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छत्तीसगढ़

मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार की महत्त्वाकांक्षी ‘मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना’ का किया शुभारंभ

  • 22 Mar 2023
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

21 मार्च, 2023 को विश्व वानिकी दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा परिसर स्थित अपने कार्यालय कक्ष से राज्य के सभी 33 ज़िलों के 42 स्थानों में राज्य सरकार की महत्त्वाकांक्षी ‘मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना’का वर्चुअल शुभारंभ किया। यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में वाणिज्यिक वृक्षारोपण को बढ़ावा देकर किसानों की आय में वृद्धि करने के उद्देश्य से शुरू की गई है।

प्रमुख बिंदु 

  • मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस मौके पर वन संसाधन अधिकारों को लोगों तक सुगमता से पहुँचाने के लिये मोबाईल आधारित एफआरए टूल का लोकार्पण किया और वनोपज आधारित अर्थव्यवस्था को गति देने तथा व्यापारियों की सुविधा के लिये छत्तीसगढ़ में नेशनल ट्रांजिट पास सिस्टम (एनटीपीएस) का शुभारंभ किया।
  • साथ ही उन्होंने शहीद महेंद्र कर्मा सामाजिक सुरक्षा योजना के अंतर्गत 1458 हितग्राहियों के खाते में कुल 22 करोड़ रुपए की राशि का ऑनलाइन अंतरण किया।
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि यह योजना देश में एक अनूठी योजना है, जिसमें वाणिज्यिक प्रजातियों का वृक्षारोपण कर निजी व्यक्ति, संस्था अथवा कंपनियों के माध्यम से अधिकाधिक लाभ कमा सकते हैं। यह केवल वृक्षारोपण की योजना न होकर देश के जलवायु परिवर्तन की दिशा में भी हमारी सहभागिता और प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
  • ‘मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना’में सभी वर्ग के इच्छुक किसानों की पड़त भूमि में वाणिज्यिक वृक्षारोपण होगा। योजना के तहत 33 ज़िलों के 23 हज़ार 600 किसानों द्वारा 36 हज़ार 230 एकड़ में वृक्षारोपण किया जाएगा। योजना से किसानों को सालाना प्रति एकड़ 15 से 50 हज़ार रूपए तक की आय होगी। इसके अलावा कार्बन क्रेडिट के माध्यम से भी किसानों को अतिरिक्त आय होगी।
  • वन एवं पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि छत्तीसगढ़ वन संपदा की दृष्टि से बहुत समृद्ध राज्य है। ‘मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना’के माध्यम से अगले 5 वर्षों में 1 लाख 80 हज़ार एकड़ में वृक्षारोपण किया जाएगा।
  • यह योजना हितग्राहियों की आय में वृद्धि के साथ-साथ पर्यावरण संतुलन की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण योजना है। योजना में 5 एकड़ में वाणिज्यिक वृक्षारोपण करने वाले हितग्राहियों को शत-प्रतिशत अनुदान तथा 5 एकड़ से अधिक भूमि पर वृक्षारोपण करने वाले हितग्राहियों को 50 प्रतिशत अनुदान देने का प्रावधान किया गया है।
  • ‘मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना’का लाभ किसान, इच्छुक भूमि स्वामी, शासकीय, अर्ध शासकीय एवं शासन के स्वायत्त संस्थाएँ, निजी शिक्षण संस्थाएँ, निजी ट्रस्ट, पंचायत तथा भूमि अनुबंध धारक उठा सकते हैं।
  • छत्तीसगढ़ में योजना के तहत इस वर्ष 12 प्रकार की प्रजाति के वृक्ष का रोपण किया जाएगा। इनमें क्लोनल यूकलिप्टस, रूटशूट टीक, टिश्यू कल्चर, चंदन, मेलिया दुबिया, सामान्य बाँस, टिश्यू कल्चर बंबू, रक्त चंदन, आँवला, खमार, शीशम तथा महानीम आदि के पौधे रोपे जाएंगे।
  • मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कार्यक्रम के दौरान सामुदायिक वन संसाधन अधिकार जारी करने की प्रक्रिया को ट्रेक करने हेतु मोबाइल एप का लोकार्पण भी किया।
    • इस मोबाइल एप के उपयोग से सामुदायिक वन संसाधन अधिकार प्राप्त करने की पूरी प्रक्रिया सरलीकृत होगी।
    • सामुदायिक वन संसाधन अधिकार के आवेदन से लेकर अधिकार प्राप्ति तक 12 स्तर की प्रक्रिया है तथा 18 प्रपत्रों में जानकारी भरी जाती है।
    • मोबाइल एप के माध्यम से अधिकार प्राप्त करने की प्रक्रिया का मॉनिटरिंग भी की जा सकती है।
  • मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में वन विभाग द्वारा वनोपज के परिवहन हेतु तैयार कराए गए नेशनल ट्रांजिट पास सिस्टम (एनटीपीएस) को लॉन्च किया।
    • इस सुविधा के अंतर्गत आवेदक ट्रांजिट परमिट के लिये ऑनलाईन आवेदन कर सकते हैं तथा वन विभाग ऑनलाईन ट्रांजिट परमिट जारी करेगा। अंतर्राज्यीय सीमा में नये टी.पी. की आवश्यकता नहीं होगी।
    • मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल एवं जम्मू कश्मीर के बाद छत्तीसगढ़ एनटीपीएस योजना को लागू करने वाला चौथा राज्य बन गया है।
  • मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में कवर्धा ज़िले के सकरी नदी को संरक्षित करने तथा नदी का बहाव अपने पूर्ण क्षमता पर लाने के उद्देश्य से वृक्षारोपण के माध्यम से सकरी नदी पुनर्जीवन कार्यक्रम की शुरूआत की।
    • इसके तहत वन एवं राजस्व भूमि में नदी तट वृक्षारोपण कार्य, निजी भूमि में मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना के अंतर्गत वृक्षारोपण, वन क्षेत्रों में नरवा योजना के अंतर्गत कैंपा मद से जल एवं मृदा संरक्षण कार्य तथा राजस्व क्षेत्र में मनरेगा अंतर्गत रोपण एवं संरचानाओं का निर्माण किया जाएगा।
    • इस एकीकृत परियोजना से कर्वधा ज़िले में किसानों को घरेलू उपयोग तथा कृषि के लिये सिंचाई हेतु पर्याप्त पानी उपलब्ध होगी।

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