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उत्तर प्रदेश

नोएडा एयरपोर्ट पर देश के सबसे बड़े मेंटेनेंस, रिपेयरिंग और ओवरहालिंग (एमआरओ) के निर्माण का रास्ता साफ

  • 26 Oct 2022
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

25 अक्तूबर, 2022 को जेवर में बन रहे क्षेत्रफल के हिसाब से दुनिया के चौथे सबसे बड़े एयरपोर्ट के दूसरे चरण के निर्माण के लिये मार्ग पूरी तरह से प्रशस्त हो गया है। इससे नोएडा एयरपोर्ट पर देश के सबसे बड़े मेंटेनेंस, रिपेयरिंग और ओवरहालिंग (एमआरओ) के निर्माण का रास्ता भी साफ हो गया है।

प्रमुख बिंदु

  • पहले चरण के निर्माण लिये 1334 हेक्टेयर भूमि पूर्व में अधिग्रहण हो चुका है। इस पर निर्माण कार्य शुरू है। दूसरे चरण के निर्माण के लिये भूमि न मिलने की बाधा थी, पर उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयासों से छह गाँवों के किसान अपनी 1365 हेक्टेयर भूमि नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (नियाल) को देने को तैयार हो गए हैं।
  • नए भूमि अधिग्रहण कानून के हिसाब से किसी भी परियोजना के लिये भूमि अधिग्रहण हेतु प्रभावित होने वाले 70 प्रतिशत किसानों की सहमति ज़रूरी है। 7164 किसानों में से करीब 80 प्रतिशत ने अपनी मंज़ूरी दे दी है। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लि. (नियाल) के पास अब 2699 हेक्टेयर भूमि हो जाएगी।
  • एयरपोर्ट के लिये कुल 6200 हेक्टेयर भूमि आरक्षित है। क्षेत्रफल के मामले में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट दुनिया का चौथा सबसे बड़ा एयरपोर्ट होगा। इससे पहले किंग फहद इंटरनेशनल एयरपोर्ट सऊदी अरब, डेनवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट व डलास इंटरनेशनल एयरपोर्ट अमेरिका आदि तीन एयरपोर्ट ही क्षेत्रफल के मामले में सबसे बड़े हवाई अड्डों में शुमार थे। हालाँकि, रनवे के मामले में दूसरे अन्य एयरपोर्ट बड़े हैं। यहाँ कुल पाँच रनवे बनने हैं।
  • उल्लेखनीय है कि जेवर में बन रहे नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का निर्माण अलग-अलग चरणों में पूरा होगा। पहले चरण के लिये 1334 हेक्टेयर भूमि पर दो रनवे का निर्माण कार्य शुरू है। पहले फेज का निर्माण भी चार भागों में होगा। एक रनवे का निर्माण कार्य 2024 में पूरा हो जाएगा। इस पर करीब 5700 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
  • एयरपोर्ट के चालू होने पर शुरुआती दौर में सालाना एक करोड़ 20 लाख यात्री सफर करेंगे। संख्या बढ़ने पर दूसरे चरण में एक और रनवे का निर्माण होगा। बाकी दो और रनवे का निर्माण अगले चरणों में होगा। चारों चरण पूरे होने पर एयरपोर्ट से सालाना करीब सात करोड़ यात्री सफर करेंगे।
  • इस परियोजना पर कुल 30 हज़ार करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। एयरपोर्ट के निर्माण के लिये दूसरे चरण में जिस भूमि को लिया जा रहा है, उस पर एक रनवे व एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस, रिपेयरिंग और ओवरहालिंग (एमआरओ) का केंद्र बनेगा।
  • विदित है कि देश के 85 प्रतिशत हवाई जहाज़ मेंटेनेंस रिपेयर, ओवरहालिंग के लिये विदेश जाते हैं। इस पर सालाना 15 हज़ार करोड़ रुपए खर्च होते हैं। यह रकम विदेश चली जाती है। नोएडा एयरपोर्ट एमआरओ का बड़ा केंद्र बनने से विदेश जाने वाली मुद्रा की बचत होगी और युवाओं को रोज़गार भी मिलेगा।
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