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मध्य प्रदेश

टंट्या भील बलिदान दिवस

  • 06 Dec 2021
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

4 दिसंबर, 2021 को राज्यपाल मंगुभाई पटेल और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पातालपानी में क्रांतिसूर्य जननायक टंट्या मामा के बलिदान दिवस पर अष्टधातु से निर्मित जननायक टंट्या मामा की भव्य प्रतिमा का अनावरण किया।

प्रमुख बिंदु

  • राज्यपाल मंगुभाई पटेल और मुख्यमंत्री चौहान ने जननायक टंट्या मामा के वंशजों और परिजन हीरालाल सिरसाठे, ललिता बाई, दरियाव एवं रेशम बाई वासुदेव, छोगालाल सिरसाठे, रेखा बाई सिरसाठे, राधूलाल और सुंदर बाई का शॉल, श्रीफल और मोतियों की माला पहनाकर सम्मान किया।
  • पातालपानी में 4 करोड़ 55 लाख रुपए की लागत से नवतीर्थस्थल बनाया जाएगा। यहाँ ध्यान केंद्र स्थापित किया जाएगा, जहाँ वीरता की उपासना की जाएगी, जो आने वाली पीढ़ियों को देश-भक्ति की प्रेरणा देगा। 
  • नवतीर्थस्थल में लाइब्रेरी, व्यू पॉइंट, पाथ-वे के साथ जनजातीय म्यूज़ियम और जननायक टंट्या मामा वाटिका भी बनेगी। साथ ही अब से पातालपानी में हर वर्ष 4 दिसंबर, 2021 को जननायक टंट्या मामा के बलिदान दिवस पर मेला आयोजित होगा।
  • टंट्या भील का जन्म सन् 1840 में तत्कालीन मध्य प्रांत के पूर्वी निमाड़ (खंडवा ज़िले) की पंधाना तहसील के बड़दाअहीर गांव में भाऊसिंह भील के घर पर हुआ था। कहीं-कहीं पर सन् 1842 में इनके जन्म का उल्लेख भी मिलता है।
  • टंट्या भील का वास्तविक नाम तॉतिया था। उन्हें प्यार से टंट्या मामा के नाम से भी बुलाया जाता था। उन्हें सभी आयु वर्ग के लोगों द्वारा आदरपूर्वक ‘मामा’ कहा जाता था।
  • टंट्या भील को कुछ विश्वस्त लोगों के विश्वासघात के कारण अंग्रेजों द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें इंदौर में ब्रिटिश रेजीडेंसी क्षेत्र में सेंट्रल इंडिया एजेंसी जेल में रखा गया था। बाद में जबलपुर जेल में रखा गया। सत्र न्यायालय जबलपुर ने उन्हें 19 अक्टूबर, 1889 को फाँसी की सजा सुनाई और फिर 4 दिसंबर, 1889 को फाँसी दी गई। 
  • फाँसी के पश्चात् इंदौर के पास खंडवा रेल मार्ग पर पातालपानी रेलवे स्टेशन के नजदीक आसपास के गांवों में विद्रोह भड़कने के डर से चुपचाप रात में उनके शव को उस स्थान, जहाँ पर उनके लकड़ी के पुतले रखे थे, फेंककर अर्थात् रखकर चले गए। 
  • इस स्थान अर्थात् पातालपानी को आज ‘टंट्या भील की समाधि स्थल’ के नाम से जाना जाता है।
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