लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



State PCS Current Affairs

उत्तराखंड

घरेलू गौरैया पर अध्ययन

  • 29 Jul 2024
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) द्वारा किये गए एक अध्ययन में भारतीय हिमालय के उच्च ऊँचाई वाले क्षेत्रों में घरेलू गौरैया और ग्रामीणों के बीच अनोखे बंधन पर ज़ोर दिया गया है।

मुख्य बिंदु

  • अध्ययन में पाया गया कि उत्तराखंड में घरेलू गौरैया की आबादी स्थानीय लोगों के साथ प्रवास करती है, जब स्थानीय लोग शीतकालीन गाँवों में चले जाते हैं तो ये गौरैयाएँ अपने ग्रीष्म ऋतु के वीरान गाँवों को छोड़ देती हैं तथा जब ग्रामीण गर्मियों में वापस आते हैं तो ये गौरैयाएँ भी वापस लौट आती हैं।
    • अध्ययन का उद्देश्य इन उच्च ऊँचाई वाले क्षेत्रों में घरेलू गौरैया की ऊँचाई संबंधी गतिविधियों और ठंडी जलवायु परिस्थितियों के प्रति उनके अनुकूलन को समझना है।
  • उच्च ऊँचाई की स्थितियों के प्रति घरेलू गौरैया का अनुकूलन:
    • उत्तराखंड में गौरैया की आबादी 3,500 मीटर की ऊँचाई पर पाई जाती है, जो कि एक अनोखी बात है।
    • अध्ययन में पाया गया कि ऊँचाई वाले गाँवों की घरेलू गौरैया, कम ऊँचाई वाले गाँवों की गौरैयाओं की तुलना में ठंडी जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल होने के कारण शरीर के आकार में बड़ी होती हैं।
  • संरक्षण प्रयास और जागरूकता:
    • स्थानीय लोगों को गौरैया संरक्षण के बारे में जागरूक करने के लिये पुरोला, रुद्रपुर और हरिद्वार सहित कई स्थानों पर कृत्रिम घोंसले वितरित किये गए हैं।
    • यह अध्ययन स्थानीय लोगों में घरेलू गौरैया संरक्षण के महत्त्व के बारे में व्यापक जागरूकता उत्पन्न कर रहा है और कई लोग सक्रिय रूप से इस प्रयास में लगे हुए हैं, कृत्रिम घोंसले की निगरानी कर रहे हैं तथा डेटा संग्रह में योगदान दे रहे हैं।

घरेलू गौरैया

  • वैज्ञानिक नाम- पास्सर डोमेस्टिकस (Passer Domesticus)
  • संरक्षण स्थिति- अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature- IUCN) की रेड लिस्ट में सबसे कम चिंताजनक।
  • आवास और वितरण:
    • घरेलू गौरैया दुनिया भर में विस्तृत हुई है, अंटार्कटिका, चीन और जापान को छोड़कर हर महाद्वीप पर पाई जाती है। यह यूरेशिया एवं उत्तरी अफ्रीका का मूल निवासी है।
    • यह बिहार और दिल्ली का राज्य पक्षी है।
    • यह मानव बस्तियों के करीब रहने के लिये जाने जाते है और इसलिये यह शहरों में सबसे अधिक पाई जाने वाली पक्षी प्रजातियों में से एक है।
  • गौरैया की आबादी में गिरावट के कुछ कारण इस प्रकार हैं:
    • हमारे घरों की प्रतिकूल वास्तुकला।
    • फसलों में रासायनिक खादों का प्रयोग।
    • ध्वनि प्रदूषण।
    • वाहनों से निकलने वाला धुआँ।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2