उत्तराखंड
प्रदेश के विश्वविद्यालयों में लागू होगा समान शैक्षिक कैलेंडर
- 31 Jan 2023
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चर्चा में क्यों?
30 जनवरी, 2023 को उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने सचिवालय में आयोजित विभाग की समीक्षा बैठक में कहा कि प्रदेश में बेहतर शैक्षिक वातावरण के लिये सभी राजकीय विश्वविद्यालयों में समान शैक्षणिक कैलेंडर लागू किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि समान शैक्षणिक कैलेंडर के तहत विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों में छात्रों के लिये एक प्रवेश, एक परीक्षा, एक परिणाम, एक चुनाव एवं एक दीक्षांत समारोह की थीम पर कार्य करते हुए एकरूपता लाई जाएगी।
- समीक्षा बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि राज्य में समयबद्ध एवं गुणवत्तापरक शैक्षणिक वातावरण के लिये सभी विश्वविद्यालय में प्रवेश की तिथि, परीक्षा एवं परीक्षा परिणाम, छात्रसंघ चुनाव व दीक्षांत समारोह के लिये समान एकेडमिक कैलेंडर लागू किया जाएगा।
- इसके लिये सभी विश्वविद्यालय के कुलपति आपस में बैठकर दो सप्ताह में शैक्षणिक कैलेंडर का ड्राफ्ट तैयार करेंगे, जिसको अगली बैठक में अंतिम रूप देते हुए स्वीकृति के लिये शासन को भेजा जाएगा।
- विश्वविद्यालयों में प्रवेश की प्रक्रिया से लेकर परीक्षा के आयोजन का कार्य महीनों चलता रहा है, जिससे परीक्षाएँ समय पर नहीं हो पाती हैं। इससे परिणाम घोषित करने में भी देरी होती है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि सभी विश्वविद्यालयों को अपने संबद्ध महाविद्यालयों में 180 दिवस अनिवार्य रूप से कक्षाएँ संचालित करनी होगी। साथ ही छात्र-छात्राओं को पुस्तकालयों में बैठकर अध्ययन करने के लिये प्रेरित करना होगा।
- शिक्षा मंत्री ने कहा कि परीक्षा में बैठने के लिये छात्रों की 75 प्रतिशत उपस्थिति को अनिवार्य रूप से लागू किया जाएगा। उच्च शिक्षा को गुणवत्ता एवं रोज़गारपरक बनाने के लिये विश्वविद्यालय एवं सभी कॉलेजों को नैक मूल्यांकन कराना ज़रूरी है।
- सभी विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह की समान वेश-भूषा व दीक्षा शपथ एकसमान होगी। एक जैसी दीक्षा शपथ के लिये संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. देवेंद्र शास्त्री की अध्यक्षता में समिति गठित की गई है, जो दीक्षा शपथ का ड्राफ्ट एवं वेश-भूषा तय कर शासन को उपलब्ध कराएगी।
- बैठक में सचिव उच्च शिक्षा शैलेश बगोली ने कहा कि नए शैक्षिक सत्र से सभी विश्वविद्यालय एवं कॉलेजों में छात्र-छात्राओं के प्रवेश समर्थ पोर्टल से अनिवार्य रूप से किये जाएंगे। एकेडमिक गतिविधियों के साथ ही शोध कार्यों एवं कौशल विकास संबंधी पाठ्यक्रमों को वरीयता दी जाएगी।