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State PCS Current Affairs

छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में जुलाई माह में बेरोज़गारी देश में न्यूनतम

  • 03 Aug 2022
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में आर्थिक गतिविधियों पर नज़र रखने वाली संस्था ‘सेंटर फॉर मॉनीटरिंग ऑफ इंडियन इकॉनमी’ (सीएमआईई) के द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में जुलाई माह में बेरोज़गारी दर देश में न्यूनतम 8 प्रतिशत रही, जबकि देश की औसत बेरोज़गारी दर 6.9 प्रतिशत दर्ज की गई।

प्रमुख बिंदु 

  • गौरतलब है कि पिछले कई महीनों से छत्तीसगढ़ लगातार देश में सबसे कम बेरोज़गारी दर वाले राज्य का गौरव हासिल करता आया है। इससे पहले मई माह में छत्तीसगढ़ की बेरोज़गारी दर 7 प्रतिशत थी, जबकि तब देश की बेरोज़गारी दर 7.1 प्रतिशत दर्ज की गई थी। मार्च और अप्रैल माह में भी छत्तीसगढ़ की बेरोज़गारी दर देश में सबसे कम 0.6 प्रतिशत थी।
  • सीएमआईई के नये आँकड़ों के अनुसार जुलाई माह में हरियाणा में 9 प्रतिशत, जम्मू और कश्मीर में 20.2 प्रतिशत, बिहार में 18.8 प्रतिशत, गोवा में 13.7 प्रतिशत, त्रिपुरा में 13 प्रतिशत, दिल्ली में 8.9 प्रतिशत, पंजाब में 7.7 प्रतिशत, हिमाचल प्रदेश में 6.3 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 3.3 प्रतिशत, गुजरात में 2.2 प्रतिशत, मध्य प्रदेश में 2.0 प्रतिशत बेरोज़गारी दर दर्ज की गई।
  • साढ़े तीन साल पहले छत्तीसगढ़ में नई सरकार बनने के बाद शहरी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संतुलित करने वाली तथा रोजगार के नए अवसरों का सृजन करने वाली योजनाओं पर शासन का सर्वाधिक जोर रहा। सरकार बनने के तुरंत बाद किसानों को से मुक्ति तथा लंबित सिंचाई कर की माफी से इसकी शुरुआत की गई।
  • इसके बाद राजीव गांधी किसान न्याय योजना, गोधन न्याय योजना, सुराजी गाँव योजना, नरवा-गरवा-घुरवा-बाड़ी कार्यक्रम, राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन किसान न्याय योजना, नई औद्योगिक नीति का निर्माण, वन तथा कृषि उपजों के संग्रहण की बेहतर व्यवस्था, उपजों का स्थानीय स्तर पर प्रसंस्करण तथा वैल्यू एडीशन, ग्रामीण औद्योगिक पार्कों की स्थापना, लघु वनोपजों के संग्रहण दर में वृद्धि तथा 65 तरह के लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीद, तेंदूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक दर में वृद्धि, मछली पालन तथा लाख उत्पादन को कृषि का दर्जा, परंपरागत शिल्पियों, बुनकरों तथा उद्यमियों को प्रोत्साहन, हर जिले में सी-मार्ट की स्थापना जैसे अनेक कदम उठाए गए।
  • छत्तीसगढ़ ने अपनी रोजगार तथा आय मूलक योजनाओं का लगातार विस्तार किया है। इसी क्रम में हाल ही में गोधन न्याय योजना का विस्तार करते हुए गोबर के साथ-साथ गोमूत्र की खरीदी की भी शुरुआत की है। खरीदे गए गोमूत्र से भी खाद तथा कीटनाशकों का निर्माण किया जाएगा, जिससे रोजगार के नये अवसरों का सृजन होगा।
  • गाँव-गाँव में निर्मित गोठानों को भी ग्रामीण औद्योगिक पार्क के रूप में उन्नत किया जा रहा है, जहां तेल मिल, दाल मिल, मिनी राइस मिल जैसी प्रोसेसिंग इकाइयाँ स्थापित की जा रही हैं। गोठानों में विभिन्न उत्पादों का भी निर्माण किया जा रहा है।
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