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हरियाणा

राज्य स्तरीय सांझी उत्सव-2023 संपन्न

  • 26 Oct 2023
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

24 अक्तूबर, 2023 को हरियाणवी संस्कृति के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के ठोस प्रयास के तहत हरियाणा कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग द्वारा हरियाणा लोक कला संघ, रोहतक के सहयोग से संयुक्त रूप से राज्य स्तरीय सांझी उत्सव-2023 कार्यक्रम का आयोजन रोहतक में संपन्न हुआ।  

प्रमुख बिंदु

  • विदित हो कि यह कार्यक्रम युवा पीढ़ी को समृद्ध हरियाणवी संस्कृति से परिचित कराने के साथ-साथ उसे संरक्षित करने की एक पहल है। इसके तहत 15 से 24 अक्तूबर तक विभिन्न प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं, जिसमें राज्य के कोने-कोने से ग्रामीण महिलाओं के साथ-साथ स्कूल और कॉलेज के छात्रों की भागीदारी देखी गई।
  • राज्य स्तरीय सांझी उत्सव एवं प्रतियोगिता में विजेताओं को क्रमश: प्रथम पुरस्कार 51,000 रुपए, दूसरा पुरस्कार 31,000 रुपए तथा तृतीय पुरस्कार 21,000, रुपए और दो सांत्वना पुरस्कार 11,000 रुपए प्रत्येक को दिये गए।
  • सांझी प्रतियोगिता में महिला प्रतिभागियों के समर्पण और प्रतिभा को पहचानते हुए, विभाग ने छह प्रोत्साहन पुरस्कार प्रदान करने का निर्णय लिया है, जिनमें से प्रत्येक को 5100 रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा।
  • इसके अलावा, राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेने वाली प्रत्येक महिला और छात्रा को एक प्रशस्ति पत्र और 1100 रुपए का पुरस्कार मिलेगा। इस प्रतियोगिता में राज्य भर से लगभग 200 महिलाओं की भागीदारी रही।
  • राज्य स्तरीय सांझी महोत्सव एवं प्रतियोगिता में रोहतक की मंजू को प्रथम पुरस्कार, संगीता को दूसरा, स्नेह ढुल को तीसरा, जींद की रेखा को चौथा और सुनीता रानी को पाँचवाँ पुरस्कार दिया गया।
  • प्रोत्साहन पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं में झज्जर की अंजलि और शीलम, रोहतक की इंदु भावना, पंचकूला की अमिता ढांडा और सोनीपत की सीता और सुमन शामिल हैं।
  • उल्लेखनीय है कि देश में नवरात्रि का उत्सव अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नाम और अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। उत्तर भारत के राज्य जैसे पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के ज़्यादातर इलाकों में सांझी उत्सव मनाया जाता है। यहाँ माँ दुर्गा को साँझी माता के रूप में पूजा जाता है।
  • सांझी उत्सव में घर की महिलाएँ और लड़कियाँ गाँव-देहात में तालाब या नदी से मिटेी लाकर घर में ही दीवार पर साँझी माता की आकृति उकेरती हैं और फिर 10 दिनों तक उनकी पूजा की जाती है।

  

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