सामाजिक प्रगति करने में 31वें स्थान पर उत्तर प्रदेश | 22 Dec 2022
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) ने एक सामाजिक प्रगति सूचकांक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें देश के प्रत्येक राज्य को सामाजिक प्रगति के मामले में एक रैंक दी गई है। इस रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश को 31वाँ स्थान मिला है।
प्रमुख बिंदु
- ईएसी-पीएम की सामाजिक प्रगति सूचकांक को तैयार करने के लिये काउंसिंल ने 3 आयाम और इनके 12 अवयवों को आधार बनाया है। पहला आयाम ‘बुनियादी मानवीय आवश्यकताएँ’हैं। इसमें चार अवयव (i) पोषण और बुनियादी चिकित्सा देखभाल, (ii) पानी और सफाई व्यवस्था, (iii) आश्रय और (iv) व्यक्तिगत सुरक्षा शामिल हैं।
- दूसरा आयाम कल्याण की नींव है, इसमें शामिल चार अवयव (i) बुनियादी ज्ञान तक पहुँच, (ii) सूचना और संचार तक पहुँच, (iii) स्वास्थ्य और कल्याण और (iv) पर्यावरणीय गुणवत्ता हैं।
- इसी प्रकार तीसरा आयाम चुनौती है, जिसमें अवयवों के रूप में (i) व्यक्तिगत अधिकारों, (ii) व्यक्तिगत स्वतंत्रता और पसंद, (iii) समावेशिता और (iv) उन्नत शिक्षा तक पहुँच को शामिल किया गया है।
- इन तीनों आयामों और अवयवों में उत्तर प्रदेश का प्रदर्शन औसतन सामान्य ही रहा। केवल दो अवयवों- पेयजल की उपलब्धता और प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के तहत आवास प्रदान करने में राज्य ने बेहतर प्रदर्शन किया है।
- जनसंख्या की दृष्टि से देश में पहले स्थान पर आने वाला उत्तर प्रदेश सामाजिक प्रगति सूचकांक में 16 प्वाइंट लेकर 31वें स्थान पर आया है।
- इस इंडेक्स में पहले स्थान पर पांडिचेरी को 99 प्वाइंट मिले हैं, वहीं अंतिम पायदान पर आने वाले राज्य झारखंड को 43.95 प्वांइट मिला है।
- इंडेक्स की रैंकिंग को 6 स्तरों में बाँटा गया है, जिनमें सबसे पहला स्तर अति उच्च सामाजिक प्रगति, दूसरा उच्च सामाजिक प्रगति, तीसरा ऊपरी मध्य सामाजिक प्रगति, चौथा निम्न मध्य सामाजिक प्रगति, पाँचवा निम्न सामाजिक प्रगति और छठवाँ बहुत कम सामाजिक प्रगति स्तर है। सामाजिक प्रगति के इस सूचकांक में उत्तर प्रदेश पाँचवें निम्न सामाजिक प्रगति स्तर पर पहुँचा है। उत्तर प्रदेश के साथ इस स्तर में शामिल ओडिशा और मध्य प्रदेश राज्य भी शामिल हैं।
- गौरतलब है कि प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पिटिटिवनेस एंड सोशल प्रोग्रेस इम्पेरेटिव के साथ भारत के राज्यों और ज़िलों के लिये सामाजिक प्रगति सूचकांक जारी किया। यह रिपोर्ट 2015-16 के बाद से कुछ प्रमुख संकेतकों के प्रदर्शन में बदलाव का मूल्यांकन करके भारत में सामाजिक प्रगति की एक व्यापक तस्वीर प्रस्तुत करती है।
- इसके अलावा, रिपोर्ट देश के 112 आकांक्षी ज़िलों द्वारा की गई प्रगति पर प्रकाश डालती है, जिससे उन्हें अपने सामाजिक प्रगति पर नज़र रखने और उन क्षेत्रों को समझने में मदद मिलती है, जिन पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।