उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में जामा मस्जिद पर सर्वेक्षण
- 22 Nov 2024
- 4 min read
चर्चा में क्यों?
हाल ही में न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के संभल ज़िले में 16वीं सदी की मुगलकालीन जामा मस्जिद का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया। यह आदेश एक वरिष्ठ अधिवक्ता द्वारा दायर याचिका के बाद दिया गया है।
मुख्य बिंदु
- ऐतिहासिक धर्मांतरण पर दावे:
- याचिका में आरोप लगाया गया है कि संभल की जामा मस्जिद मूलतः मोहल्ला कोट पूर्वी में स्थित हरि हर मंदिर थी और इसे 1529 में मस्जिद में परिवर्तित कर दिया गया था।
- इसमें दावा किया गया है कि विवादित स्थल के प्रबंधन और नियंत्रण के लिये भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ज़िम्मेदार है।
- जमीयत उलमा-ए-हिंद:
- जमीयत उलमा-ए-हिंद ने उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 के महत्त्व पर प्रकाश डाला, जो सभी पूजा स्थलों के धार्मिक चरित्र को उसी रूप में संरक्षित करता है, जैसा वे 15 अगस्त, 1947 को अस्तित्व में थे।
- उन्होंने हाल की न्यायिक कार्रवाइयों में इस कानून की उपेक्षा पर चिंता व्यक्त की तथा अयोध्या निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस अधिनियम का समर्थन किये जाने पर ज़ोर दिया।
- जामा मस्जिद का ऐतिहासिक संदर्भ:
- संभल में जामा मस्जिद बाबर के शासनकाल (1526-1530) के दौरान निर्मित तीन मस्जिदों में से एक है। अन्य मस्जिदों में पानीपत की मस्जिद और अब ध्वस्त हो चुकी बाबरी मस्जिद शामिल हैं।
- इतिहासकार हॉवर्ड क्रेन ने अपनी कृति, द पैट्रोनेज ऑफ बाबर एंड द ऑरिजिंस ऑफ मुगल आर्किटेक्चर में मस्जिद की स्थापत्य कला की विशेषताओं का वर्णन किया है।
- क्रेन ने एक फारसी शिलालेख का उल्लेख किया जिसमें कहा गया है कि बाबर ने अपने सूबेदार जहाँगीर कुली खान के माध्यम से दिसंबर 1526 में मस्जिद के निर्माण का आदेश दिया था।
- संभल में जामा मस्जिद बाबर के शासनकाल (1526-1530) के दौरान निर्मित तीन मस्जिदों में से एक है। अन्य मस्जिदों में पानीपत की मस्जिद और अब ध्वस्त हो चुकी बाबरी मस्जिद शामिल हैं।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI)
- संस्कृति मंत्रालय के अधीन ASI, देश की सांस्कृतिक विरासत के पुरातात्विक अनुसंधान और संरक्षण के लिये प्रमुख संगठन है।
- प्राचीन स्मारक तथा पुरातत्व स्थल और अवशेष (एएमएएसआर) अधिनियम, 1958 ASI के कामकाज को नियंत्रित करता है।
- यह राष्ट्रीय महत्त्व के 3650 से अधिक प्राचीन स्मारकों, पुरातात्विक स्थलों और अवशेषों का प्रबंधन करता है।
- इसकी गतिविधियों में पुरातात्त्विक अवशेषों का सर्वेक्षण, पुरातात्विक स्थलों की खोज और उत्खनन, संरक्षित स्मारकों का संरक्षण और रखरखाव आदि शामिल हैं।
- इसकी स्थापना 1861 में ASI के पहले महानिदेशक अलेक्जेंडर कनिंघम ने की थी। अलेक्जेंडर कनिंघम को “भारतीय पुरातत्व के जनक” के रूप में भी जाना जाता है।