UGC ने राजस्थान के तीन विश्वविद्यालयों में Ph.D. प्रवेश रोके | 23 Jan 2025

चर्चा में क्यों?

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने राजस्थान के तीन विश्वविद्यालयों को नए Ph.D. छात्रों को प्रवेश देने से रोक दिया है। यह कार्रवाई फर्जी और पिछली तारीख की डिग्री जारी करने के आरोपों की जाँच के बाद की गई है।

मुख्य बिंदु

  • प्रभावित विश्वविद्यालय: जिन संस्थानों पर नए Ph.D. छात्रों को दाखिला देने पर रोक लगाई गई है, वे हैं OPJS विश्वविद्यालय, चूरू, सनराइज विश्वविद्यालय, अलवर और सिंघानिया विश्वविद्यालय, झुंझुनू।
  • आरोप: UGC द्वारा नियुक्त एक स्थायी समिति ने पाया है कि तीनों विश्वविद्यालयों ने UGC Ph.D. विनियमों और Ph.D. डिग्री प्रदान करने के शैक्षणिक मानदंडों के प्रावधानों का पालन नहीं किया।
  • UGC की कार्रवाई: स्थायी समिति ने अनुशंसा की है कि UGC इन विश्वविद्यालयों को अगले पाँच वर्षों तक Ph.D. छात्रों के नामांकन से रोक सकता है।
  • निहितार्थ: यह घटना राजस्थान में उच्च शिक्षा संस्थानों की गुणवत्ता और विश्वसनीयता पर चिंता उत्पन्न करती है। 
  • इसमें शैक्षणिक मानकों को बनाए रखने और छात्रों के हितों की रक्षा के लिये कठोर निगरानी की आवश्यकता पर बल दिया गया है।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC)

  • UGC 28 दिसंबर, 1953 को अस्तित्व में आया और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम, 1956 के तहत विश्वविद्यालय शिक्षा में शिक्षण, परीक्षा और अनुसंधान के मानकों के समन्वय, निर्धारण और रखरखाव के लिये भारत सरकार का एक सांविधिक संगठन बन गया।
  • UGC शिक्षा मंत्रालय के अधीन कार्य करता है, केंद्र सरकार UGC में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और दस अन्य सदस्यों की नियुक्ति करती है।
    • अध्यक्ष का चयन ऐसे लोगों में से किया जाता है जो केंद्र सरकार या किसी राज्य सरकार के अधिकारी नहीं होते।
  • पात्र विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को अनुदान प्रदान करने के अलावा, आयोग उच्च शिक्षा के विकास के लिये आवश्यक उपायों पर केंद्र और राज्य सरकारों को सलाह भी देता है।
  • यह नई दिल्ली के साथ-साथ अपने छह क्षेत्रीय कार्यालयों से कार्य करता है जो बेंगलुरु, भोपाल, गुवाहाटी, हैदराबाद, कोलकाता और पुणे में स्थित हैं।
  • यह फर्जी विश्वविद्यालयों, स्वायत्त कॉलेजों, समविश्वविद्यालयों और दूरस्थ शिक्षा संस्थानों की मान्यता को भी नियंत्रित करता है।