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छत्तीसगढ़

38वें चक्रधर समारोह का हुआ गरिमामयी शुभारंभ

  • 20 Sep 2023
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

19 सितंबर, 2023 को संगीत, नृत्य और साहित्य के लिये पूरे भारत में विख्यात छत्तीसगढ़ के रायगढ़ ज़िले के नगर निगम ऑडिटोरियम में रायगढ़ विधायक प्रकाश नायक व धरमजयगढ़ विधायक लालजीत सिंह राठिया ने दीप प्रज्ज्वलित कर 38वें चक्रधर समारोह का विधिवत शुभारंभ किया। 

प्रमुख बिंदु  

  • विदित है कि 38वें चक्रधर समारोह का 19 से 21 सितंबर तक नगर निगम ऑडिटोरियम रायगढ़ में गरिमापूर्ण आयोजन हो रहा है। 
  • समारोह के शुभारंभ अवसर पर रायगढ़ विधायक प्रकाश नायक ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त चक्रधर समारोह के आयोजन के माध्यम से कला के विविध रूपों से रूबरू होने का मौका दर्शकों को मिलेगा।  
  • धरमजयगढ़ विधायक लालजीत सिंह राठिया ने कहा कि रायगढ़ सुर ताल की नगरी है और चक्रधर समारोह ने राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि पाई है। इसके आयोजन से कलाकारों की प्रतिभा से परिचित होने का अवसर मिलेगा।            
  • रायगढ़ कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा ने इस मौके पर कहा कि राजा चक्रधर सिंह स्वयं एक उम्दा कलाकार थे साथ ही कलाकारों के उदार संरक्षक थे। रायगढ़ कला मर्मग्यों की नगरी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर यहाँ रामायण महोत्सव का आयोजन किया गया, जिसे राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति मिली।
  • चक्रधर समारोह में पहली बार ज़िले और प्रदेश की सांस्कृतिक प्रतिभाओं को मंच प्रदान किया जा रहा है, जहाँ गायन-वादन और नृत्य के कलाकारों के साथ ही युवा पीढ़ी के प्रतिभाशाली स्थानीय कलाकार भी समारोह में हिस्सा ले रहें हैं।
  • चक्रधर समारोह में इस वर्ष युवा सहभागिता के तहत बड़ी संख्या में रायगढ़ ज़िले के स्कूली छात्र-छात्राओं की सामूहिक नृत्य प्रस्तुति और स्थानीय कलाकारों को मंच प्रदान किया जा रहा है। 
  • लंबे समय तक एशिया के एक मात्र संगीत विश्वविद्यालय होने का गौरव प्राप्त इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ के 60 कलाकारों का दल भी चक्रधर समारोह में प्रस्तुति देगा।
  • दल द्वारा शास्त्रीय गायन, सरोद वादन, ताल वादन, ताल कचहरी, सुगम संगीत, कथक एवं छत्तीसगढ़ के लोक गीतों एवं नृत्यों में श्रीराम को किन-किन रूपों में देखा गया है, पर आधारित (लोक में राम) की छत्तीसगढ़ी लोक संगीत एवं नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी। 
  • चक्रधर समारोह का अपना ऐतिहासिक महत्त्व भी है। आज़ादी के पहले रायगढ़ एक स्वतंत्र रियासत थी, जहाँ सांस्कृतिक एवं साहित्यिक गतिविधियों का फैलाव बड़े पैमाने पर था। प्रसिद्ध संगीतज्ञ कुमार गंधर्व और हिन्दी के पहले छायावादी कवि मधुकर पांडेय रायगढ़ से ही थे। सरदार वल्लभ भाई पटेल के प्रयासों से जब रियासतों के भारत में विलीनीकरण की प्रक्रिया शुरू हुई तो रायगढ़ के राजा चक्रधर विलीनीकरण के सहमति-पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले पहले राजा थे। 
  • राजा चक्रधर एक कुशल तबलावादक एवं संगीत व नृत्य में भी निपुण थे। उनके प्रयासों और प्रोत्साहन के फलस्वरूप ही यहाँ संगीत तथा नृत्य की नई शैली विकसित हुई।  
  • स्वतंत्रता पूर्व से ही गणेशोत्सव के समय यहाँ सांस्कृतिक आयोजन की एक समृद्ध परंपरा विकसित हुई, जिसने धीरे-धीरे एक बड़े आयोजन का रूप ले लिया। यह आयोजन इतना वृहद था कि राजा चक्रधर के देहावसान के बाद उनकी याद में ‘चक्रधर समारोह’ के नाम से यहाँ के संस्कृतिकर्मियों तथा कलासाधकों ने वर्ष 1985 से दस दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव की शुरुआत की।

  

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