राज्यपाल ने पुरातत्त्व संग्रहालय उज्जैन के नवीन भवन और नई वीथिकाओं का भूमि- पूजन किया | 19 Jan 2023
चर्चा में क्यों?
18 जनवरी, 2023 को राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने विक्रम कीर्ति मंदिर उज्जैन स्थित पुरातत्त्व संग्रहालय परिसर में नवीन भवन सहित नई वीथिकाओं का भूमि-पूजन किया। साथ ही राज्यपाल एवं उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने पुरातत्त्व संग्रहालय का निरीक्षण भी किया।
प्रमुख बिंदु
- उज्जैन विक्रम विश्वविद्यालय स्थित विक्रम कीर्ति मंदिर संग्रहालय में शहर के समृद्ध इतिहास के कुछ संग्रह हैं, जिसमें लगभग सभी अवधियों, शासकों की कलाकृतियाँ हैं।
- संग्रहालय में प्रागैतिहासिक युग की 650 कलाकृतियाँ और 30 हज़ार दुर्लभ पांडुलिपियों का विशाल संग्रह है। संग्रहालय का वर्तमान भवन जीर्ण-शीर्ण है। उज्जैन स्मार्ट सिटी द्वारा संग्रहालय के जीर्णोद्धार तथा उन्नयन का कार्य किया जाएगा। इसके लिये मेसर्स दोशी कंसल्टेंट प्रा.लि. इंदौर को कार्यादेश जारी किया जा चुका है।
- प्रस्तावित कार्य में 1200 वर्गमीटर के नये भवन का निर्माण, 4500 वर्गमीटर के मौजूदा ढाँचे का उन्नयन/नवीनीकरण और कलाकृतियों को प्रदर्शित करने के लिये नई गैलरी स्थापित करना, वातानुकूलन एवं आधुनिक भंडारण/प्रदर्शन, प्रकाश व्यवस्था और ऑडियो/डिजिटल माध्यम से कलाकृतियों एवं पांडुलिपियों के बारे में जानकारी देना तथा जन-सुविधाएँ विकसित करना आदि शामिल होंगे।
- पुरातत्त्व संग्रहालय भवन निर्माण सहित नई वीथिकाएँ 14 करोड़ रुपए की लागत से बनाई जाएंगी। संग्रहालय को आने वाले दिनों में सरकार द्वारा 14 करोड़ रुपए की लागत से सँवारने का कार्य किया जाएगा। इनमें संग्रहालय को अत्याधुनिक रूप देने एवं संरक्षित प्रतिमाओं और अवशेषों को संरक्षित रखने के कार्य किये जाएंगे।
- पुरातत्त्व संग्रहालय में रखी पुरातात्त्विक धरोहरों, पाँच लाख साल पुराना विश्व प्रसिद्ध हाथी का मस्तक, गेंडे का सींग, दरियाई घोड़े के दाँत, जंगली भैंसे का जबड़ा एवं अन्य 200 जीवाश्म तथा अन्य अवशेषों को विभिन्न वीथिकाओं में प्रदर्शित किया जाएगा।
- इस संग्रहालय में भीम बेटका के पुरातात्त्विक उत्खनन में डॉ.विष्णु श्रीधर वाकणकर द्वारा एकत्रित आदि मानव द्वारा निर्मित प्रस्तर औज़ारों को भी प्रदर्शित किया जाएगा।
- इस संग्रहालय में उज्जैन के राजा चंडप्रद्योत के काल में निर्मित लकड़ी की दीवार एवं बंदरगाह के अवशेष के रूप में गढ़कालिका क्षेत्र स्थित शिप्रा नदी के तट से प्राप्त 10 लट्ठे, जो कि 2600 वर्ष पूर्व के हैं, को भी प्रदर्शित किया जाएगा। इसके साथ ही उज्जैन के ग्रामीण क्षेत्रों में कायथा, महिदपुर, आजाद नगर, रूणिजा, सोडंग, टकरावदा के उत्खनन के साथ प्राप्त चार हज़ार वर्ष पुरानी पुरातात्त्विक सामग्री प्रदर्शित की जाएगी।
- इसके अलावा संग्रहालय में मौजूद दुर्लभ प्रस्तर 472 प्रतिमाएँ, जो कि मौर्यकाल से लेकर मराठाकाल तक की हैं, को भी नवनिर्मित वीथिकाओं में प्रदर्शित कर संग्रहालय को समृद्ध बनाने की योजना बनाई गई है। प्रथम चरण में 7.5 करोड़ रुपए की लागत से भवन निर्माण तथा 6.5 करोड़ रुपए की लागत से इंटीरियर कार्य कराया जाएगा।