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उत्तर प्रदेश

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में उत्तर प्रदेश ने 22 राज्यों को पछाड़ा

  • 05 Sep 2023
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

  • 4 सितंबर, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में उत्तर प्रदेश ने आश्चर्यजनक रूप से तेज़ी पकड़ी है। 2019 से 2023 के बीच पाँच साल में एफडीआई के मामले में उत्तर प्रदेश ने आंध्र प्रदेश, पंजाब, केरल, चंडीगढ़, मध्य प्रदेश सहित 22 राज्यों को पीछे छोड़ दिया है।

प्रमुख बिंदु

  • जानकारी के अनुसार वर्ष 2001 से 2017 के बीच 17 वर्षों में जितना विदेशी निवेश उत्तर प्रदेश में आया, उसका करीब चार गुना वर्ष 2019 से वर्ष 2023 के बीच महज पाँच वर्षों में आया है।
  • उद्योग संवर्धन व आंतरिक व्यापार विभाग और रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के मुताबिक, 2000 से 2017 के बीच उत्तर प्रदेश में केवल 3000 करोड़ रुपए का विदेशी निवेश आया था, जबकि 2019 से जून 2023 के बीच करीब 11 हज़ार करोड़ रुपए सीधे विदेश से निवेश किये गए।
  • अक्तूबर 2019 से जून 2023 के बीच देश के अलग-अलग राज्यों में आए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सूची में उत्तर प्रदेश 11वें स्थान पर आ गया है। उत्तर प्रदेश से ऊपर महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, दिल्ली, तमिलनाडु, हरियाणा, तेलंगाना, झारखंड, राजस्थान और पश्चिम बंगाल हैं।
  • उत्तर प्रदेश ने पंजाब, आंध्र प्रदेश, केरल, मध्य प्रदेश, हिमाचल, बिहार, चंडीगढ़, गोवा, छत्तीसगढ़ सहित 22 राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। आर्थिक रफ्तार को देखते हुए इस साल उत्तर प्रदेश के देश के शीर्ष 10 राज्यों में शामिल होने की उम्मीद है।
  • निवेश किसी भी राज्य की प्रगति और सामाजिक व राजनीतिक माहौल का सूचकांक माना जाता है। जिस राज्य की छवि कम अपराध दर, राजनीतिक स्थिरता और उद्योगों को बढ़ावा देने वाली नीतियों की होगी, वहाँ निवेश की रफ्तार तेज़ व ज़्यादा होती है। विदेशी कंपनियों से आने वाले निवेश के मामले में ये मानक और भी ज़्यादा संवेदनशील होते हैं।
  • इस क्षेत्र में उत्तर प्रदेश की छवि सुधारने से ही एफडीआई में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है। आरबीआई के क्षेत्रीय कार्यालयों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में पिछले 17 साल में केवल 3018 करोड़ रुपए का एफडीआई आया। वर्ष 2014-15 में 679 करोड़ रुपए, 2015-16 में 524 करोड़ रुपए, वर्ष 2016-17 में 50 करोड़ रुपए का विदेशी निवेश आया। वर्ष 2000 से 2014 के बीच 14 साल में भी करीब 1800 करोड़ रुपए ही एफडीआई के रूप में आए।

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