उत्तराखंड में ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड | 16 Dec 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने राज्य ट्रांसजेंडर व्यक्ति कल्याण बोर्ड के गठन के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी।
- राज्य ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को रोज़गार में समान अवसर प्रदान करने के लिये एक नीति लाएगा।
मुख्य बिंदु
- सर्वेक्षण एवं पहचान-पत्र जारी करना:
- राज्य में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की संख्या की पहचान और पता लगाने के लिये पूरे उत्तराखंड में एक सर्वेक्षण कराया जाएगा।
- सर्वेक्षण के बाद, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को उनकी औपचारिक पहचान के लिये पहचान-पत्र जारी किये जाएँगे।
- कल्याणकारी पहुँच को सुगम बनाना:
- कल्याण बोर्ड ट्रांसजेंडर समुदाय की मौजूदा सामाजिक, शैक्षिक और स्वास्थ्य योजनाओं तक पहुँच सुनिश्चित करेगा।
- यह समुदाय के प्रति संवेदनशील और गैर-भेदभावपूर्ण नई योजनाएँ भी विकसित करेगा।
- शिकायतों के समाधान के लिये एक प्रभावी निगरानी प्रणाली स्थापित की जाएगी, जिसमें शिकायत समाधान के लिये एक निश्चित समय सीमा होगी।
- उत्तराखंड ट्रांसजेंडर व्यक्ति कल्याण बोर्ड का गठन:
- समाज कल्याण विभाग प्रशासनिक विभाग के रूप में कार्य करेगा, जबकि मुख्यमंत्री ट्रांसजेंडर व्यक्ति कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष होंगे।
- सदस्यों में समाज कल्याण, गृह, वित्त, कार्मिक, शहरी विकास और पंचायती राज जैसे विभागों के सचिव शामिल होंगे:
- ट्रांसजेंडर समुदाय के पाँच विशेषज्ञ।
- ट्रांसजेंडर अधिकारों के लिये काम करने वाले गैर-सरकारी संगठनों (NGO) का एक प्रतिनिधि।
- राष्ट्रीय संदर्भ और कानूनी अधिदेश।
- कल्याण बोर्ड स्थापित करने वाला 18वाँ राज्य:
- उत्तराखंड ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 और नियम, 2020 के तहत ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिये कल्याण बोर्ड स्थापित करने वाला 18वाँ राज्य/केंद्र शासित प्रदेश बन जाएगा।
- ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड वाले अन्य राज्य हैं राजस्थान, मिजोरम, चंडीगढ़, आंध्र प्रदेश, पुद्दुचेरी, महाराष्ट्र, केरल, मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, बिहार, गुजरात, उत्तर प्रदेश, असम, तमिलनाडु, जम्मू-कश्मीर तथा अंडमान और निकोबार।
ट्रांसजेंडर
- ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के तहत ट्रांसजेंडर का तात्पर्य उस व्यक्ति से है जिसका लिंग जन्म के समय निर्धारित लिंग के अनुरूप नहीं होता।
- इसमें अंतरलिंगीय भिन्नता वाले ट्रांस-व्यक्ति, लिंग-विषमलैंगिक और किन्नर, हिजड़ा, अरावनी और जोगता जैसी सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान वाले लोग शामिल हैं।
- भारत की 2011 की जनगणना देश की पहली जनगणना थी जिसमें देश की 'ट्रांस' आबादी की संख्या को शामिल किया गया था। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि 4.8 मिलियन भारतीय ट्रांसजेंडर के रूप में पहचाने जाते हैं।