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छत्तीसगढ़

बस्तर संभाग में लघु वनोपज आधारित प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना हेतु त्रिपक्षीय समझौते

  • 20 May 2022
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

19 मई, 2022 को राज्य शासन की ओर से वनांचल पैकेज के अंतर्गत बस्तर संभाग में लघु वनोपज आधारित प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना हेतु दो त्रिपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए।

प्रमुख बिंदु

  • पहला समझौता बस्तर बॉटनिक्स प्राइवेट लिमिटेड कुम्हार पारा, बस्तर के साथ कोंडागांव ज़िले में महुआ प्रसंस्करण केंद्र स्थापना के लिये किया गया तथा दूसरा समझौता मेसर्स कोसर एग्रो प्राइवेट लिमिटेड, पुणे (महाराष्ट्र) के साथ बस्तर ज़िले में इमली प्रसंस्करण केंद्र की स्थापना हेतु किया गया।
  • समझौते के तहत बस्तर बॉटनिक्स प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा 4 करोड़ रुपए की लागत से कोंडागांव ज़िले में महुआ डिस्टिलेशन प्लांट स्थापित किया जाएगा, जिसकी क्षमता 600 किलोलीटर प्रतिवर्ष होगी।
  • इस प्लांट के द्वारा तैयार अधिकांश उत्पाद को अन्य देशों में निर्यात किया जाएगा। इस प्लांट के लगने से बस्तर क्षेत्र में फूड ग्रेड महुआ का उपयोग होगा, जिससे उस क्षेत्र के संग्राहकों को अतिरिक्त लाभ प्राप्त होगा।
  • इसके अलावा मेसर्स कोसर एग्रो प्राइवेट लिमिटेड द्वारा ज़िला बस्तर के लोहंडीगुड़ा विकासखंड के ग्राम छिन्दगांव में 4 करोड़ 30 लाख रुपए की लागत से इमली प्रसंस्करण केंद्र की स्थापना की जाएगी।
  • इस प्रसंस्करण केंद्र में इमली का पेस्ट, इमली बीज का पाउडर तथा इमली ब्रिक्स तैयार किये जाएंगे। इस इकाई की वार्षिक क्षमता 4500 मीट्रिक टन प्रतिवर्ष की होगी।
  • इस प्रसंस्करण केंद्र की स्थापना से बस्तर इमली का प्रसंस्करण करते हुए तथा उसके बीज का भी उपयोग करते हुए तैयार उत्पादों को देश के बाहर विदेशों में भी विक्रय किया जाएगा।
  • इन दोनों प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना से स्थानीय लोगों को जहाँ रोज़गार प्राप्त होगा, वहीं इमली एवं महुआ के संग्राहकों को उनकी उपज का समुचित मूल्य मिल सकेगा।
  • उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व भी काँकेर ज़िले में कोदो, कुटकी एवं रागी के प्रसंस्करण हेतु निजी निवेशक के साथ समझौता पत्र हस्ताक्षरित किया जा चुका है।
  • ये समस्त औद्योगिक इकाईयाँ शीघ्र ही उत्पादन प्रारंभ करेंगी, जिससे प्रदेश में उत्पादित लघु वनोपज का प्रसंस्करण प्रदेश के भीतर ही किया जाना संभव हो सकेगा, जिसका प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से लाभ 13 लाख से अधिक तेंदूपत्ता और वनोपज संग्राहकों को मिलेगा।
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