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बिहार

भागलपुर में बना राज्य का पहला सेल्फ मूट एंड डिजिटल कोर्ट

  • 25 Jan 2023
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

24 जनवरी, 2023 को बिहार के भागलपुर ज़िले के नाथनगर के नूरपुर में वरीय अधिवक्ता अनिल झा ने बताया कि राज्य के लोगों के लिये हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के लिये भागलपुर के नाथनगर में सेल्फ मूट एंड डिजिटल कोर्ट बनाया गया है। अब यहाँ से देश भर के कोर्ट की सुनवाई डिजिटल माध्यम से की जा सकेगी।

प्रमुख बिंदु 

  • उल्लेखनीय है कि नाथनगर के नूरपुर में वरीय अधिवक्ता अनिल झा ने इसे बनवाया है। वरीय अधिवक्ता अनिल झा का दावा है कि बिहार में यह पहला कोर्ट है। अब तक किसी अधिवक्ता ने ऐसी व्यवस्था नहीं बनाई है। यह कोर्ट 10 डिसमिल यानी चार कट्ठे ज़मीन में बनाई गई है, जिसमे बड़ा सा हॉल बनाया गया है।
  • इसमें जज को बैठने के लिये इजलास बनवाया गया है। गवाहों की पेशी के लिये विटनेस बॉक्स (कटघरा) बनवाया गया है। इसके अलावा 65 इंच का एलसीडी लगवाया गया है। कंप्यूटर, कैमरा व अन्य डिजिटल मशीन लगवाई गई है। अब किसी भी कोर्ट के केस के लिये यहाँ बैठकर अधिवक्ता बहस कर सकेंगे।
  • विदित है कि इस मूट कोर्ट में पहला केस आनलाइन दिल्ली के रोहिणी कोर्ट में लंबित चेक बाउंस से जुड़े मामले का लड़ा गया। इसे भागलपुर के शिकायतकर्त्ता प्रकाश शर्मा ने दिल्ली के रोहिणी कोर्ट में केस किया था जिस पर सुनवाई हुई। इसके अलावा बंगाल के मुर्शिदाबाद में एक्सिस बैंक में घुसकर दो करोड़ रुपए की बड़ी डकैती का केस अभियुक्तों की तरफ से लड़ा जा रहा है, इसकी सुनवाई मूट कोर्ट के माध्यम से ऑनलाइन चल रही है।
  • अधिवक्ता अनिल झा ने बताया कि इस डिजिटल कोर्ट का उपयोग कोई भी अधिवक्ता कर सकेगा, जो हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का केस लड़ता है। उनके लिये यह मुफ्त सेवा है। इसके लिये एक एसोसिएशन बनाया जाएगा, जिसमें सक्रिय अधिवक्ताओं को जोड़ा जाएगा।
  • सेल्फ मूट एंड डिजिटल कोर्ट - पिछले तीन चार सालों से हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के केस की सुनवाई डिजिटल माध्यम से यानी ऑनलाइन होने लगी है। अधिवक्ता घर बैठे मोबाइल या लैपटॉप में एप डाउनलोड कर सुनवाई में शामिल होते हैं। लैपटॉप और मोबाइल में सुनवाई में होने वाली परेशानी से समाधान के लिये वकील अपने या भाड़े के घरों में निजी फंड से डिजिटल कोर्ट बनवाते हैं। इससे अधिवक्ता और केस से जुड़े लोगों को हाइकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट आना जाना नहीं पड़ता हैं।
  • लॉ कंसल्टेंट राजेश कुमार तिवारी ने बताया कि मूट कोर्ट में नये-नये अधिवक्ताओं को सीखने का अच्छा अवसर मिलता हैं। नये अधिवक्ता बहस करने की अच्छी शैली सीखते हैं, हिचकिचाहट दूर होती है तथा दूर के कोर्ट का केस लड़ने में आसानी होती हैं।
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