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छत्तीसगढ़

गणतंत्र दिवस राष्ट्रीय परेड के लिये छत्तीसगढ़ की गोधन न्याय योजना की झाँकी चयनित

  • 29 Dec 2021
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय रक्षा मंत्रालय की उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समिति ने राजपथ पर होने वाली गणतंत्र दिवस परेड समारोह के लिये छत्तीसगढ़ की गोधन न्याय योजना को अपनी हरी झंडी दे दी है। 

प्रमुख बिंदु 

  • इस समिति में देश के प्रमुख शिल्पज्ञ, पेंटर, फोटोग्राफर, संगीतज्ञ, गायक और अन्य विधाओं के विशेषज्ञ सदस्य शामिल थे। 
  • जनसंपर्क आयुक्त दीपांशु काबरा ने बताया कि समिति ने आज़ादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर बनाई गई थीम इंडिया/75 न्यू आईडिया के तहत इसका चयन किया है। देश के सभी राज्यों में से केवल 12 राज्यों को ही इस बार राजपथ पर अपने राज्य की झाँकी के प्रदर्शन का अवसर मिला है। 
  • गोधन न्याय योजना पर केंद्रित छत्तीसगढ़ की झाँकी ग्रामीण संसाधनों के उपयोग के पारंपरिक ज्ञान और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के समन्वय से एक साथ अनेक वैश्विक चिंताओं के समाधानों के लिये विकल्प प्रस्तुत करेगी। 
  • झाँकी में प्रदेश में विकसित हो रही जल प्रबंधन प्रणालियों, बढ़ती उत्पादकता और खुशहाल किसान को भित्ती-चित्र शैली में दिखाया जाएगा। इसी क्रम में गोबर से बनी वस्तुओं और गोबर से वर्मी कंपोस्ट तैयार करती स्व सहायता समूहों की महिलाओं को भी झाँकी में प्रदर्शित किया जाएगा।
  • झाँकी के अग्रभाग में गाय के गोबर को इकटॅा करके उन्हें विक्रय के लिये गौठानों के संग्रहण केंद्रों की ओर ले जाती ग्रामीण महिलाओं को दर्शाया जाएगा। ये महिलाएँ पारंपरिक आदिवासी वेशभूषा में होंगी, जो हाथों से बने कपड़े और गहने पहने हुए होंगी। 
  • इन्हीं में से एक महिला को गोबर से उत्पाद तैयार कर विक्रय के लिये बाज़ार ले जाते दिखाया जाएगा। महिलाओं के चारों ओर फूलों के गमलों की सजावट की जाएगी, जो गोठानों में साग-सब्ज़ियों और फूलों की खेती के प्रतीक होंगे। नीचे की ओर गोबर से बने दीयों की सजावट की जाएगी। ये दीये ग्रामीण महिलाओं के जीवन में आए स्वावलंबन और आत्मविश्वास को प्रदर्शित करेंगे।
  • झाँकी के पृष्ठ भाग में गौठानों को रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क के रूप में विकसित होते दिखाया जाएगा। इसमें दिखाया जाएगा कि नई तकनीकों और मशीनों का उपयोग करके महिलाएँ किस तरह स्वयं की उद्यमिता का विकास कर रही हैं, गाँवों में छोटे-छोटे उद्योग संचालित कर रही हैं। 
  • मध्य भाग में दिखाया जाएगा कि गाय को ग्रामीण अर्थव्यवस्था के केंद्र में रखकर किस तरह पर्यावरण संरक्षण, जैविक खेती, पोषण, रोज़गार और आय में बढ़ोतरी के लक्ष्यों को हासिल किया जा रहा है। 
  • सबसे आखिर में चित्रकारी करती हुई ग्रामीण महिला को छत्तीसगढ़ के पारंपरिक शिल्प और कलाओं के विकास की प्रतीक के रूप में प्रदर्शित किया जाएगा। 
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