राजस्थान
‘स्टेट्स रिपोर्ट ऑन ड्रिंकिंग वाटर क्वालिटी इन अरबन टाउंस 2022-23’ रिलीज़
- 02 Jun 2023
- 4 min read
चर्चा में क्यों?
31 मई, 2023 को राजस्थान के जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुबोध अग्रवाल ने अभियांत्रिकी विभाग के रसायनज्ञों की राज्य स्तरीय कार्यशाला में ‘स्टेट्स रिपोर्ट ऑन ड्रिंकिंग वाटर क्वालिटी इन अरबन टाउंस ऑफ राजस्थान 2022-23’ रिलीज़ की।
प्रमुख बिंदु
- कार्यशाला में अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बताया कि वर्ष 2025-26 में प्रदेश के 1 करोड़ 7 लाख घरों में नल के माध्यम से पेयजल उपलब्ध होने लगेगा।
- प्रदेश के 235 शहरी क्षेत्रों का सर्वे इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिये किया गया है। 89 कस्बों में पेयजल आपूर्ति सतही जल स्रोतों से, 70 में सतही एवं भूजल दोनों से तथा 76 कस्बों में सिर्फ भूजल आधारित है।
- राज्य की समस्त 33 प्रयोगशालाएँ एन.ए.बी.एल. मान्यता प्राप्त हैं। इन प्रयोगशालाओं के एन.ए.बी.एल. सर्टिफिकेशन की निरंतरता के लिये यूनिसेफ एवं नीरी के सहयोग से समय-समय पर रसायनज्ञों एवं अन्य कार्मिकों के लिये प्रशिक्षण आयोजित किये गए हैं।
- स्टेटस रिपोर्ट तैयार करने में यूनिसेफ की ओर से पीएचईडी को तकनीकी सहयोग दिया गया।
- वाटर क्वालिटी पर तैयार स्टेटस रिपोर्ट का लाभ फील्ड अभियंताओं, रसायनज्ञों एवं अरबन प्लानिंग से जुड़े अधिकारियों को मिलेगा।
- जल जीवन मिशन के तहत समस्त परियोजनाएँ पूरी होने पर 2025 के अंत तक राजस्थान में 90 फीसदी पेयजल सतही स्रोतों से उपलब्ध होने लगेगा और भूजल पर निर्भरता 10 फीसदी रह जाएगी। प्रदेश में अभी 75 प्रतिशत योजनाओं में सतही स्रोतों की उपलब्धता है।
- जल जीवन मिशन के तहत मंज़ूर इन वृहद परियोजनाओं में राज्य सरकार की हिस्सा राशि 60 प्रतिशत जबकि केंद्र की 40 प्रतिशत होगी। इन परियोजनाओं के पूरी होने के बाद प्रदेश के 11 ज़िलों के 5739 गाँव भूजल से सतही जल आधारित योजनाओं पर आ जाएंगे।
- उल्लेखनीय है कि हाल ही में 23 हज़ार करोड़ रुपए की सतही जल आधारित पाँच बड़ी पेयजल परियोजनाओं को एसएलएसएससी की बैठक में मंज़ूरी मिली है।
- जल जीवन मिशन में केंद्र एवं राज्य सरकारों का उद्देश्य हर घर तक पीने योग्य पानी पहुँचाना है। मिशन के तहत हर घर तक जल पहुँचाने के लिये मौज़ूदा 130 करोड़ लीटर जल की ज़रूरत बढ़कर इसकी तीन गुना हो जाएगी।
- यूनिसेफ की स्टेट हैड इजाबेल बर्डम ने कहा कि वाटर हार्वेस्टिंग के लिये आधुनिक तकनीक के साथ ही परंपरागत जल संचय प्रणालियों का उपयोग किया जाएगा। कार्यशाला के माध्यम से पानी की गुणवत्ता के संबंध में भविष्य में आवश्यक कदम उठाने का रोडमैप तैयार हो सकेगा।