मध्य प्रदेश
27 प्रतिशत आरक्षण पर लगी रोक बरकरार, हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश में संशोधन से किया इनकार
- 24 Jun 2022
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चर्चा में क्यों?
23 जून, 2022 को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पीएससी (लोक सेवा आयोग) में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने पर लगी अंतरिम रोक के आदेश में संशोधन से इनकार कर दिया।
प्रमुख बिंदु
- ओबीसी आरक्षण के संबंध में दायर सभी याचिकाओं की सुनवाई जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस ए.के. शर्मा की युगल पीठ द्वारा की गई।
- गौरतलब है कि आशिता दूबे सहित अन्य की तरफ से प्रदेश सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने के खिलाफ तथा पक्ष में लगभग 60 से अधिक याचिकाएँ दायर की गई थीं। हाईकोर्ट ने कई लंबित याचिकाओं पर ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत दिये जाने पर रोक लगा दी थी।
- सरकार द्वारा स्थगन आदेश वापस लेने के लिये आवेदन दायर किया गया था। हाईकोर्ट ने 1 सितंबर, 2021 को स्थगन आदेश वापस लेने से इनकार करते हुए संबंधित याचिकाओं को अंतिम सुनवाई के निर्देश जारी किये थे।
- प्रदेश सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने महाधिवक्ता द्वारा 25 अगस्त, 2021 को दिये अभिमत के आधार पर पीजी नीट 2019-20, पीएससी के माध्यम से होने वाली मेडिकल अधिकारियों की नियुक्ति तथा शिक्षक भर्ती छोड़कर अन्य विभाग में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने के आदेश जारी कर दिये थे। उक्त आदेश के खिलाफ भी हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
- आरक्षण के खिलाफ दायर याचिकाओं में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने साल 1993 में इंदिरा साहनी तथा साल 2021 में मराठा आरक्षण के मामले में स्पष्ट आदेश दिये हैं कि आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिये। प्रदेश में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने पर आरक्षण की सीमा 63 प्रतिशत तक पहुँच जाएगी।
- याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से दायर जवाब में कहा गया था कि साल 2011 की जगगणना के अनुसार प्रदेश में ओबीसी वर्ग की संख्या लगभग 51 प्रतिशत है। सुनवाई के दौरान पीठ से आग्रह किया गया था कि पीएससी में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के संबंध में जारी अंतरिम रोक के आदेश को संशोधित किया जाए। पीठ ने आग्रह को अस्वीकार करते हुए उक्त आदेश जारी किये।