उत्तर प्रदेश घाटे में चल रही डिस्कॉम के निजीकरण की संभावना तलाश रहा है | 14 Jan 2025

चर्चा में क्यों?

उत्तर प्रदेश सरकार ने घाटे में चल रही अपनी दो विद्युत वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) का निजीकरण करने या सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) बनाने की दिशा में कदम उठाए हैं।

  • इस कदम से नौकरी की सुरक्षा और सेवा वितरण पर संभावित प्रभाव को लेकर चिंतित कर्मचारियों में विरोध भड़क गया है।

मुख्य बिंदु

  • राज्य के विद्युत निगम ने हाल ही में दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (डीवीवीएनएल) और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PVVNL) के लिये निजीकरण या PPP मॉडल तैयार करने के लिये सलाहकारों और लेनदेन सलाहकारों को आमंत्रित करते हुए एक निविदा जारी की।
  • दोनों डिस्कॉम भारी वित्तीय घाटे से जूझ रहे हैं, जिससे सरकार को दक्षता और सेवा की गुणवत्ता में सुधार के लिये विकल्प तलाशने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
  • सरकार ने स्पष्ट किया है कि शेयरधारिता संरचना सहित साझेदारी की विशिष्टताएँ परामर्शदाताओं की अनुशंसाओं के आधार पर निर्धारित की जाएँगी।
  • ये विशेषज्ञ डिस्कॉम की वर्तमान स्थिति का विश्लेषण करेंगे और निजीकरण या PPP के लिये उपयुक्त मॉडल का प्रस्ताव देंगे।
  • इस मॉडल से यह अपेक्षा की जाती है कि निजी संस्थाओं को परिचालन विशेषज्ञता और निवेश लाने की अनुमति मिलेगी, साथ ही सार्वजनिक जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये कुछ स्तर पर सरकारी निगरानी भी बनी रहेगी।

डिस्कॉम क्या है?

  • परिचय:
    • विद्युत क्षेत्र में डिस्कॉम (DISCOM) का अर्थ वितरण कंपनी है। यह घरों, व्यवसायों और उद्योगों सहित उपभोक्ताओं को विद्युत वितरण के लिये ज़िम्मेदार संस्थाओं को संदर्भित करता है। 
  • डिस्कॉम की भूमिका:
    • विद्युत वितरण: वे अपने निर्दिष्ट क्षेत्रों में उपभोक्ताओं तक विद्युत पहुँचाने के लिये बुनियादी ढाँचे और परिचालन का प्रबंधन करते हैं।
    • बिलिंग और राजस्व संग्रहण: डिस्कॉम्स मीटरिंग, बिलिंग और विद्युत खपत के लिये भुगतान एकत्र करने का काम संभालते हैं।
    • रखरखाव और उन्नयन: वे ट्रांसफार्मर, सबस्टेशन और विद्युत लाइनों सहित वितरण नेटवर्क के रखरखाव के लिये ज़िम्मेदार होते हैं।
    • ग्राहक सेवा: डिस्कॉम्स बिजली (विद्युत) कटौती, मीटर स्थापना और विद्युत आपूर्ति से संबंधित शिकायतों जैसे मुद्दों का समाधान करती हैं।