झारखंड
टाटा स्टील की उत्सर्जन कम करने के लिये ‘दुनिया में अपनी तरह की पहली’ सीबीएम इंजेक्शन पहल
- 22 Jan 2022
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में टिकाऊ स्टील उत्पादन की ओर बढ़ने के अपने निरंतर प्रयासों के हिस्से के रूप में टाटा स्टील ने जमशेदपुर वर्क्स में एक ब्लास्ट फर्नेस (ई ब्लास्ट फर्नेस) में कोल बेड मीथेन (सीबीएम) गैस के निरंतर इंजेक्शन के लिये परीक्षण शुरू करने की पहल की है। यह दुनिया में ऐसा पहला उदाहरण है, जहाँ किसी स्टील कंपनी में सीबीएम को इंजेक्टेंट के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- इस प्रक्रिया से कोक की दर 10 किग्रा/टीएचएम (टन हॉट मेटल) कम होने की उम्मीद है, जो कच्चे स्टील के प्रति टन 33 किग्रा. CO2 को कम करने के बराबर होगी। परीक्षण अगले कुछ हफ्तों में होगा।
- सीबीएम इंजेक्शन की सुविधा के लिये ई ब्लास्ट फर्नेस में पूरे सिस्टम की तकनीक, डिज़ाइन और विकास टाटा स्टील की इन-हाउस टीम द्वारा किया गया है।
- टाटा स्टील के आयरन मेकिंग के वाइस प्रेसिडेंट उत्तम सिंह ने कहा कि स्टील को बड़े पैमाने पर डीकार्बोनाइज करने की तकनीक अभी तैयार नहीं है। टाटा स्टील ने डीकार्बोनाइजेशन के लिये नए और स्केलेबल समाधानों का पता लगाने हेतु पायलटों और परीक्षणों सहित विभिन्न प्रौद्योगिकी पहल की हैं।
- यह परीक्षण ब्लास्ट फर्नेस में प्रयुक्त कोक दर में कमी तथा उत्पादकता पर इसके प्रभाव की मात्रा का निर्धारण करने में मदद करेगा और हाइड्रोजन आधारित इंजेक्टरों के साथ ब्लास्ट फर्नेस के संचालन के बारे में उपयोगी अंतर्दृष्टि प्रदान करेगा। इससे अधिक हाइड्रोजन युक्त हरित ईंधन के साथ ब्लास्ट फर्नेस के भविष्य के टिकाऊ संचालन के लिये एक रूपरेखा तैयार करने में मदद मिलेगी।
- सीबीएम में मुख्य रूप से भूमिगत कोयला भंडारों से निकाली गई अन्य गैसों की ट्रेस मात्रा के साथ 98% मीथेन होती है। भारत सीबीएम के प्रचुर संसाधनों से संपन्न है, जिसका प्रमुख स्रोत देश का पूर्वी क्षेत्र है।
- यह परीक्षण इंजेक्शन उद्देश्यों के लिये सीबीएम के उपयोग का लाभ उठाने हेतु तार्किक और आर्थिक रूप से एक आशाजनक अवसर प्रदान करता है।
- टाटा स्टील प्रक्रिया में सुधार, कुशल कच्चे माल और संसाधन प्रबंधन, उप-उत्पादों के उच्च उपयोग, उत्पादों के जीवनचक्र आकलन आदि के माध्यम से उच्चतम पर्यावरणीय प्रदर्शन मानकों को प्राप्त करने के लिये लगातार सफल प्रौद्योगिकियों में निवेश कर रही है।
- संधारणीयता के कारण का नेतृत्व करते हुए, कंपनी ने हरियाणा में भारत का पहला स्टील रीसाइक्लिंग प्लांट चालू किया, तैयार स्टील के परिवहन के लिये इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग शुरू किया और जमशेदपुर में ब्लास्ट फर्नेस गैस से CO2 कैप्चर के लिये भारत का पहला प्लांट स्थापित किया।