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राजस्थान

राजस्थान विधियाँ (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2021

  • 14 Sep 2021
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

13 सितंबर, 2021 को राज्य विधानसभा ने राजस्थान विधियाँ (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2021 ध्वनिमत से पारित कर दिया। इससे नगरीय क्षेत्रों में पुरानी आबादी एवं गैर-कृषि भूमि पर अधिकार के साथ काबिज़ लोगों को फ्री होल्ड पट्टा मिल सकेगा।

प्रमुख बिंदु

  • स्वायत्त शासन मंत्री शांति कुमार धारीवाल ने सदन में चर्चा के दौरान बताया कि प्रदेश में ऐसे कई लोग हैं, जो नगरीय क्षेत्रों में पुरानी आबादी एवं गैर-कृषि भूमि पर अधिकार के साथ काबिज़ है, किंतु उनके पास उसका पट्टा नहीं है। ऐसे सभी व्यक्तियों को उस भूमि पर अपने अधिकार समर्पित करने पर फ्री होल्ड पट्टा देने का प्रावधान करने के उद्देश्य से यह बिल लाया गया है।
  • यह प्रोविजन नगरपालिका एक्ट की धारा 69-ए में पहले से ही है। उसमें कुछ सुधार कर प्राधिकरणों व नगर सुधार न्यास एक्ट में संशोधन कर 69-ए में लीज होल्ड को फ्री होल्ड किया जा रहा है।
  • इस विधेयक के अनुसार यदि किसी व्यक्ति के पास अन्य कानून के अधीन जारी कोई पट्टा या आदेश है, जिसमें भूमि आवंटित हुई है तो उसे भी उस भूमि पर अपने अधिकार समर्पित करने के बाद फ्री होल्ड पट्टा देने का प्रावधान किया गया है।
  • इसके कारण वह लैंड होल्डर उन लाभों का उपयोग कर पाएगा, जो एक फ्री लैंड होल्डर के होते हैं। इस दृष्टि से जयपुर विकास प्राधिकरण, जोधपुर विकास प्राधिकरण एवं अजमेर विकास प्राधिकरण, नगर सुधार न्यास और नगर पालिका एक्ट में संशोधन प्रस्तावित किये गए हैं।
  • इस विधेयक में यूआईटी एक्ट की धारा 43 को बदल कर यह प्रावधान किया गया है कि भू-राजस्व अधिनियम, 1956 में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी धारा 103 में वर्णित समस्त भूमियाँ, जैसे- सड़कें, रास्ते आदि सार्वजनिक उपयोग की भूमियाँ, गोचर, श्मशान, कब्रिस्तान आदि सामुदायिक उपयोग की भूमियाँ, टिनेंसी एक्ट की धारा (5), (24) में परिभाषित भूमियाँ यूआईटी में समाहित मानी जाएंगी, परंतु धारा 103(ए)(2) में वर्णित अवाप्त भूमि यूआईटी में समाहित नहीं होगी।
  • इन प्रावधानों का लैंड रेवेन्यू एक्ट के ऊपर ओवर राइडिंग इफेक्ट होगा, जैसा कि प्राधिकरणों के तीनों कानूनों में है। जयपुर विकास प्राधिकरण, जोधपुर विकास प्राधिकरण और अजमेर विकास प्राधिकरण के एक्ट में यह प्रावधान पहले से है।
  • चारदीवारी क्षेत्र, हैरिटेज एवं प्रतिबंधित क्षेत्र के बाईलॉज एवं नियम अलग से बने हुए हैं। वहाँ पर वही नियम लागू होंगे।

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