।
  • रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि स्वच्छ भारत मिशन के चलते देश के विभिन्न राज्यों में कचर प्रबंधन इंफ्रास्ट्रचर काफी मज़बूत हुआ है और अब प्लास्टिक कचरे को दूसरे रूपों में तब्दील कर अन्यत्र उसका इस्तेमाल करने का चलन नई तकनीक के साथ बढ़ा है। हालाँकि, इसे और व्यापक स्तर पर ले जाने की ज़रूरत है, क्योंकि यह अभी पर्याप्त नहीं है।