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केंद्रीय मंत्री ने किया देवस्थल में एशिया के सबसे बड़े 4-मीटर अंतर्राष्ट्रीय लिक्विड मिरर टेलीस्कोप का उद्घाटन

  • 22 Mar 2023
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

21 मार्च, 2023 को केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार),  कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने उत्तराखंड के देवस्थल में एशिया के सबसे बड़े 4-मीटर अंतर्राष्ट्रीय लिक्विड मिरर टेलीस्कोप का उद्घाटन किया।

प्रमुख बिंदु 

  • इस अवसर पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि एशिया के सबसे बड़े 4-मीटर अंतर्राष्ट्रीय लिक्विड मिरर टेलीस्कोप के उद्घाटन की यह ऐतिहासिक घटना  अंतरिक्ष और खगोल विज्ञान के रहस्यों का अध्ययन करने और शेष विश्व के साथ इसे साझा करने के लिये भारत को क्षमताओं के एक अलग और उच्च स्तर पर रखती है।
  • आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज- एआरईईएस) ने घोषणा की कि विश्व स्तरीय 4-मीटर इंटरनेशनल लिक्विड मिरर टेलीस्कोप (आईएमएलटी ) अब सुदूर एवं गहन आकाशीय अंतरिक्ष का पता लगाने के लिये तैयार है। इसने मई 2022 के दूसरे सप्ताह में अपना पहला प्रकाश प्राप्त किया।
  • यह दूरदर्शी (टेलीस्कोप) भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के अंतर्गत स्वायत्त संस्थान, एआरईईएस उत्तराखंड (भारत) के नैनीताल ज़िले में देवस्थल स्थित वेधशाला परिसर में 2450 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
  • केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि आईएमएलटी के सहयोग में भारत के आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एआरईईएस), बेल्जियम के लीज विश्वविद्यालय और बेल्जियम की रॉयल वेधशाला, पोलैंड की पॉज्नान वेधशाला, उज्बेक विज्ञान अकादमी के उलुग बेग खगोलीय संस्थान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय एवं ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय, लवल विश्वविद्यालय, मॉन्ट्रियल विश्वविद्यालय, टोरंटो विश्वविद्यालय, यॉर्क विश्वविद्यालय और कनाडा में विक्टोरिया विश्वविद्यालय के शोधकर्त्ता शामिल हैं।
  • इस टेलिस्कोप को एडवांस्ड मैकेनिकल एंड ऑप्टिकल सिस्टम्स (एएमओएस) कॉर्पोरेशन और बेल्जियम में सेंटर स्पैटियल डी लीज द्वारा डिजाइन और निर्मित किया गया था।
  • उन्होंने बताया कि यह आईएलएमटी प्रकाश को एकत्र एवं घनीभूत करके केंद्रित करने के लिये तरल पारे की एक पतली परत से बने 4 मीटर व्यास के घूमने वाले दर्पण का उपयोग करता है। धात्विक पारा (मर्करी) कमरे के तापमान पर तरल रूप में होता है और साथ ही अत्यधिक परावर्तक भी होता है और इसलिये, यह ऐसा दर्पण बनाने के लिये आदर्श रूप से अनुकूल है।
  • गौरतलब है कि आईएलएमटी पहला ऐसा तरल दर्पण टेलीस्कोप है जिसे विशेष रूप से खगोलीय अवलोकन के लिये डिजाइन किया गया है और यह वर्तमान में देश में उपलब्ध सबसे बड़ा एपर्चर टेलीस्कोप है साथ ही यह भारत में पहला ऑप्टिकल सर्वेक्षण टेलीस्कोप भी है।   
  • आईएलएमटी को हर रात इसके ऊपर से गुजरने वाली आकाश की पट्टी का सर्वेक्षण करने के लिये डिजाइन किया गया है, जिससे सुपरनोवा, गुरुत्वाकर्षण लेंस, अंतरिक्ष मलबे और क्षुद्रग्रहों जैसी क्षणिक या परिवर्तनीय आकाशीय वस्तुओं का पता लगाने में सहायता मिलती है।
  • हर रात आकाश की पट्टी को स्कैन करते समय यह  टेलीस्कोप लगभग 10-15 गीगाबाइट डेटा उत्पन्न करेगा और जिसे आईएलएमटी द्वारा उत्पन्न डेटा बिग डेटा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) /मशीन लर्निंग (एआई/एमएल) एल्गोरिदम के अनुप्रयोग की सुविधा देने के साथ ही आईएमएलटी  के साथ देखी गई वस्तुओं को वर्गीकृत करने के लिये प्रयोग किया जाएगा।
  • मंत्री ने बताया कि चर और क्षणिक तारकीय स्रोतों को खोजने और पहचानने के लिये डेटा का तेजी से विश्लेषण किया जाएगा। 6 मीटर का डीओटी, परिष्कृत बैक-एंड उपकरणों की उपलब्धता के साथ, आसन्न आईएलएमटी के साथ नवीनतम खोजे गए क्षणिक स्रोतों के तेजी से अनुवर्ती अवलोकन की अनुमति देगा।
  • इसके अलावा आईएलएमटी से एकत्र किये गए डेटा, अगले 5 वर्षों के परिचालन समय में  एक गहन फोटोमेट्रिक और एस्ट्रोमेट्रिक परिवर्तनशीलता सर्वेक्षण करने के लिये आदर्श रूप से अनुकूल होंगे।
  • विदित है कि एक तरल दर्पण टेलीस्कोप में मुख्य रूप से तीन घटक होते हैं- पहला, एक परावर्तक तरल धातु (अनिवार्य रूप से पारा) युक्त एक कटोरा सदृश पात्र दूसरा, एक एयर बियरिंग (अथवा मोटर) जिस पर तरल दर्पण स्थापित किया गया है और तीसरा, एक चलन प्रणाली (ड्राइव सिस्टम)। लिक्विड मिरर टेलिस्कोप इस तथ्य का लाभ उठाते हैं कि एक घूर्णन तरल की सतह स्वाभाविक रूप से एक परवलयिक (पैराबोलिक) आकार लेती है और  जो प्रकाश को केंद्रित करने के लिये आदर्श है।
  • माइलर की एक वैज्ञानिक ग्रेड पतली पारदर्शी फिल्म पारे को वायु प्रवाह से बचाती है। परावर्तित प्रकाश एक परिष्कृत बहु-लेंस ऑप्टिकल सुधारक (करेक्टर) के माध्यम से गुज़रता है जो दृश्य के विस्तृत क्षेत्र में उत्कृष्ट छवियाँ उत्पन्न करता है। साथ ही फोकस पर दर्पण के ऊपर स्थित एक 4के⨯ 4के सीसीडी  कैमरा, आकाश की 22 आर्कमिनट चौड़ी पट्टियों को रिकॉर्ड करता है।
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