दिल्ली-अंबाला कॉरिडोर के लिये रेलवे का उन्नयन | 21 Feb 2025
चर्चा में क्यों?
दिल्ली-अंबाला रेल कॉरिडोर पर बढ़ते भार को देखते हुए रेल मंत्रालय ने मौजूदा दो-ट्रैक प्रणाली को चार-लाइन कॉरिडोर में अपग्रेड करने की योजना बनाई है।
- रेलवे अधिकारियों ने परियोजना के विवरण पर चर्चा करने के लिये उपायुक्तों की अध्यक्षता में पानीपत और सोनीपत में ज़िला प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक की।
मुख्य बिंदु
- विस्तार की आवश्यकता:
- सोनीपत के उपायुक्त ने बढ़ते रेल भार के कारण दिल्ली-अंबाला रेल कॉरिडोर के विस्तार की तत्काल आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
- वर्तमान दो-ट्रैक प्रणाली अपर्याप्त है, जिसके कारण रेल मंत्रालय को दिल्ली से अंबाला तक 193.6 किलोमीटर लंबे कॉरिडोर के विस्तार की योजना बनानी पड़ी है।
- परियोजना का दायरा और लागत:
- इस विस्तार में मार्ग के 32 रेलवे स्टेशनों पर विकास कार्य शामिल होगा।
- इस परियोजना की अनुमानित लागत 7,074 करोड़ रुपए है तथा इसे चार वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य है।
- भूमि अधिग्रहण विवरण:
- विस्तार के लिये 15 गाँवों की 11 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता है:
- समालखा खंड में 8 गाँव
- पानीपत में 7 गाँव
- प्रशासन भूस्वामियों को उचित मुआवज़ा सुनिश्चित करेगा।
- रेलवे का भूमि प्रस्ताव:
- परियोजना के लिये 85 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता है, जिसमें शामिल हैं:
- 80 हेक्टेयर निजी भूमि
- 5 हेक्टेयर सरकारी भूमि
- पूरा होने पर उन्नत कॉरिडोर जनता के लिये काफी बेहतर सुविधाएँ प्रदान करेगा।
भारतीय रेल
- भारतीय रेलवे की स्थापना 1853 में हुई थी और यह दुनिया के सबसे बड़े रेलवे नेटवर्क में से एक है।
- भारतीय उपमहाद्वीप पर पहला रेलमार्ग बम्बई से थाणे तक 21 मील की दूरी तक फैला था।
- अनुमान है कि 2050 तक कुल वैश्विक रेल गतिविधि में भारत की हिस्सेदारी 40% होगी।
- भारतीय रेलवे ने आधुनिक रेलवे प्रणाली विकसित करने के लिये भारत के लिये राष्ट्रीय रेल योजना (NRP)-2030 तैयार की है।